केंद्र ने महाराष्ट्र, केरल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब, कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर कोरोना वायरस मामलों में बढ़ोतरी की वजह का पता लगाने के लिए उच्च-स्तरीय, मल्टी-डिसिप्लिनरी टीमें नियुक्त की हैं. न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, ये टीमें राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन के साथ काम करेंगी और संक्रमण के मामले बढ़ने की वजह का पता लगाएंगी.
इसके अलावा ये टीमें प्रशासन के साथ मिलकर ट्रांसमिशन चेन को तोड़ने जैसे जरूरी कदमों पर भी कोऑर्डिनेट करेंगी.
कई राज्यों में औसत रोजाना मामलों में आई तेजी
हालांकि, देशभर में कोरोना वायरस संक्रमण के सक्रिय मामले अभी भी 1.5 लाख से नीचे हैं. लेकिन महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में फरवरी की शुरुआत से मामलों की तादाद में एकदम से तेजी देखने को मिली है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, 12 राज्य ऐसे हैं जहां रोजाना औसत नए मामलों की संख्या 100 से ज्यादा है. इन राज्यों में महाराष्ट्र, केरल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब, कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, तेलंगाना और हरियाणा शामिल हैं. इनमें से केरल और महाराष्ट्र में पिछले एक हफ्ते से रोजाना 4000 से ज्यादा औसत नए केस सामने आए हैं.
23 फरवरी को महाराष्ट्र में 6,218 नए संक्रमण के मामले सामने आए थे. केरल में ये आंकड़ा 4,034 रहा.
म्युटेंट स्ट्रेन है वजह?
महाराष्ट्र, केरल और तेलंगाना में वायरस के म्युटेंट स्ट्रेन की मौजूदगी मिली है. लेकिन कहा जा रहा है कि संक्रमण के मामले बढ़ने के पीछे म्युटेंट स्ट्रेन नहीं है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि मामलों की तादाद में आई तेजी और म्युटेंट स्ट्रेंस के बीच वैज्ञानिक तरीके से कोई भी संबंध सामने नहीं आया है.
NITI आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने 23 फरवरी को कहा था, "जानकारी और उसके आकलन के आधार पर और भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) के बहुत विशिष्ट वैज्ञानिक सलाहकार समूह की समझ के मुताबिक, हम ये कहना चाहते हैं कि म्युटेंट स्ट्रेंस और संक्रमण के मामलों में आई तेजी के बीच संबंध नहीं हैं. हम जिम्मेदारी के साथ स्थिति को देखते रहेंगे."
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