"भारत की सीमा से लगे इलाके में चीन (China) का बुनियादी ढांचा बनाना खतरनाक है." ये बातें अमेरिकी सेना के एक सीनियर जनरल चार्ल्स ए. फ्लिन ने बुधवार को कहा है.
नई दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए, यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी पैसिफिक के कमांडिंग जनरल चार्ल्स ए फ्लिन ने कहा, “मेरा मानना है कि गतिविधि का स्तर आंखें खोलने वाला है. मुझे लगता है कि वेस्टर्न थिएटर कमांड में जो बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है, वह चिंताजनक है.”
उन्होंने कहा, "उनके सभी सैन्य शस्त्रागार की तरह, किसी को यह सवाल पूछना होगा: क्यों? ... उनके इरादे क्या हैं?"
भारत और चीन के बीच लद्दाख गतिरोध को हल करने के लिए सैन्य और कूटनीतिक बातचीत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा,
“मुझे लगता है कि जो बातचीत हो रही है वह मददगार है, लेकिन व्यवहार यहां भी मायने रखता है. इसलिए, मुझे लगता है कि वे जो कह रहे हैं उसे समझना एक बात है, लेकिन जिस तरह से वे कार्य कर रहे हैं और व्यवहार कर रहे हैं वह चिंता का विषय है."
उन्होंने कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना "आज वे जो कर रहे हैं, वे एक वृद्धिशील और कपटी रास्ता अपनाते हैं ... अस्थिर करने वाले, और इस क्षेत्र में उनके द्वारा पेश किया जाने वाला जबरदस्त व्यवहार" "मददगार नहीं है."
बता दें कि भारत और चीन के सशस्त्र बलों के बीच पांच मई, 2020 से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनावपूर्ण संबंध बने हुए हैं, जब पैंगोंग त्सो क्षेत्रों में दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसके अलावा ये भी खबरें आती रही हैं कि चीन भारत से लगे सीमावर्ती इलाकों में सड़कें और रिहायशी इलाके जैसे बुनियादी ढांचे भी स्थापित करता रहा है.
फ्लिन ने यह भी बताया कि 2014 और 2022 के बीच चीन का व्यवहार कैसे बदला है। उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन का अस्थिर और कटू व्यवहार मददगार नहीं है
भारत और मेरिका के संबंध पर उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका जैसे देश आपस में मिलकर काम कर रहे हैं, संयुक्त अभ्यास कर रहे हैं जिससे इंटरऑपरेबिलिटी में सुधार हो. उन्होंने कहा कि युद्ध अभ्यास, अगला संयुक्त अभ्यास, अक्टूबर में भारत में 9,000-10,000 फीट की ऊंचाई पर एक उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र में आयोजित किया जाएगा. यह अभ्यास लद्दाख की तरह की स्थितियों में होगा जहां भारत और चीन दो साल से अधिक समय से सैन्य गतिरोध में शामिल हैं.
उन्होंने कहा, "सैनिक, सामरिक और परिचालन प्रथाओं के इस साझाकरण से किसी भी संकट का जवाब देने के लिए हर किसी की तत्परता बढ़ जाती है" और इसका "पूरे क्षेत्र में निवारक प्रभाव" होता है. उन्होंने इसे "एक दूसरे के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करने" का एक तरीका बताया.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)