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संक्रमण में अमेरिका से आगे भारत, आंध्र-कर्नाटक चिंता का सबब

भारत में आंध्र प्रदेश ने 50 हजार से 1 लाख तक कोविड संक्रमण के स्तर को छूने में सभी प्रदेशों को पीछे छोड़ दिया है.

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भारत ने कोरोना वायरस के दैनिक संक्रमण में दुनिया में नंबर वन की पोजिशन बना ली है. देश में कोरोना के मरीजों का आंकड़ा 18 लाख पहुंच चुका है. हालांकि अमेरिका में कोविड-19 का संक्रमण 48 लाख से ज्यादा है और वह टॉप पर है, मगर खतरनाक बात यह है कि भारत में कोरोना संक्रमण के फैलने की गति अमेरिका से भी तेज होती दिख रही है. अमेरिका को 10 लाख से 18 लाख कोविड संक्रमण का स्तर छूने में 33 दिन लगे थे, जबकि भारत ने यह सोपान महज 18 दिन में छू लिया है.

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भारत में 18 मई को कोरोना संक्रमण का मामला 1 लाख पहुंचा था. 16 जुलाई तक 10 लाख तक पहुंचने में 30 दिन लगे थे. वहीं, अमेरिका ने 32 दिन में यह दूरी तय की थी. अमेरिका में 27 मार्च को 1 लाख संक्रमण पहुंचा था. 27 अप्रैल को अमेरिका 10 लाख के मुकाम पर खड़ा था.

यानी 10 लाख के आंकड़े तक की तुलना करें तो अमेरिका के मुकाबले भारत 2 दिन बेहतर था. मगर, उसके बाद भारत में कोरोना का संक्रमण अधिक तेज दिखने लगा है.
भारत में आंध्र प्रदेश ने 50 हजार से 1 लाख तक कोविड संक्रमण के स्तर को छूने में सभी प्रदेशों को पीछे छोड़ दिया है.

भारत में आंध्र प्रदेश ने 50 हजार से 1 लाख तक कोविड संक्रमण के स्तर को छूने में सभी प्रदेशों को पीछे छोड़ दिया है. 20 जुलाई से 27 जुलाई के बीच महज 8 दिन में आंध्र ने यह मुकाम हासिल कर लिया है. अगले 6 दिन में यानी 1 अगस्त तक आंध्र ने डेढ़ लाख का आंकड़ा पार कर दिखाया है. इस तरह महज 14 दिन के भीतर आंध्र प्रदेश में 1 लाख से ज्यादा कोरोना मरीज मिले हैं. 3 अगस्त तक यहां कोरोना संक्रमण 1,66, 586 पहुंच चुका है.

50 हजार संक्रमण से 1 लाख होने में सबसे तेज गति रहने वाले प्रदेशों में कर्नाटक है. इसने इसके लिए 16 जुलाई से 28 जुलाई तक कुल 13 दिन का वक्त लिया है. इन प्रदेशों में कोरोना की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि देश में सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित महाराष्ट्र और तमिलनाडु को 20 दिन का वक्त लगा था. तीसरे नंबर पर दिल्ली है, जहां 19 जून से 6 जुलाई के बीच 18 दिन में 50 हजार से 1 लाख कोविड संक्रमण पहुंचा था.

भारत में आंध्र प्रदेश ने 50 हजार से 1 लाख तक कोविड संक्रमण के स्तर को छूने में सभी प्रदेशों को पीछे छोड़ दिया है.
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अगर कोरोना संक्रमण के 10 हजार से 50 हजार के आंकड़े तक पहुंचने की बात करें, तो भारत ने इसमें 13 अप्रैल से 6 मई तक 24 दिन का समय लिया था. भारतीय प्रदेशों की बात करें तो इस मुकाम तक पहुंचने में सबसे तेज कर्नाटक है, जिसने 23 दिन में यह दूरी तय कर ली है. वहीं, उत्तर प्रदेश की स्थिति बाकी प्रदेशों से बेहतर है जिसे देश का सबसे अधिक आबादी वाला प्रदेश होने के बावजूद इस मुकाम तक पहुंचने में 45 दिन लगे हैं.

कर्नाटक के बाद महाराष्ट्र है, जिसे 10 से 50 हजार तक कोविड-19 संक्रमण के मुकाम तक पहुंचने में 25 दिन लगे थे और वह देश में सबसे बड़ा कोरोना संक्रमित है. यह स्थिति बताती है कि कोरोना का बड़ा हब होने के हिसाब से महाराष्ट्र को भी पीछे छोड़ सकता है कर्नाटक.

