बुधवार 8 दिसंबर, 2021 को दोपहर करीब 12.20 बजे तमिलनाडु के कुन्नूर के निकट पहाड़ियों में इंडियन एयर फोर्स (IAF) का हेलीकॉप्टर 14 लोगों के साथ क्रैश हो गया. रूस में बने एमआई-17 वी5 हेलीकॉप्टर, वायुसेना की पूर्व 109 हेलीकॉप्टर यूनिट (109 एचयू) ने सुलूर के एयर फोर्स स्टेशन से उड़ान भरी थी. वह नीलगिरी (ब्ल्यू माउंटेन) में वेलिंगटन स्थित मिलिट्री कंटोनमेंट जा रहा था, जब वह मंजिल से 10 मील पहले ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया.
इस हादसे में भारतीय सेना के आला दर्जे के अधिकारियों की जान चली गई.देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत, चार क्रू, जनरल के डीफेंस अटैची, स्टाफ ऑफिसर, लाइजन ऑफिसर और पांच पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर इनमें शामिल हैं. बृहस्पतिवार को भारतीय वायु सेना ने 13 मौतों की पुष्टि की. हादसे में एक ही व्यक्ति बचा है, ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह. वह डिफेंस सर्विसेज़ स्टाफ कॉलेज के डायरेक्टिंग स्टाफ हैं. उन्हें वेलिंगटन के मिलिट्री अस्पताल में गंभीर चोटों के साथ भर्ती किया गया है. मैं उम्मीद और दुआ करता हूं कि वह जल्दी ठीक हो जाएं.
मुझे आज भी 1995 की वह यात्रा याद है जोकि मैंने सिंगल इंजिन वाले चेतक हेलीकॉप्टर में उसी मार्ग पर की थी. इसके अलावा 2020 में मैं वेलिंगटन जिमखाना क्लब हेलीपैड पर उसी 109 एचयू से सुरक्षित उतरा था. इसके बाद मैंने उस सुंदर यात्रा की तस्वीरों और वीडियो की मदद से हेलीकॉप्टर के प्रदर्शन की थ्योरी, अनुभव और दुर्घटना की जांच की बारीकियों का खुलासा किया था. हालांकि हाल की त्रासदी से ‘प्रदर्शन’ का कोई तालमेल नहीं दिखाई देता लेकिन इस लेख को मैं भारी मन से लिख रहा हूं ताकि पाठकों को समझाया जा सके कि पहाड़ी इलाकों में हेलीकॉप्टर की उड़ान के लिए मौसम की बारीकियां, टोपोग्राफी और उड़ान के नियम कितने मायने रखते हैं.
उड़ान की रफ्तार काफी धीमी थी
जनरल रावत वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज़ स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी) में गेस्ट लेक्चर देने जा रहे थे. डीएसएससी एक ट्राई-सर्विस इस्टैबलिशमेंट है जो मिडिल लेवल ऑफिसर्स को स्टाफ कोर्स कराती है. वेलिंगटन कंटोनमेंट में मद्रास रेजिमेंटल सेंटर, एक सैनिक अस्पताल (एमएच), वेलिंगटन जिमखाना क्लब और सपोर्ट यूनिट्स भी हैं. यह एक सुंदर शहर है, मौसम सेहतमंद रखने वाला है- एमआरसी के नौजवान रूंगरूट और डीएसएससी के ‘आउल्स’ की ऊर्जा से भरा-पूरा. इस छोटे से कस्बे के बाशिदों और जीविका में सेना, पर्यटन और चाय के बागान का बहुत बड़ा हाथ है.
हां, डब्ल्यूजीसी में उतरने वाले हेलीकॉप्टरों से इस कस्बे की शांति और सन्नाटा जरूर कभी-कभी भंग होते हैं. स्थानीय लोग इन हेलीकॉप्टर्स को उड़ते देखने के इतने आदी हैं कि उन्हें इनका रास्ता भी ठीक-ठीक याद रहता है. 8 दिसंबर को, जैसा कि एक चश्मदीद गवाह ने इस लेखक को बताया था कि हेलीकॉप्टर काफी नीचा और सामान्य से धीमा उड़ता दिखाई दे रहा था.
