कहते हैं बच्चे देश का भविष्य होते हैं. बच्चों को किसी भी मजबूत राष्ट्र की नींव का ईंट माना जाता है. भले ही बच्चे छोटे होते हैं, लेकिन राष्ट्र में सकारात्मक परिवर्तन करने की क्षमता रखते हैं. बाल दिवस का उत्सव उन अधिकारों की भी याद दिलाता है, जो बच्चों के लिए बनाये गए हैं. लेकिन आज भारत समेत दुनिया भर के तमाम देशों में उन अधिकारों का हनन हो रहा है और बच्चे शोषण का शिकार हो रहे हैं....उनसे उनका बचपन छीना जा रहा है.
आज बाल दिवस के मौके पर हम आपके लिए लाये हैं ये खास वीडियो, जिसमें भारत के नौनिहालों के दिल के अरमानों की बात कही गयी है. वो अरमान, जो सुनहरे सपने देखते हैं, वो अरमान, जो छूना चाहते हैं आसमान, वो अरमान जो बदलते भारत की तस्वीर बनना चाहते हैं. लेकिन इन बेशकीमती अरमानों को हकीकत में बदलने के लिए हम सबको मिलकर एक संकल्प लेना होगा, कि किसी भी कीमत पर अपने बच्चों से उनका बचपन, छिनने नहीं देंगे.
देखिये ये वीडियो, और विचार कीजिये कि उन बच्चों के चेहरों पर मुस्कान खिलाकर उनका बचपन वापस लौटाने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं, जो आज अपने अधिकारों से महरूम हैं....
क्यों मनाया जाता है बाल दिवस
बच्चे आने वाले कल के जिम्मेदार नागरिक हैं क्योंकि देश का विकास उन्हीं के हाथों में है. बच्चे कल के नेता हैं इसलिए उन्हें अपने अभिभावकों, शिक्षकों और परिवार के अन्य सदस्यों से आदर, विशेष देख-रेख और सुरक्षा की आवश्यकता है. बाल दिवस का उत्सव परिवार, समाज और देश में बच्चों के महत्व को याद दिलाता है. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहबाद में हुआ था. नेहरू जी का बच्चों से बड़ा स्नेह था और वे बच्चों को देश का भावी निर्माता मानते थे. बच्चों के प्रति उनके इस स्नेह भाव के कारण बच्चे भी उनसे बेहद लगाव और प्रेम रखते थे और उन्हें चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे. यही वजह है कि नेहरू जी के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है.
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