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Budget 2023 के 'जिन्न' से बेरोजगार, किसान और मिडिल क्लास की ख्वाहिश-रहम थोड़ा रहम

Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में केंद्रीय बजट 2023-24 पेश करने जा रही हैं

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भारत
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को संसद में केंद्रीय बजट 2023-24 (Budget 2023) पेश करने जा रही हैं और पूरे देश की नजर उनकी ओर है. खासकर देश के बरोजगार, किसान, महंगाई की मार झेल रहा मिडिल क्लास और छोटे व्यापारी मोदी सरकार 2.0 के आखिरी पूर्ण बजट से उम्मीद लगाए बैठे हैं. संसद में निर्मला ताई के बजट वाले लाल बहीखाते के खुलने के पहले भारत के इन्हीं उम्मीदों को एक साथ समझने और तौलने की कोशिश करते हैं.

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बेरोजगार

Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में केंद्रीय बजट 2023-24 पेश करने जा रही हैं

2014 के आम चुनावों के पहले बीजेपी और नरेंद्र मोदी ने हर साल करोड़ों रोजगार पैदा करने का वादा किया था लेकिन इस मोर्चे पर उसकी नाकामी की आलोचना होती रही. पिछले एक साल में ही सरकार ने अपनी अग्निपथ योजना के खिलाफ पूरे देश में छात्रों का गुस्सा देखा है. अर्थशास्त्रियों का एक वर्ग मानता है कि भारत की अर्थव्यवस्था 'रोजगार विहीन विकास' के रास्ते पर है. देश के बेरोजगारों के सामने बेरोजगारी पर सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के डराते आंकड़े हैं. वो उम्मीद कर रहे होंगे कि जब वित्त मंत्री बजट पेश करेंगी तो उसमें कंस्ट्रक्शन और MSME जैसे ज्यादा रोजगार पैदा करने वाले सेक्टरों का खास ख्याल रखेंगी.

किसान

Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में केंद्रीय बजट 2023-24 पेश करने जा रही हैं

2016 में पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का वादा किया था. यह वादा कितना पूरा हुआ इसपर तो साफ-साफ जवाब सरकार भी नहीं दे रही है लेकिन बजट 2023-24 में उसके पास इस दिशा में एक और कोशिश करने का मौका जरूर होगा. तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर आंदोलन करने वाले किसानों की मांग की फेहरिस्त लंबी है. उनकी एक उम्मीद यह भी है कि सरकार पीएम किसान योजना के तहत 6000 रुपये सलाना दिए जाने वाले रकम को बढ़ाकर 8000 रुपये करने का एलान कर दे.

हम पढ़ते आए हैं कि भारत गांवों में बसता है क्योंकि यहां का किसान वहां बसता है. लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि उसी गांव में शहरों की अपेक्षा ज्यादा महंगाई है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के डेटा के आधार पर हिंदू बिजनेसलाइन ने रिपोर्ट किया कि दिसंबर 2022 में ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों की तुलना में उच्च खुदरा मुद्रास्फीति थी.

ग्रामीण मजदूर

Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में केंद्रीय बजट 2023-24 पेश करने जा रही हैं

मनरेगा स्कीम कोरोना काल के दौरान ग्रामीण इलाकों में रोजगार देने वाला सबसे कागगर कार्यक्रम साबित हुआ था. लेकिन मनरेगा स्कीम में मिलने वाली दिहाड़ी शहरी मजदूरी की अपेक्षा अभी भी बहुत कम है. 'बाजार' और 'सरकार' की विफलताओं के कारण मनरेगा जैसी योजनाएं या फिर दूसरी नौकरी केंद्रित सामाजिक कल्याण योजनाएं काफी अहम रही हैं. अपने गांव में रहकर किसानी के साथ-साथ मजदूरी करने की आस लिए ग्रामीण मजदूर उम्मीद करेंगे की सरकार ऐसी योजनाओं पर खर्च बढ़ाए.

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मिडिल क्लास

Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में केंद्रीय बजट 2023-24 पेश करने जा रही हैं

महंगाई ने बीते एक साल में आम आदमी को सबसे ज्यादा परेशान किया- खासतौर से मिडिल क्लास को. क्या आटा-चावल, क्या खाने के तेल, पेट्रोल डीजल से लेकर CNG-PNG- सब तो महंगा हो गया है. सरकार ने दही, छाछ और लस्सी पर भी 5% GST लगा दिया है. दूसरी तरफ बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए केंद्रीय बैंक RBI ब्याज दर को बढ़ाए जा रहा है. इसका सीधा अगर होम लोन की ईएमआई पर पड़ा है.

मोदी सरकार ने अबतक इनकम टैक्स छूट की सीमा को 2.5 लाख रुपये से नहीं बढ़ाया है, जिसे 2014 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने पहले बजट में तय किया था.

 हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि मिडिल क्लास से होने के कारण उन्हें उनके दर्द का एहसास है. ऐसे में मिडिल क्लास चाहेगा कि वित्त मंत्री सिर्फ बयानों की घुट्टी न पिलाएं बल्कि टैक्स स्लैब में बदलाव कर सच में कोई राहत दें.

छोटे व्यापारी

Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में केंद्रीय बजट 2023-24 पेश करने जा रही हैं

भारत में छोटे व्यापारियों ने नोटबंदी, फिर GST, फिर कोरोना और अब रूस-यूक्रेन युद्ध से बेजान पड़ी सप्लाई चेन की चौतरफा मार झेली और उसके बाद बाउंसबैक किया है. भारत के 6.3 करोड़ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों का जीडीपी में योगदान 30 प्रतिशत का है और यह लगभग 11 करोड़ लोगों को रोजगार देता है. लेकिन एक सच्चाई यह है कि यह सेक्टर बड़े पैमाने पर असंगठित प्रकृति का है और बढ़ती ब्याज दर और रुकी पड़ी सप्लाई चेन ने उनके दर्द को बढ़ा रखा है.

छोटे व्यापारी उम्मीद कर रहे होंगे कि अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स कंपनियों से प्रभावित छोटे खुदरा क्षेत्र में व्यवसायों को पुनर्जीवित करने में सरकार मदद करेगी. यह ध्यान रखा जाए कि उन्हें अपने बिजनेस कैपिटल को बढ़ाने के लिए कम ब्याज दरों पर लोन उपलब्ध हो. उन्हें यह भी उम्मीद होगी कि सरकारी संस्थान उनके पेमेंट को न रोक कर रखें. 2022 में, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और विभागों के खिलाफ सूक्ष्म और लघु उद्यमों ने 7,128 करोड़ रुपये की 31,192 शिकायतें दर्ज कीं. लेकिन इनमें से 71 करोड़ रुपये के बकाये वाले केवल 1,056 आवेदनों को पास किया गया था. यह खुद MSME डैशबोर्ड पर विलंबित भुगतान निगरानी पोर्टल- समाधान का डेटा बता रहा है.

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