कुछ विजुअल्स में कोहरा और धुंध भी दिखाई दे रही थी. हेलीकॉप्टर के रोटर्स तेजी से रुक गए थे जिससे पेड़ों के मजबूत तने टूटने लगे थे और फिर सब कुछ आग की लपटों के हवाले था.
उड़ान के नियम और मौसम की दशा
नीलगिरी में कुन्नूर स्थित वेलिंगटन जिमखाना क्लब के गोल्फ कोर्स के फेयरवे में एक हेलीपैड है जिसे आमतौर पर पूर्व-सुलूर/कोयंबटूर एयरलिफ्ट्स के लिए उपयोग किया जाता है. सेना के हेलीकॉप्टर वीआईपी यात्राओं, लॉजिस्टिक्स, मेडिकल निकासी के लिए उस रास्ते से उड़ान भरते हैं. यह 50 मील से कम की चढ़ाई वाला सफर है जिसे तयशुदा रास्ते से पूरा करने में एमआई-17 वी5 को करीब 30 मिनट लगेंगे. सैन्य दल सदियों साल से इस रास्ते से उड़ान भर रहे हैं. यह हेलीपैड लगभग 6,000 फीट की ऊंचाई पर है, जिसके चारों ओर पहाड़ियां और घने जंगल हैं.
‘विजुअल फ्लाइट रूल्स’ या वीएफआर के तहत ऐसी उड़ान भरी जाती हैं, जिसका मतलब होता है, “देखें और नजरंदाज करें”. ज्यादातर सिविल उड़ानें और फिक्स्ड विंग विमान आईएफआर, या इंस्ट्रूमेंट फ़्लाइट रूल्स के तहत उड़ान भरते हैं. ज्यादातर सैन्य हेलीकॉप्टर कम ऊंचाई पर वीएफआर पर ऑपरेट होते हैं, खासकर पहाड़ों में. संभव है कि वहां रवानगी या मंजिल, दोनों जगह आधुनिक नेविगेशन या लैंडिंग एड्स की मदद न मिले.
सभी पायलट मौसम और विजिबिलिटी की स्थितियों जोकि ‘विजुअल’ और ‘इंस्ट्रूमेंट’ मेटिओरोलॉजिकल कंडीशंस (वीएमसी/आईएमसी) को स्पष्ट करती हैं, के बारे में जानते हैं. एक महत्वपूर्ण अंतर इनके क्रम में है. जब आप वीएमसी में वीएफआर या आईएफआर पर बरकरार रह सकते हैं, लेकिन आप आईएमसी में वीएफआर नहीं उड़ा सकते.
यह ऊंचाई बनाम भूभाग की एक साधारण जियोमेट्रिकल समस्या है. जब तक आप सुरक्षित ऊंचाई पर नहीं उड़ते, तब तक आप उसे नजरंदाज नहीं कर सकते, जिसे आप देख नहीं पा रहे.
उस स्थान पर आईएफआर अव्यावहारिक था, जहां वह बदकिस्मत हेलीकॉप्टर उड़ रहा था. यूं दुनिया भर में हेलीकॉप्टर हादसों के मुख्य कारणों में से एक है, ‘आईएमसी में निरंतर वीएफआर उड़ान' या 'इनड्वर्टन्ट आईएमसी' (आईआईएमसी).
सर्दियों का मौसम धोखेबाज हो सकता है
कुन्नूर का मौसम खुशनुमा है. विजिबिलिटी अच्छी है, और आसमान आम तौर पर साफ रहता है. लेकिन सर्दियों के मौसम में बादल नीचे उड़ने लगते हैं.कोहरा और धुंध एकाएक आ जाते हैं. इससे विजिबिलिटी कम हो जाती है जिससे ‘देखें और नजरंदाज’ करने वाली वीएफआर उड़ानें खतरे में पड़ जाती हैं. साथ ही, पहाड़ी इलाकों और/या घटते प्रदर्शन के कारण तकनीकी समस्याएं- अगर कोई हों- तो जोखिम पैदा करते हैं. आप जितना ऊंचा उड़ते हैं, प्रदर्शन पर असर होता है, परिस्थितियां असामान्य होती जाती हैं और गलती की गुंजाइश होती है.
