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यूपी समेत कई राज्यों में विपक्षी गठबंधन तय, PM का फैसला बाद में

कांग्रेस के हाई लेवल सोर्स के मुताबिक, अभी सीटों का तय होना बाकी है.

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भारत
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2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ मजबूत गठबंधन बनाने के लिए विपक्षी दलों के बीच व्यापक सहमति बन गई है. लेकिन प्रधानमंत्री पद के बारे में फैसला चुनाव नतीजों के बाद होगा. कांग्रेस पार्टी के हाई लेवल सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में गठबंधन के लिए एसपी, बीएसपी और बीजेपी विरोधी कई दूसरे दलों के बीच ‘रणनीतिक सहमति’ बन गई है. दावा है कि इस गठबंधन के बाद बीजेपी को यूपी में 5 सीटें भी हासिल नहीं होंगी.

कांग्रेस सूत्रों ने ये भी दावा किया कि आगामी लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और कई दूसरे राज्यों में पार्टी की लोकसभा सीटों में काफी इजाफा होगा.

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कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक:

उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में ‘सही से’ गठबंधन हो गया, तो बीजेपी सत्ता में नहीं लौटने वाली. लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद के लिए चेहरा पेश करने के सवाल पर सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस फिलहाल दो चरणों में काम कर रही है. पहला चरण सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाकर बीजेपी और नरेंद्र मोदी को हराने का है. दूसरे चरण में सीटों के आधार पर ये तय किया जाएगा कि पीएम किस पार्टी का और कौन होगा. यानी चुनाव के बाद ये तय होगा कि पीएम की कुर्सी कौन संभालेगा.

रायबरेली से सोनिया का लड़ना तय नहीं

राहुल गांधी इस बार भी यूपी के अमेठी से ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. लेकिन सूत्रों के मुताबिक रायबरेली से सोनिया गांधी या प्रियंका गांधी में से कौन चुनाव लड़ें, इस बात पर अभी परिवार में चर्चा नहीं हुई है.

शिवसेना से गठबंधन नहीं

एनडीए की सहयोगी शिवसेना पिछले कुछ सालों से बीजेपी से नाराज दिख रही है. तकरीबन हर मुद्दे पर वो बीजेपी और सरकारी नीतियों का विरोध करती आई है, वहीं राहुल गांधी की तारीफ भी करती दिख रही है. ऐसे में शिवसेना के साथ तालमेल की संभावना के सवाल पर कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि हमारा गठबंधन सिर्फ समान विचाराधारा वाले दलों के साथ हो सकता है. शिवसेना और कांग्रेस की विचाराधारा अलग है, इसलिए उसके साथ गठबंधन नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के बीच पुराना गठबंधन है और वो आगे जारी भी रहेगा.

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MP, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में CM चेहरा नहीं देंगे

इसी साल होने जा रहे मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस सीएम चेहरे का ऐलान नहीं करेगी. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी और तीनों राज्यों में सरकार बनाएगी.

दरअसल, इन राज्यों में कांग्रेस नेतृत्व के बीच मतभेद की खबरें आते रहती हैं. ऐसे में चुनाव से पहले चेहरे का ऐलान कर पार्टी कोई जोखिम उठाना नहीं चाहती.

‘बीजेपी को इन मुद्दों पर घेरना है’

कांग्रेस का मानना है कि 2019 के चुनाव में बीजेपी पूरी तरह से ध्रुवीकरण की कोशिश करेगी, हिंदू-मुस्लिम के मुद्दों पर चुनाव और बहस को मोड़ा जाएगा. ऐसे में कांग्रेस, सरकार को मुद्दों पर घेरने की तैयारी में है.

कांग्रेस का ज्यादा जोर रोजगार, भ्रष्टाचार और किसानों के मुद्दे पर होगा. हाल के दिनों में जिस तरीके से कांग्रेस और खुद राहुल गांधी ने राफेल मुद्दे पर बीजेपी और मोदी सरकार पर ताबड़तोड़ हमले किए हैं, उससे ये साफ है कि आने वाले दिनों में ये वार सधे हुए और तेज होंगे. 

बैंकिंग घोटालों पर भी कांग्रेस हमला तेज करने की तैयारी में है. कांग्रेस का कहना है कि पीएनबी घोटाले के आरोपी चौकसी पर PMO को शिकायत मिलने के बाद भी कुछ नहीं हुआ, उसे क्लीनचिट मिली और भाग गया. बिना सिस्टम के सहयोग के ऐसा कैसा हो सकता है.

‘प्रधानमंत्री को बहस की चुनौती’

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस आलाकमान का मानना है कि जटिल मुद्दों पर प्रधानमंत्री की समझ कम है और वो खुली बहस नहीं कर सकेंगे.

ऐसे में राहुल गांधी, प्रधानमंत्री को कभी भी बहस की चुनौती दे सकते हैं.

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‘पप्पू कौन है, सबने देखा’

कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव के दिन जो कुछ हुआ उससे साबित हो गया कि 'पप्पू' कौन है. सूत्रों के मुताबिक, पार्टी आलाकमान का कहना है कि ये पूरे देश ने देख लिया कि संसद में कौन सवालों के जवाब नहीं दे पा रहा था और 'पप्पू' कौन है.

मानसरोवर यात्रा पर नहीं जाने के सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि ये आस्था का सवाल है, जब भी बुलावा आएगा वो जरूर पहुंचेंगे. वहीं राम मंदिर मुद्दे के कोर्ट में होने का हवाला देते हुए कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

‘EVM का विरोध जारी रहेगा’

2019 लोकसभा चुनाव ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से कराने की मांग को लेकर 17 दलों के प्रतिनिधि अगले हफ्ते चुनाव आयोग से मिल सकते हैं. कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि EVM पर सभी विरोधी दल मिलकर चर्चा कर रहे हैं और एकजुट होकर ही फैसला लेंगे.

कांग्रेस का ये भी सवाल है ईवीएम में जब भी गड़बड़ी होती है, तो वोट कमल को ही क्यों जाता है, बीएसपी या किसी दूसरी पार्टी को क्यों नहीं?

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