महाराष्ट्र में कोरोना संकट के बीच मेडिकल सुविधाओं के लिए सरकार नए-नए आदेश जारी कर रही है. वहीं, बीएमसी जनरल प्रैक्टिशनर और नर्सिंग होम को जल्द काम शुरू करने की चेतावनी दे रही है. बीएमसी उनके खिलाफ कार्रवाई करने की बात कह रही है. लेकिन इन सब के बीच मेडिकल सुविधाओं के लिए असल समस्या कुछ और ही है, जिस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है.
प्राइवेट अस्पताल के 80 प्रतिशत बेड अधिग्रहण करने के आदेश
महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. सरकारी अस्पतालों की स्थिति ऐसी है कि वहां मरीजों को रखना मुश्किल हो गया है. सरकारी अस्पतालों का लोड लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों के 80 प्रतिशत बेड को अधिग्रहित करने का आदेश जारी किया है. सरकार के इस फैसले से कोरोना मरीजों को राहत मिलने की उम्मीद है.
निर्धारित किया गया प्राइवेट अस्पतालों का चार्ज
सरकारी अस्पताल में मरीजों के भरने के बाद अब लोग प्राइवेट अस्पतालों की तरफ भाग रहे हैं. लेकिन वहां उनसे मनमाना चार्ज वसूला जा रहा है. इसके लिए सरकार के पास लगातार शिकायतें भी आ रही है. इसलिए सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों के बेड अधिग्रहित करने के साथ-साथ अस्पतालों के लिए चार्ज भी तय कर दिए हैं. आदेश के मुताबिक,
जनरल वार्ड में आइसोलेशन बेड के लिए 4,000 रुपये, ICU बेड बिन वेंटिलेटर के लिए 7,500 रुपये और वेंटिलेटर के साथ 9,000 रुपये तय कर दिया है.
हालांकि, इसमें PPE किट और दूसरे टेस्ट के रेट शामिल नहीं किए गए हैं. इसके पैसे मरीज को अलग से देने होंगे. लेकिन सरकार ने हिदायत दी है कि PPE किट का चार्ज खरीद कीमत से 10 प्रतिशत ही ज्यादा लिया जा सकता है.
जनरल प्रैक्टिशनर और नर्सिंग होम के लिए BMC का आदेश
सरकारी अस्पतालों पर कोरोना मरीजों का लोड बढ़ता जा रहा है. इसके लिए प्राइवेट अस्पताल भी अधिग्रहित किए जा रहे हैं. लेकिन इन सब के बीच कोरोना रहित मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. क्योंकि जनरल प्रैक्टिशनर और नर्सिंग होम अपना काम शुरू नहीं कर रहे हैं. इसके लिए BMC ने 20 मई को ही वार्ड ऑफिसर को आदेश जारी कर कहा था कि, जो जनरल प्रैक्टिशनर और नर्सिंग होम हैं वह जल्द काम शुरू करें. अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उन पर एफआईआर दर्ज की जाएगी.
क्या है असल समस्या?
BMC के आदेश को लेकर अस्पताल और डॉक्टरों का कहना है कि, कोरोना महामारी के दौर में डॉक्टरों के खिलाफ बीएमसी का रवैया ठीक नहीं हैं. प्राइवेट डॉक्टर संकट के समय अपनी सेवा पूरी ईमानदारी से दे रहे हैं. क्लिनिक शुरू करने के लिए PPE किट बड़ी समस्या है जो आसानी से नहीं मिल पा रही है. ऐसे में डॉक्टर और स्टाफ की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है, इसी वजह से जनरल प्रैक्टिशनर अपने अस्पताल नहीं खोल रहे हैं. मुंबई में कई मेडिकल स्टाफ भी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं, जिसके बाद अस्पतालों को बंद करना पड़ा है.
बता दें कि मुंबई में जनरल प्रैक्टिशनर डॉक्टर जो क्लिनिक चलाते हैं उनकी संख्या करीब 20 हजार है.
महाराष्ट्र काउंसिल ऑफ इंडिया मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. आशुतोष गुप्ता ने कहा कि, अस्पताल खोलने के लिए केवल PPE किट ही समस्या नहीं है, बल्कि क्लिनक स्टाफ भी उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. मुंबई में लॉकडाउन की वजह से ट्रांसपोर्ट सुविधा बंद है. कुछ बसें चलाई जा रही है लेकिन ये काफी नहीं है. क्लिनिक में काम करनेवाले ठाणे, नवी मुंबई, कल्याण और मीरा रोड में रहते हैं लेकिन बिना ट्रांसपोर्ट के काम पर पहुंचना मुश्किल है.
हालांकि, PPE किट को लेकर बीएमसी का कहना है कि हर क्लिनिक पर रोज दो PPE किट देने को तैयार है. इसे बढ़ाया भी जा सकता है. PPE किट की कोई समस्या नहीं है.
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