हालांकि, आंध्र प्रदेश अलग किस्म का उदाहरण पेश कर रहा है, जिसे 27 दिन लगे हैं 10 से 50 हजार तक पहुंचने में. लेकिन, उसके आगे इसकी गति इतनी तेज हो चुकी है कि ऐसा लग रहा है कि यह सभी प्रदेशों को पीछे छोड़ देगा. जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है कि महज 8 दिन में आंध्र प्रदेश ने कोरोना संक्रमण में लाख से डेढ़ लाख का स्तर हासिल कर लिया है. तेलंगाना और बिहार भी कोरोना के नए उभरते हुए खतरनाक केंद्र हैं, जिन्होंने 30 दिन में 10 हजार से 50 हजार का स्तर हासिल किया है.

भारत में आंध्र प्रदेश ने 50 हजार से 1 लाख तक कोविड संक्रमण के स्तर को छूने में सभी प्रदेशों को पीछे छोड़ दिया है.
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भारत में संक्रमण के तेज होने की वजह नए-नए प्रदेशों में संक्रमण का तेजी से विस्तार है. टेस्टिंग में सुधार के बावजूद तेज संक्रमण की वजह यह नहीं है. आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार जैसे प्रदेशों में टेस्टिंग की स्थिति संतोषजनक नहीं है. वहीं, महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु जैसे प्रदेश टेस्टिंग में आगे हैं. फिर भी कोरोना संक्रमण की गति इन प्रदेशों में सामान्य है. जबकि, नए-नए प्रदेश इनसे मुकाबला करते दिख रहे हैं.

अमेरिका जब कोरोना संक्रमण के मामले में 18 लाख के स्तर पर था, तब वहां प्रति दिन कोरोना संक्रमण के मामले 25,699 था. वहीं भारत में 2 अगस्त को इसी मुकाम पर दैनिक संक्रमण 52, 672 हो चुका है.

साफ है कि तेज संक्रमण के मामले में भारत नए और खौफनाक कीर्तिमान की ओर बढ़ रहा है. 9 जुलाई से 2 अगस्त के बीच 25 दिन में भारत में कोरोना का संक्रमण 9 लाख से दुगुना 18 लाख हो चुका है. तेज संक्रमण को देखते हुए 18 को 36 लाख होने में 3 हफ्ते से अधिक समय नहीं लगेगा. हो सकता है कि इससे भी कम समय लगे. ऐसे में कोरोना संक्रमण के मामले में भारत शीर्ष स्थान पर बढ़ने की ओर अग्रसर है.

अब भी अगर देश में यह बात कही जा रही है कि कोरोना से लड़ाई में भारत औरों से बेहतर है, तो इसकी वजह मौत के आंकड़े हैं. मगर, इस मामले में भी भारत 5वें स्थान पर पहुंच चुका है. मौत के आंकड़ों की गति पर नजर डालें तो 4 जुलाई से 3 अगस्त के बीच 31 दिन में यह 19 हजार से डबल 38 हजार पार कर चुका है. अमेरिका में इसी मुकाम पर मौत का आंकड़ा 1 लाख पार कर चुका था. जबकि, ब्राजील में 70 हजार लोगों क मौत हो चुकी थी, जब वहां संक्रमण 18 लाख पहुंचा था.

सवाल यह है कि भारत में मौत के आंकड़े कम हैं, तो क्या इसकी वजह यह है कि अस्पतालों में व्यवस्था अच्छी है? यह दावा अब तक भारत सरकार ने भी नहीं किया है. जो रिकवरी के आंकड़े हैं, उन्हें समझने के लिए दिल्ली का उदाहरण काफी होगा जहां अस्पतालों से ज्यादा अपने-अपने घरों में लोगों ने कोरोना से लड़ाई लड़ी है. इस बात का महत्व जरूर है कि टेस्टिंग और ट्रेसिंग से कोरोना के इलाज में आसानी होती है और संक्रमण को नियंत्रण करने में मदद मिलती है.

भारत में टेस्टिंग का आंकड़ा 2 करोड़ पार कर चुका है. चीन, अमेरिका और रूस के बाद भारत टेस्टिंग के मामले में चौथे नंबर पर है. यह बड़ी उपलब्धि जरूर है. मगर, प्रति 10 लाख आबादी पर टेस्टिंग के मामले में भारत अब भी 14,627 के आंकड़े के साथ दुनिया में 128वें नंबर पर खड़ा है. यह स्थिति बताती है कि आने वाले समय में भारत को कोरोना संक्रमण की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.

(प्रेम कुमार जर्नलिस्‍ट हैं. इस आर्टिकल में लेखक के अपने विचार हैं. इन विचारों से क्‍व‍िंट की सहमति जरूरी नहीं है.)

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