जब वीएफआर उड़ान बुरे मौसम का सामना करे, तो उसके पास तीन रास्ते होते हैं:
• मौसम खराब होने से पहले रास्ता बदल ले या जमीन पर उतर जाए
• उड़ान का रास्ता बदल लें ताकि मौसम से बचा जा सके और वीएमसी न्यूनतम के भीतर उड़ान जारी रखी जा सके
• एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) से तालमेल बैठाते हुए आईएफआर उड़ान योजना में बदलाव किया जाए
पहले और दूसरे विकल्प की व्यावहारिक सीमाएं हैं, खास तौर से पहाड़ों में या 'प्रतिकूल इलाके' में. हालांकि अगर मंजिल एक हेलीपैड है, जैसे डब्ल्यूजीसी, जिसमें आईएफआर एड्स या पब्लिश्ड आईएफआर प्रक्रियाएं नहीं हैं, तो तीसरे विकल्प को खारिज कर दिया जाता है. एक और खतरा 'स्कड रनिंग' है- यानी बादलों के नीचे रहने के लिए उड़ान को उतरना, और फिर बादलों की निचली सतह और ऊंचे होते भूभाग के बीच फंस सकते हैं.
खराब मौसम और पहाड़ी इलाके का जानलेवा मेल
एमआई-17 वी5 एक बड़ा दोहरा इंजन वाला हेलीकॉप्टर है जिसमें कांच का एडवांस्ड कॉकपिट, वेदर रडार, मूविंग मैप डिस्प्ले, फ्लाइट डायरेक्शन वाला ऑटोपायलट वगैरह है. मेरी पीढ़ी के पायलट्स वीएफआर किस्म के हेलीकॉप्टर्स उड़ाने के लिए ही प्रशिक्षित थे. कई बार गुमराह हो जाते थे, और यहां तक कि रेलवे स्टेशन के नाम पढ़ने के लिए भी उन्हें उतरना पड़ता था.लेकिन आज के दौर के पायलट्स इंस्ट्रूमेंट फ्लाइंग और आईएफआर के लिए भी प्रशिक्षित है जैसा पहले नहीं होता था.
आज वायु सेना में लगभग हर हेलीकॉप्टर पायलट के पास सर्विस इश्यू आईपैड है जो फ्लाइट प्लान सॉफ्टवेयर और सुरक्षा जानकारी से लैस है. लेकिन आईएमसी में वीएफआर का जाल अब भी दुबका हुआ है, खासकर पहाड़ी इलाकों में. सिर्फ जीपीएस- या आरएनपी (रिक्वायर्ड नैविगेशन परफॉरमेंस))-आधारित लो-लेवल रास्ते और आरएनएवी (एरिया नैविगेशन) एप्रोच (मैचिंग उपकरण और पब्लिश्डप्रोसीजर्स के साथ) सुरक्षा में सुधार कर सकते हैं. भारत अभी भी में उससे मीलों दूर है.
वायु सेना के मीडियम लिफ्ट हेलीकॉप्टर प्रोग्राम के तहत रूस में बने एमाई-17 वी5 को 2011 और 2018 के बीच दो चरणों में ऑर्डर किया गया था, जोकि कुल मिलाकर 150 हेलीकॉप्टर होते हैं. इसके बाद से वी5 फ्लीट में पांच दुर्घटनाएं हुई हैं (जिनमें से तीन जानलेवा थीं). इनमें से एक को 27 फरवरी 2019 को भारत-पाक हवाई झड़प के दौरान भारतीय वायुसेना की अपनी एयर डिफेंस ने गलती से मार गिराया था.
