ADVERTISEMENTREMOVE AD

कुछ केस में एंटी-HIV दवाई का इस्तेमाल संभवः स्वास्थ्य मंत्रालय

भारत में अब तक कोरोनावायरस के 137 पॉजिटिव केस आ चुके हैं

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस से संक्रमित रोगी के इलाज के लिए एचआईवी रोधी दवाइयां ‘लोपीनेवीर और रीटोनेवीर’ देने की सिफारिश की है. रोगी की स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अलग-अलग केस के तहत इन दवाइयों का इस्तेमाल किया जाएगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मंत्रालय ने मंगलवार 17 मार्च को जारी ‘कोविड-19 के क्लीनिकल प्रबंधन’ पर संशोधित गाइ़डलाइन में डायबिटीज पीड़ित, किडनी रोगियों, फेफड़े की बीमारियों से पीड़ित 60 वर्ष से अधिक उम्र के अत्यधिक जोखिम वाले समूहों के लिए लोपीनेवीर और रीटोनेवीर दवाइयों की सिफारिश की है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक एम्स के डॉक्टरों, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) और डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों समेत अन्य लोगों की एक कमेटी ने इलाज के लिए तय गाइडलाइन्स की समीक्षा की और कोरोना वायरस संक्रमण से पीड़ित लोगों के सहयोगी इलाज की सिफारिश की.

मंत्रालय ने शरीर के किसी हिस्से में ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति में कमी, लो ब्लड प्रेशर, एक या एक से ज्यादा अंगों के काम करने से बंद कर देने, क्रिटीनीन की मात्रा में सीमा से 50 प्रतिशत तक बढोतरी जैसे लक्षणों वाले मरीजों के लिए भी लोपीनेवीर और रीटोनेवीर की सिफारिश की है.

कोरोना वायरस के संदिग्ध या संक्रमण की पुष्टि किये जा चुके रोगियों के लिए किसी विशेष इलाज की सिफारिश को लेकर ट्रायल में फिलहाल कोई सफलता नहीं मिली है.

मेडिकल लिटरेचर से पर्याप्त सबूत नहीं मिल पाने के चलते सांस से जुड़े रोग से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए किसी एंटी-वायरल की सिफारिश नहीं गई है.

गाइडलाइन में कहा गया है कि एचआईवी के इलाज में लोपीनेवीर और रीटोनेवीर के साइड इफेक्ट के मद्देनजर लोपीनेवीर और रीटोनेवीर का इस्तेमाल बताए गए फॉर्मुला के तहत सहमति लेकर या गंभीर मामलों में अलग-अलग मामलों के आधार पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

ये दोनों दवाइयां कोविड-19 संक्रमण के चलते जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में फिलहाल इलाज करा रहे इटली के एक बुजुर्ग दंपत्ति को पहली बार दी गई. इन दोनों दवाइयों का व्यापक रूप से इस्तेमाल एचआईवी नियंत्रण के लिए किया जाता है.

संदिग्ध रोगियों की शुरूआत में ही पहचान हो जाने से समय पर निवारण एवं नियंत्रण में मदद मिलती है.

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि अस्पताल से छुट्टी पाने वाले सभी रोगियों को यह निर्देश दिया जाए कि यदि उनके स्वास्थ्य में गड़बड़ी आती है तो वे अस्पताल लौटें.

इसमें इलाज करने वाले चिकित्सकों को गंभीर श्वसन संक्रमण वाले रोगियों की करीबी निगरानी करने को कहा गया है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×