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क्या पांच चुनावी राज्यों में कोरोना का प्रकोप नहीं है? ये है सच

चुनावी रैलियों में न सोशल डिस्टेंसिंग का कोई ख्याल रखा जाता है और न ही कोविड प्रोटोकॉल का

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हाल ही में पश्चिम बंगाल के चिकित्सकों के संगठन वेस्ट बंगाल डॉक्टर्स फोरम ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर प्रदेश में चल रहे प्रचार अभियानों पर रोक लगाने की मांग की थी. दलील दी गई थी कि चुनाव अभियानों में किसी भी तरह सोशल डिस्टेंसिंग और कोविड प्रोटोकॉल का ख्याल नहीं रखा जा रहा है. एक महीने के भीतर कोरोना के दस गुना ज्यादा मामले मिल रहे हैं. कोरोना के चलते प्रदेश में हालात बदतर होते जा रहे हैं. रोक नहीं लगाई गई तो मामला हाथ से निकलने का डर है.

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अमित शाह पश्चिम बंगाल के रानाघाट दक्षिण, बसिरहाट दक्षिण से लेकर 24 परगना में चुनावी रैली और कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं और सीएम ममता बनर्जी व्हीलचेयर पर बर्धमान में रैली करती दिखाई दे रही हैं. राहुल गांधी 14 अप्रैल को गोआलपोखर और नक्सलबाड़ी में प्रचार अभियान पर रहेंगे.

कुल मिलाकर ये कि चिकित्सक ओर स्वास्थ्य विभाग चाहे जितनी भी चिंता क्यों ना जता ले चुनावी पार्टियों को इससे फर्क नहीं पड़ता. न सोशल डिस्टेंसिंग का कोई ख्याल रखा जाता है और न ही कोविड प्रोटोकॉल का. और ये सारी बातें उन नेताओं के चुनावी प्रचार के दौरान दोहराई जा रही हैं जो केंद्र से लेकर राज्यों में बड़े संवैधानिक पदों पर जमे हुए हैं.

जाहिर है अब आवाम के बीच भी ये सवाल भी आम हो चला है कि जहां चुनाव है वहां कोरोना नहीं है क्या? तो हम चर्चा भी इसी बात पर करते हैं कि कोरोना काल में किस चुनावी राज्य में क्या हालात हैं.

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पश्चिम बंगाल

प. बंगाल में कुल मरीज 6.10 लाख हैं और कुल मौतों का आंकड़ा 10 हजार 390 है.

बीते महीने 10 मार्च को औसतन रोज 222 नए केस आ रहे थे. 10 अप्रैल को ये संख्या 2 हजार 691 तक पहुंच गई. 10 मार्च को 5.77 लाख थी जो बढ़कर 6.10 लाख पर जा पहुंची. एक महीने के भीतर बंगाल में 33 हजार 231 नए मरीज जुड़ चुके हैं. उसके पहले महीने यानी फरवरी से मार्च के दौरान की बात करें तो महीने भर में 5452 नए मरीज मिले थे.

इसका मतलब है चुनावी मौसम में डॉक्टरों के दावे के मुताबिक दस गुना ज्यादा. बीबीसी की रिपोर्ट कहती है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद कोरोना का नया रिकॉर्ड देखने मिल सकता है.

बीबीसी को दिए बयान में पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य विभाग के महामारी विशेषज्ञ अनिर्वाण दलुई कहते हैं, "बीते साल 24 मई को 208 मामले सामने आए थे. संक्रमितों की संख्या में दस गुनी वृद्धि में तब दो महीने से ज़्यादा का समय लगा था. लेकिन अब चार मार्च से चार अप्रैल तक यानी ठीक एक महीने में ही इसमें दस गुना वृद्धि हुई है. अगर हमने तुरंत इस पर अंकुश लगाने के उपाय नहीं किए तो इस महीने के आखिर तक दैनिक मामलों की संख्या छह से सात हज़ार तक पहुंचने की आशंका है."

