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न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा हर हाल में जरूरीः CJI रमना

जस्टिस रमना ने कहा कि हमें विरासत में एक विभाजित समाज मिला है.

Published
भारत
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चीफ जस्टिस सीवी रमना (CJI RAMANA) ने रविवार को राष्ट्र की बेहतरी में संवैधानिक अदालतों की भूमिका का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि स्वतंत्र रूप से काम करने की क्षमता और विपरीत परिस्थितियों में साहस दिखाना भारतीय न्यायपालिका का चरित्र दिखाता है. उन्होंने कहा कि हर हाल में हमें न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा करनी होगी.

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''हर हाल में न्यायपालिका की स्वंतत्रता को बचाना होगा''

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सीजेआई ने न्यायपालिका के संरक्षण और बचाव पर जोर देते हुए कहा, ''हर स्तर पर न्यायपालिका के संरक्षण, बचाव और प्रोत्साहन से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है.'' चीफ जस्टिस दिल्ली में नैशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस कार्यक्रम में देशभर के हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और अन्य जज मौजूद थे.

उन्होंने कहा, ''संविधान को बचाने की हमारी क्षमता ही हमारे त्रुटिहीन चरित्र को बचाए रखती है. इसके अलावा लोगों के भरोसे पर खरा उतरने का कोई और रास्ता हमारे पास नहीं है.''
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विरासत में मिला एक बंटा हुआ समाज- जस्टिस रमना

जस्टिस रमना ने आगे कहा कि स्वतंत्र भारत में हमें एक उपनिवेश से जुड़े बीते हुए कल के कारण काफी बंटा हुआ समाज विरासत में मिला है. क्या करना है और क्या नहीं, यह अभी भी वास्तविकता है. चाहे कितनी भी प्यारी घोषणाएं हम कर लें, गरीबी, असमानता और आभाव के कारण ये सभी बेकार होंगे.''

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