भारत सरकार ने एक बार फिर कोरोना वैक्सीनेशन पॉलिसी बदल दी है. या यूं कहा जाए कि यू-टर्न ले लिया है. नरेंद्र मोदी सरकार ने 18+ के लिए वैक्सीनेशन खोलने के समय वैक्सीन खरीद की जिम्मेदारी राज्य सरकारों के कंधे पर डाल दी थी. लेकिन 7 जून को प्रधानमंत्री मोदी ने देश के नाम संबोधन में ये जिम्मेदारी केंद्र में वापस ले ली. वैक्सीन पहले भी फ्री दी जा रही थीं, अब भी फ्री मिलेंगी, सिर्फ प्राइवेट अस्पतालों में पैसे देकर वैक्सीन मिलेगी.
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में ऐसा दिखाने की कोशिश की थी कि राज्यों की गलती से वैक्सीनेशन धीमा चल रहा है और अब केंद्र सरकार इसे ठीक करने का बीड़ा उठाएगी.
राज्यों की वैक्सीन खरीद पर पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि कई राज्यों ने मांग की थी. राज्यों ने वैक्सीन की कमी की शिकायत जरूर की थी, लेकिन किसी राज्य ने खुद वैक्सीन खरीदने की इच्छा जताई हो, ऐसी जानकारी नहीं है.
वैक्सीन नीति को लेकर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट से भी फटकार पड़ रही थी. कोर्ट पॉलिसी को 'तर्कहीन' बता चुका था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि अलग-अलग वैक्सीन दाम क्यों हैं, राज्यों को वैक्सीन महंगी क्यों मिल रही है, केंद्र क्यों वैक्सीन नहीं खरीद रहा.
अब आखिरकार वैक्सीन पॉलिसी सही रास्ते पर आती दिखती है, लेकिन ये कितनी बार बेपटरी हुई और इसमें क्या तब्दीलियां हुईं, हम बता रहे हैं पूरा ब्योरा:
- देश में 16 जनवरी से कोरोना वैक्सीनेशन शुरू हुआ था. पहले केंद्र ने सिर्फ 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने का लक्ष्य रखा था. ये लोग हेल्थकेयर वर्कर, फ्रंटलाइन वर्कर थे.
- मोदी सरकार ने कहा कि इनके वैक्सीनेशन का खर्च केंद्र सरकार उठाएगी. वैक्सीनेशन कई चरणों में बांटा गया. मतलब कि शुरुआत हेल्थकेयर वर्कर्स के साथ हुई थी और फिर 1 मार्च से इसे 60+ और दूसरी बीमारियों वाले 45+ आयु समूह के लिए खोल दिया गया.
- केंद्र सरकार की योजना पहले के कुछ महीने फ्रंटलाइन और प्राथमिकता समूहों को वैक्सीन देने की थी. लेकिन पीएम मोदी ने 1 मई से कोरोना वैक्सीनेशन सभी वयस्कों के लिए खोल दिया. ये वैक्सीनेशन पॉलिसी में बड़ा बदलाव था.
- ये वो समय था जब कोरोना की दूसरी वेव से हर दिन लाखों केस आ रहे थे. ऐसे समय में सभी वयस्कों के लिए वैक्सीनेशन तो खोला गया लेकिन वैक्सीन सप्लाई पर ध्यान नहीं दिया गया.
- भारत सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट की covishield को मंजूरी मिलने से पहले तक कोई एडवांस ऑर्डर नहीं दिया था. पहला ऑर्डर 1.5 करोड़ वैक्सीन का था. इसके बाद सरकार ने छोटे-छोटे बैच में ऑर्डर दिया है. केंद्र ने मई से सबके लिए वैक्सीनेशन तो खोल दिया लेकिन सप्लाई जून से पहले नहीं बढ़नी थी.
- 1 मई से 18+ के वैक्सीनेशन के लिए राज्यों से कहा गया कि वो वैक्सीन सीधे मैन्युफेक्चरर से खरीदें. केंद्र ने अपनी नई पॉलिसी में कहा कि मैन्युफेक्चरर अपने प्रोडक्शन का 50 फीसदी केंद्र को देंगे और बाकी राज्य खरीद सकेंगे. लेकिन कोर्ट में एक हलफनामे में केंद्र ने सफाई दी कि 50 फीसदी केंद्र लेगा, 25 फीसदी राज्य और बाकी 25 फीसदी प्राइवेट अस्पताल.
- केंद्र इस दौरान भी राज्यों को 45+ के लिए मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध करा रहा था. पर राज्यों के लिए वैक्सीन खरीद मुश्किल थी. साथ ही राज्यों में आपस में खरीदारी की होड़ लग गई. सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक बढ़ी हुई डिमांड और नई पॉलिसी के अनुरूप तैयार भी नहीं थे.
- मई के पहले हफ्ते में कई राज्यों ने 18+ का वैक्सीनेशन बंद कर दिया था. जिन राज्यों में चल रहा था, वहां रफ्तार बहुत धीमी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान स्वतः संज्ञान लिया और केंद्र से वैक्सीनेशन पॉलिसी की समीक्षा करने को कहा.
- अब केंद्र सरकार ने एक बार फिर पॉलिसी में बदलाव कर 18+ के लिए फ्री वैक्सीन देने और खुद ही इसकी खरीद का ऐलान किया है. महामारी के दौर में इतनी बार पॉलिसी बदलना, यू-टर्न लेना लोगों के स्वास्थ्य के साथ खेलने के बराबर है.
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