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तमिलनाडु

तमिलनाडु में कुल मामले 9 लाख 26 हजार 816 है. 12 हजार 889 लोगों की मौत हुई है. 10 अप्रैल को एक दिन में 5 हजार 989 मिले हैं. 10 मार्च को एक सप्ताह के औसत नए मरीजों के मिलने की तादाद जहां 564 थी वहीं ठीक एक महीने बाद चुनावी कार्यक्रमों के दौरान बढ़कर 4 हजार 370 पर जा पहुंची.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है जहां पर कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं.  

ये आलम तब है जब तमिलनाडू में मतदान एक ही चरण में 6 अप्रैल को कराया गया. चुनावों की तारीखों के एलान के बाद से तमिलनाडु में भी कोरोना के बढ़ते कहर को साफ देखा जा सकता है.

तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, असम और पुदुचेरी में कुल 824 विधानसभा क्षेत्रों में 18 करोड़ 68 हजार मतदाता हैं और तकरीबन 2.7 लाख वोटिंग सेंटर्स. इन राज्यों में 18 करोड़ मतदाता रहते हैं. कहा जा सकता है कि अगर नियमों और सख्तियों का पालन ठीक से नहीं किया गया तो इन राज्यों में चुनाव का महीना कहर बनकर टूट सकता है.
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असम

असम में कुल मरीज 2 लाख 19 हजार 958 हैं जबकि कुल मौतें 1117 दर्ज की जा चुकी हैं. चुनावी महीने की अगर बात करें तो मार्च महीने में जहां हफ्ते भर में कोरोना के नए मरीजों की औसत संख्या 19 थी वह बढ़कर 194 पर जा पहुंची. बीते महीने 2 लाख 17 हजार 726 मरीज थे, वह 2 हजार 232 से बढ़कर 2 लाख 19 हजार 958 पर जा पहुंचे. 10 अप्रैल को 240 नए मामले सामने आए हैं.

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केरल

केरल में कुल मरीज 11 लाख 60 हजार 204 हैं. इसमें 4 हजार 767 मौतें शामिल हैं. एक महीने पहले यानी 10 मार्च को केरल में हफ्ते भर में औसत 2 हजार 355 नए मरीज मिल रहे थे जो 10 अप्रैल को 3 हजार 968 मरीजों के आंकड़े पर जा पहुंचा है. एक महीने पहले 10 लाख 83 हजार 530 मरीज हुआ करते थे वो 10 अप्रैल तक बढ़कर 11 लाख 60 हजार 204 पर जा पहुंचे. साफ देख सकते हैं कि अकेले एक महीने में 76 हजार 674 मामले नए जुड़े हैं.

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पुडुचेरी

पुडुचेरी में कुल 43 हजार 737 मरीजों की संख्या है जबकि 689 मौतें दर्ज की जा चुकी हैं. चुनाव की घोषणा के वक्त हर दिन कोरोना के 20 से 25 नए मामले सामने आ रहे थे जो 10 अप्रैल को बढ़कर 272 नए मामलों पर जा पहुंचा है. 10 मार्च को कुल मरीज 39 हजार 932 थे अब इनकी संख्या 43 हजार पार पहुंच चुकी है. एक महीने में कुल 3805 नए मामले रिपोर्ट हुए हैं. जबकि उससे पहले फरवरी - मार्च के दौरान एक महीने में केवल 560 नए मरीज सामने आए थे. जाहिर है चुनाव के इस महीने के दौरान वहां कोरोना के बढ़ते आंकड़ों ने खेल दिखा दिया.

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चुनाव आयोग सख्त

पांच राज्यों के चुनाव में कोरोना वायरस के सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करने पर उम्मीदवारों और स्टार प्रचारकों की रैलियों पर प्रतिबंध लग सकता है. आयोग ने बढ़ते कोरोना के मामलों के नियमों की अनदेखी करने वाले उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि नियमों का उल्लंघन करने के मामलों में चुनाव आयोग किसी भी पार्टी के उम्मीदवारों, स्टार प्रचारकों और राजनीतिक नेताओं की सार्वजनिक बैठकों और रैलियों पर प्रतिबंध लगाने में संकोच नहीं करेगा.

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