भारत की अर्थव्यवस्था में लगातार कमजोरी के संकेत मिल रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष (2019-20) की दूसरी तिमाही में जीडीपी 4.5 फीसदी पर पहुंच गई है. यह छह साल की सबसे बड़ी गिरावट है. जुलाई-सितंबर के ये आंकड़े पहली तिमाही की जीडीपी से भी कम है. पहली तिमाही में जीडीपी पांच फीसदी दर्ज की गई थी.
इसके साथ ही अक्टूबर में आठ कोर इंडस्ट्रीज का उत्पादन 5.8 फीसदी घट गया. अक्टूबर में एकमात्र फर्टिलाइजर इंडस्ट्री में 11.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
कोयला इंडस्ट्री के उत्पादन में 17.6 फीसदी, कच्चे तेल में 5.1 फीसदी, प्राकृतिक गैस में 5.7 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. वहीं सीमेंट (- 7.7 फीसदी), इस्पात (- 1.6 फीसदी) और बिजली (- 12.4 फीसदी) का उत्पादन भी इस महीने के दौरान घट गया.
अभी अर्थव्यवस्था के सामने चुनौती है कि कैसे बाजार में डिमांड बढ़ाई जाए. साथ ही बाजार भी अभी सरकार की तरफ से फिस्कल घाटे को कम करने के लिए कदम उठाए जाने की उम्मीद कर रहा है.
SBI ने जताया था मंदी और गहराने का डर
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें दूसरी तिमाही में डीजीपी की वृद्धि दर सिर्फ 4.2 फीसदी आंकी गई थी. बैंक इसे ऑटोमोबाइल की कम बिक्री, एयर ट्रांसपोर्ट में मंदी, कोर सेक्टर की खस्ता हालत और बुनियादी ढांचे के निवेश में गिरावट को वजह मानता है. रिपोर्ट में कहा गया था कि वित्त वर्ष 2020 के लिए विकास का अनुमान अब 6.1 से घटकर महज पांच फीसदी रह गया है.
संसद में बुधवार को आर्थिक मंदी पर बहस के दौरान विपक्षी दलों ने कहा कि लाखों लोग अपनी नौकरी खो चुके हैं और देश को आर्थिक आपातकाल का सामना करना पड़ रहा है.
अपने जवाब में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती जरूर आई है, मगर यह मंदी नहीं है. इस दौरान उन्होंने आर्थिक विकास का समर्थन करने के लिए कई सरकारी उपायों का हवाला भी दिया.
कोर सेक्टर ने 14 साल में सबसे खराब प्रदर्शन किया है और सितंबर में यह 5.2 फीसदी सिकुड़ गया. अधिकारियों के अनुसार, इससे दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर प्रभावित हुई.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)