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एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की समयसीमा खत्म, टाटा ग्रुप रेस में

सरकारी एयरलाइंस कंपनी 'महाराजा' एयर इंडिया के विनिवेश के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) देने की अवधि खत्म

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सरकारी एयरलाइंस कंपनी 'महाराजा' एयर इंडिया के विनिवेश के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) देने की अवधि खत्म हो गई है. EoI देकर कंपनियां सरकारी फर्म को खरीदने की इच्छा जाहिर करती हैं. सोमवार को सूत्रों के हवाले से एयर इंडिया के लिए राहत की खबर आई है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक टाटा संस ने एयर इंडिया खरीदने की इच्छा जताई है. इसके अलावा एयरलाइंस कंपनी के कर्मचारी और अमेरिकी फर्म वाले समूह ने भी एयर इंडिया खरीदने के लिए इच्छा जताई है.

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एयरलाइंस खरीदने के लिए आवेदन करने की समयसीमा 14 दिसंबर शाम 5 बजे खत्म हो गई है. सरकार एयर इंडिया के आधिकारिक खरीदार का औपचारिक ऐलान सरकार 5 जनवरी को करेगी. ये सरकार की एयर इंडिया को बेचने की दूसरी कोशिश है. इसके पहले सरकार ने 2018 में एयर इंडिया को बेचने के भरसक कोशिश की थी, लेकिन तब कोई भी खरीदार नहीं मिल सका था.

डिपार्टमेंट ऑफ इंन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) के सचिव तुहिन पांडे ने बताया कि "एयर इंडिया के विनिवेश के लिए कई सारे एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट मिले हैं. अब ये प्रकिया दूसरे चरण में जाएगी."

इसके पहले सरकार ने एयर इंडिया में 76 परसेंट हिस्सेदारी साथ में कुछ कर्ज के हिस्से को बेचने का ऑफर रखा था. लेकिन इस बार सरकार पूरी 100 परसेंट हिस्सेदारी बेचने के लिए तैयार है.

टाटा ग्रुप ने भी जताई एयर इंडिया के खरीदने की इच्छा जताई: सूत्र

सूत्रों के मुताबिक देश के नामी कारोबारी ग्रुप टाटा ने एयर इंडिया को खरीदने की इच्छा जताई है. हालांकि ये बोली टाटा की एयरलाइंस विस्तारा या फिर एयर एशिया इंडिया के जरिए नहीं दी गई हैं. टाटा के प्रवक्ता ने इस पर कुछ भी कमेंट नहीं किया है.

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दूसरी बोली कर्मचारी और अमेरिकी फर्म के कंशोर्शियम ने लगाई

टाटा के अलावा एक और बोली एक कंशोर्शियम ने लगाई है. इसमें एयर इंडिया के कर्मचारी और अमेरिकी फर्म इंटरप्ट्स इंक शामिल है. फर्म के चेयरमैन लक्ष्मी प्रसाद ने अपनी फर्म की वेबसाइत पर इस बात की जानकारी दी है. इस ऑफर के तहत एयर इंडिया की 51 परसेंट हिस्सेदारी एयर इंडिया के एम्पलॉइ वाले समूह के पास होगी जिसमें कुछ बोर्ड मैंबर्स और 219 स्टाफर्स शामिल हैं. वहीं इंटरप्ट्स के पास 49 परसेंट हिस्सेदारी होगी, जो कि फाइनेंशियल पार्टनर की तरह काम करेगी.

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