भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के रिश्तों से चीन घबराया हुआ है. सोमवार को चीन ने कहा है कि ये चार देश मिलकर उसे अपना निशाना नहीं बनाएं. साथ ही कहा है कि अमेरिकी पहल पर इन देशों के लिए लाए गए हिंद-प्रशांत प्रस्ताव का इस्तेमाल किसी भी पक्ष को दरकिनार करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
इन चारों देश के नेताओं ने की है मुलाकात
चीन की इस टिप्पणी से एक दिन पहले इन चारों देशों के नेताओं ने मनीला में दक्षिण एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के शिखर सम्मेलन से अलग मुलाकात कर मुक्त, खुले, समृद्ध और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए काम करने का फैसला किया था.
चीन ने कहा कि अमेरिका की पहल पर इन देशों के लिए लाए गए हिद-प्रशांत प्रस्ताव का इस्तेमाल मुद्दे के राजनीतिकरण के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
प्रस्ताव खुला होना चाहिए: चीन
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिंग शुआंग ने कहा, "प्रस्ताव खुला और समावेशी होना चाहिए, सभी के लिए फायदेमंद और सहयोग के अनुकूल होना चाहिए और इसका राजनीतिकरण करने या कुछ पक्षों को अलग-थलग करने से बचना चाहिए.’’ गेंग के अनुसार,
चीन की विदेशी नीति के तहत हम इन देशों के बीच दोस्ताना सहयोग के विकास का स्वागत करते हैं और हमें उम्मीद है कि इस तरह के संबंध किसी भी तीसरे पक्ष के खिलाफ नहीं हैं. हम आशा करते हैं कि ये संबंध क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के अनुकूल होंगे.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हिंद महासागर में भारत को शामिल करने के साफ संकेत के तौर पर 'हिंद-प्रशांत' शब्द का बार-बार इस्तेमाल कर रहे हैं. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका, भारत, जापान और आस्ट्रेलिया की मदद से चीन पर नियंत्रण बनाना चाहता है. बता दें कि रविवार को आसियान शिखर सम्मेलन के इतर पहली बार चार देशों के प्रतिनिधियों ने एक साथ मुलाकात की थी.
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