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प्रवासी मजदूरों के रेल किराए पर जंग, ये है बीजेपी-कांग्रेस के तर्क

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मजदूरों से ट्रेन किराया वसूलने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.

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दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को उनके गृह राज्य लाने के लिए चलाई गईं श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के किराए को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में सियासी जंग छिड़ गई है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मजदूरों से ट्रेन किराया वसूलने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्रेन किराए का खर्च कांग्रेस की तरफ से उठाए जाने का ऑफर दिया है.

सोनिया गांधी के दावों को झुठलाते हुए बीजेपी ने उन पर मामले को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया है.

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बीजेपी का तर्क क्या है?

बीजेपी के आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा, "गृह मंत्रालय की गाइडलाइन में साफ है कि स्टेशनों पर कोई टिकट नहीं बिकेगा. रेलवे 85 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है तो 15 प्रतिशत खर्च राज्य सरकार वहन करेगी. प्रवासी मजदूरों को कोई पैसा नहीं देना है. सोनिया गांधी क्यों नहीं कांग्रेस शासित प्रदेशों को खर्च उठाने के लिए कहतीं."

सोनिया गांधी ने क्या कहा?

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य वापस भेजने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं, मगर उनसे किराया लिया जा रहा है. सोनिया गांधी ने कहा विदेश में फंसे लोगों को मुफ्त में वापस लाया गया जबकि मजदूरों से किराया वसूला जा रहा है.

सोनिया गांधी ने सभी राज्यों की प्रदेश कांग्रेस कमेटी से हर जरूरतमंद श्रमिक के घर लौटने की रेल यात्रा का खर्च वहन करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि इस संबंध में कांग्रेस जरूरी कदम उठाएगी. सोनिया गांधी के इस बयान के बाद बीजेपी ने उन पर गलतबयानी का आरोप लगाया है. बीजेपी का कहना है कि श्रमिकों से किराया नहीं वसूला जा रहा है.

बीजेपी के आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने एक ट्वीट में कहा, "कांग्रेस इस बात से दरअसल परेशान है कि कोविड-19 को भारत ने बेहतर तरीके से कैसे हैंडल किया. कांग्रेस और अधिक लोगों को कोरोना का शिकार देखना चाहती है. यही वजह है कि लोगों के आवागमन को प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रही है. ऐसा होने पर संक्रमण और तेज गति से बढ़ेगा, जैसे इटली में हुआ था, क्या सोनिया गांधी यही चाहती हैं."

'कोई शर्त नहीं होती तो बेकाबू होती भीड़'

उधर, सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अगर ट्रेनों में सफर के लिए कोई शर्त नहीं होती, सबके लिए फ्री कर दिया गया होता तो स्टेशनों पर बेकाबू भीड़ उमड़ पड़ती जिसे संभालना मुश्किल होता. कोरोना वायरस के खतरे के बीच सभी लोगों को यात्रा के लिए प्रोत्साहित करना उचित नहीं है. यही वजह है कि जरूरतमंदों के लिए ही राज्य सरकार की मांग पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चल रहीं हैं. श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए भारतीय रेल किसी भी प्रवासी मजदूर को कोई टिकट बेच नहीं रही है. रेलवे राज्य सरकारों को ही टिकट दे रही है.

अमूमन सामान्य दिनों में ट्रेन यात्रा पर रेलवे 50 प्रतिशत सब्सिडी देती है. मगर इस समय रेलवे राज्य सरकारों से केवल 15 से 20 प्रतिशत खर्च ही ले रही है. राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना है कि सिर्फ जरूरतमंद लोग ही ट्रेनों में सफर करें. ऐसा न करने पर बेकाबू भीड़ उमड़ सकती है.

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