दुर्घटना के तुरंत बाद अटकलें लगाई गई थीं. लेकिन वायु सेना के वी5 हेलीकॉप्टर्स का ट्रैक रिकॉर्ड काफी अच्छा रहा है. हां, इनसानी गलतियों से इनकार नहीं किया जा सकता. वैसे वायु सेना का क्रू प्रशिक्षित है और इंस्ट्रूमेंट फ़्लाइट रूल्स (आईएफआर) के तहत एयरक्राफ्ट भी उड़ान भरने के लिए अच्छी तरह से लैस हैं
लेकिन आईएफआर नियम सीधे ऐसे 'वीएफआर-ओनली' हेलीपैड पर लागू नहीं हो सकते हैं, खासकर अगर वे इंस्ट्रूमेंट’ मेटिओरोलॉजिकल कंडीशंस का सामना करते हैं. अफसोस की बात है कि खराब मौसम और पहाड़ियों के घातक मेल के लिए हमारे पास जादू की छड़ी नहीं है. 2020 में लॉस एंजिल्स के पास कोबे ब्रायंट ए76बी दुर्घटना सभी को याद होगी.
बहुत ज्यादा बदलाव
वायु सेना ने अभी हादसे की वजहें नहीं बताई हैं. यह जांच का विषय है और किसी आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. हालांकि कोई भी असामान्य स्थिति या नाकामी की बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है. जैसे ऊंचाई पर इंजन का फेल होने से हेलीकॉप्टर्स को ‘ड्रिफ्ट डाउन’ झेलना पड़ सकता है जिसकी वजह से टेरेन क्लीयरेंस कम होता है.
दूसरी तरफ क्रू सुरक्षित लैंडिंग ऊंचाई पर पहुंचने की कोशिश करते समय मनोवैज्ञानिक या हेलीकॉप्टर परफॉरमेंस सीलिंग पर पहुंच सकता है. फिर किसी असामान्य स्थिति से निपटने का कोई स्पष्ट तरीका नहीं होता जिसे ‘जल्द से जल्द लैंड’ किया जा सके और न ही ‘तुरंत लैंड’ करने के कोई दिशानिर्देश होते हैं. पहाड़ों के बीच उड़ान भरते समय हेलीकॉप्टर पायलट्स कई तरफ के बदलावों के बीच झूलते रहते हैं. सबसे अच्छी योजनाएं भी नाकाम हो सकती हैं.
शांति बनाए रखें, और अटकलें न लगाएं
वायु सेना ने हादसे की अदालती जांच के आदेश दिए हैं. 9 दिसंबर तक कोई संभावित कारण नहीं बताया गया था. हेलीकॉप्टर में सीवीआर (कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर) और एफडीआर (फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर) लगा हुआ था. जब जांच रिपोर्ट का इंतजार हो रहा हो तो अटकलें लगाने से बचना चाहिए और साजिश वाली थ्योरी का हवा नहीं देनी चाहिए.
इसके अलावा हादसे के ग्राफिक वीडियो और तस्वीरों को गलत और बेकाबूतरीके से साझा नहीं किया जाना चाहिए. यह पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति असंवेदनशीलता ही दर्शाता है.
यह अंधेरेगर्दी कल फिर से नजर आई. एयरो इंडिया 2019 में सूर्यकिरण दुर्घटना, फरवरी 2019 में एचएएल बेंगलुरू में मिराज दुर्घटना, और बडगाम गोलीबारी वगैरह में भी ऐसा ही देखा गया था.
शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं. ब्ल्यू स्काइज़, यानी जल्द सब साफ होगा.
(लेखक नेवी के पूर्व एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलट हैं. वह बेल 412 और एडब्ल्यू139 हेलीकाप्टरों पर दोहरे एटीपी-रेटेड और एएलएच ध्रुव पर सिंथेटिक उड़ान प्रशिक्षक हैं. उनका ट्विटर हैंडिल @realkaypius. है. यह एक ओपिनियन पीस है. यहां व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट का उनसे सहमत होना जरूरी नहीं है.)
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