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पहाड़ों पर ऑपरेशन के उस्ताद थे CDS बिपिन रावत, कश्मीर से कांगो तक दिखाया शौर्य

देश के पहले CDS जनरल बिपिन रावत 40 से अधिक सालों से सेना में अपनी सेवाएं दे रहे थे.

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तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलिकॉप्टर क्रैश में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) और उनकी पत्नी मधुलिका की मौत हो गई है. हादसे में अब तक कुल 13 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है.

देश के पहले CDS जनरल बिपिन रावत 40 से अधिक सालों से सेना में अपनी सेवाएं दे रहे थे.

2019 में स्वतंत्रता दिवस के दौरान नरेन्द्र मोदी सरकार के द्वारा सेना का नया पद चीफ ऑफ डिफेंस बनाते हुए बिपिन रावत की नियुक्ति की घोषणा की गई थी.

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2016 में उन्हें सेना प्रमुख बनाया गया था. इस पद से रिटायर होने के बाद उन्होंने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की कमान संभाली थी.

चीफ डिफेंस स्टाफ वो अधिकारी होता है, जो थलसेना, नौसेना और वायुसेना तीनों के बीच तालमेल का कार्य करता है. इसी के साथ सीडीएस रक्षा मंत्री और गृहमंत्री का मुख्य सलाहकार भी होता है.

सेना में कैसे आए बिपिन रावत?

बिपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 16 मार्च, 1958 में हुआ था, उनके पिता लक्ष्मण रावत भी सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. स्कूली शिक्षा के बाद बिपिन रावत ने इंडियन मिलिट्री अकेडमी, देहरादून से अपनी स्टडी आगे बढ़ाई.

देहरादून में उनकी परफॉर्मेंस को देखते हुए उन्हें SWORD OF HONOUR से सम्मानित किया गया था.

इसके बाद वो पढ़ाई करने के लिए अमेरिका चले गए, वहां पर उन्होंने सर्विस स्टाफ कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. इसी के साथ उन्होंने हाई कमांड कोर्स भी किया था.

अमेरिका से वापस आने के बाद उन्होंने भारतीय सेना में शामिल होने का मन बनाया और उन्हें 1978 में 16 दिसंबर को गोरखा 11 राइफल्स की 5वीं बटालियन में शामिल किया गया. गोरखा में रहते हुए बिपिन रावत ने बारी-बारी सेना के कई पदों पर काम किया.

ऊंची जगहों के युद्ध में थे एक्सपर्ट

लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को ऊंची चोटियों की लड़ाईयों के लिए जाना जाता था. उन्होंने आतंकवादियों से लोहा लेने के लिए कई ऑपरेशन चलाए. बिपिन रावत ने नॉर्थ ईस्ट में चीन से लगे LAC पर एक इंफैंट्री बटालियन को कमांड किया.

इसके अलावा वो कश्मीर जैसे हॉटस्पॉट इलाके में राष्ट्रीय राइफल्स और इंफैंट्री डिवीजन के कमांडिंग ऑफिसर भी रह चुके हैं.

इस क्षेत्र में शानदार अनुभव होने की वजह से बिपिन रावत को काउंटर इंसर्जेंसी का एक्सपर्ट माना जाता था.
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बिपिन रावत 2008 में कांगो में UN Peacekeeping Operation में इंडियन ब्रिगेड के चीफ रहे. यहां पर उनके द्वारा किए गए काम के लिए काफी सराहना की गई.

यूनाइटेड नेशंस के साथ काम करते हुए उनको दो बार फोर्स कमांडर कमेंडेशन सम्मान से नवाजा गया.

जनरल बिपिन रावत को उनके सैन्य करिअर में परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, सैन्य सेवा मेडल, 30 Years Long सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, ऑपरेशन सेवा मेडल, ऑपरेशन पराक्रम मेडल, विदेश सेवा मेडल, स्पेशल सेवा मेडल जैसे कई बड़े अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया था.

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