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सेना बुलाई जाए,प्रवासी संकट से निपटने में रेलवे अक्षम: कांग्रेस

कांग्रेस ने इस समस्या से निपटने के लिए मल्टी-नोडल एजेंसी की मांग की

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औरंगाबाद में रेल पटरी पर सो रहे 16 प्रवासी मजदूरों की कटकर मौत हो जाने के दुखद रेल हादसे के बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि रेलवे ने साबित कर दिया है प्रवासी संकट से निपटने में वह अयोग्य है. इसके साथ ही कांग्रेस ने इस समस्या से निपटने के लिए मल्टी-नोडल एजेंसी की मांग की. प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर बीजेपी और विपक्ष के बीच राजनीतिक तनातनी के बीच कांग्रेस ने इस मौके का फायदा उठाते हुए सरकार पर हमला कर दिया.

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'मल्टी-नोडल एजेंसी का गठन किया जाए'

एआईसीसी के कोषाध्यक्ष और सोनिया गांधी के करीबी सहयोगी अहमद पटेल ने मांग की है कि "मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि प्रवासियों के राहत और बचाव के लिए एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के तहत एक मल्टी-नोडल एजेंसी का गठन किया जाए."

“अगर इस मानवीय संकट का हल करने के लिए सशस्त्र बलों के सहयोग की आवश्यकता भी पड़े तो उनकी मदद लेनी चाहिए, क्योंकि यह स्पष्ट हो गया है कि रेल मंत्रालय इस समस्या से निपटने में अयोग्य है.”
सोनिया गांधी

प्रवासी मजदूरों को लेकर बीजेपी-कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा यह घोषणा किए जाने के बाद कि पार्टी प्रवासियों के टिकट का खर्च उठाएगी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच की राजनीति गरमा गई है, वहीं बीजेपी का आरोप लगाया है कि कांग्रेस देश को गुमराह कर रही है.इसके साथ ही प्रवासियों को राहत देने के लिए कांग्रेस की राज्य इकाइयों ने भी कमर कस ली है.

झारखंड से रविवार को कई लोगों को बिहार भेजा गया. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी आर.पी.एन. सिंह ने कहा, "बोकारो में फंसे बिहार और कुशीनगर के मजदूरों को अपने घर वापस भेजने के लिए परिवहन साधन का इंतजाम किया गया था, वह भी नि:शुल्क. वे घर वापसी के लिए रास्ते में हैं. उनकी यात्रा सुरक्षित और आरामदायक हों."

कांग्रेस द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा उप्र सरकार से टिकटों की कीमत का भुगतान करने के लिए प्रवासियों की सूची मांगे जाने के बाद से राजनीति के गलियारे में यह मुद्दा गरमा गया है.

ममता बनर्जी और केंद्र की चल रही है अनबन

प्रवासियों पर राजनीति और भी गर्म तब हो गई, जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाते हुए एक पत्र लिखा कि केंद्र की दो लाख से अधिक प्रवासियों की घर वापसी में मदद करने की योजना है, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार 'सहयोग नहीं कर रही है', इसी वजह से पश्चिम बंगाल सरकार प्रवासियों को राज्य तक पहुंचाने वाली ट्रेनों की अपने राज्य से होकर जाने की अनुमति नहीं दे रही है.

शाह ने पत्र में कहा था, “यह प्रवासी मजदूरों के साथ अन्याय है. इससे उन्हें और अधिक कष्ट होगा.”

शाह के इस आरोप पर तृणमूल के लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा,

“गृह मंत्री इस संकट के दौरान अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असफल रहे हैं, वहीं कई हफ्तों के बाद उन्होंने मौन भी तोड़ा तो सिर्फ लोगों को गुमराह करने के लिए झूठ ही कहा. विडंबना यह है कि वह उन बहुत से लोगों के बारे में बात कर रहे हैं, जिन्हें उनकी सरकार ने उनके भाग्य के भरोसे पर छोड़ दिया है. श्री अमित शाह या तो आप अपने फर्जी आरोप साबित करें या माफी मांगें.”

वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने भी कहा, "आखिरकार गृहमंत्री ने 40 दिनों के बाद प्रवासियों के मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ने का फैसला कर ही लिया, वह भी तब जब 55 से अधिक मजदूरों की मौत हो चुकी है. सबसे पहली बात तो उन्हें गुजरात और कर्नाटक (बीजेपी सरकार) को इसी तरह का पत्र लिखना चाहिए, जो मजदूरों को रोक रहे हैं. दूसरी बात, बंगाल सरकार को प्रवासी मजदूरों को घर वापस भेजने में मदद करनी चाहिए."

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