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'हमारी कोशिशों से काबू में आया कोरोना'-UP,MP का ये दावा कितना सही?

लोगों के आंसू अभी सूखे भी नहीं और कोरोना कंट्रोल में कमाल करने के दावे शुरू!

Published
भारत
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भारत में कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार अब धीमी पड़ने लगी है. देश में पिछले दिनों जहां रोजाना 4-4 लाख केस रिपोर्ट हो रहे थे, वहीं अब ये 2 लाख से नीचे आ गए हैं. हालांकि, पूरी तरह से राहत मिलनी अभी बाकी है, क्योंकि कोविड से होने वाली मौतों का आंकड़ा कम नहीं हुआ है. देश में जैसे ही कोरोना का कहर कम होना शुरू हुआ, एमपी और यूपी सरकार ने दावा दावा किया है कोरोना उनके प्रयासों से धीमा पड़ा है. लेकिन क्या ये बात सच है?

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यूपी, एमपी सरकार के दावे

देशभर में कोरोना के केसों में कमी आने के बाद इसे कंट्रोल में करने के दावे किये जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने शनिवार को दावा किया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कोरोना कर्फ्यू लगाने के फैसले से प्रदेश में मरीजों के ठीक होने की दर 96.10 प्रतिशत को पार कर गई है. सरकार के मुताबिक संक्रमण दर में भी भारी कमी आई है और अब यह एक प्रतिशत से भी कम यानी 0.8 प्रतिशत रह गई है.

आधिकारिक बयान के मुताबिक, कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार की टेस्ट, ट्रेस और ट्रीट की रणनीति बेहद कारगर साबित हो रही है और प्रदेश में रोजाना कोविड के मामले तेजी से कम हो रहे हैं, जबकि नए मामले आने का औसत बहुत कम रह गया है.
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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी ये मान चले हैं कि उनके राज्य में कोरोना को कंट्रोल में कर लिया गया है. भारत के दिल एमपी पर कोरोना के केसों का भार अब कम हो रहा है. पिछले कई दिनों से राज्य में रोजाना 5 हजार से कम केस आ रहे हैं, और एक्टिव केसों की संख्या भी 40 हजार से नीचे है. ऐसे में शिवराज ने कुछ दिन पहले अनलॉक की घोषणा करते हुए कहा था, “मध्यप्रदेश का मॉडल जन-भागीदारी का मॉडल है और इसी मॉडल के कारण संक्रमण की दर को नियंत्रित करने में सफलता मिली.”

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हर जगह कम हुआ कोरोना

देश के कई राज्यों में कोरोना वायरस के दैनिक आंकड़ों में गिरावट देखी जा रही है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान में केस कम होते दिख रहे हैं.

जहां दिल्ली में 1 मई को 25 हजार नए केस आए थे, वहीं, 25 मई को ये आंकड़ा घटकर केवल 1,568 रह गया. राजस्थान में 2 मई को 18,298 के रिपोर्ट किए गए थे, वहीं, 25 मई को केवल 3,404 केस सामने आए. हरियाणा में 1 मई को 13 हजार केस थे, जो 22 मई को घटकर 3 हजार पर आ गए. पंजाब और बिहार में भी कोरोना वायरस के केसों में गिरावट देखी जा रही है. कई राज्यों के पॉजिटिविटी रेट में भी सुधार हुआ है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के 27 मई के डेटा के मुताबिक, 24 राज्यों में पिछले हफ्ते के मुकाबले इस हफ्ते एक्टिव केसों में गिरावट देखी जा रही है. जम्मू-कश्मीर, ओडिशा, नॉर्थ-ईस्ट और तमिलनाडु छोड़कर लगभग सभी राज्यों में एक्टिव केसों में कमी आई.

उत्तर प्रदेश में भी कोरोना मामलों में तेजी से गिरावट देखी जा सकती है. मई की शुरुआत में राज्य में जहां 30 हजार नए केस सामने आ रहे थे, वो वहीं पिछले कुछ दिनों में घटकर 5 हजार से भी नीचे आ गए हैं. मध्य प्रदेश में भी 1 मई को कोरोना के 12,379 केस सामने आए थे, जो 25 मई को कम हो कर 2,422 पर आ गए.
लोगों के आंसू अभी सूखे भी नहीं और कोरोना कंट्रोल में कमाल करने के दावे शुरू!
27 मई तक
(ग्राफिक: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय)
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पहले ही कहा गया था तेजी से घटेंगे केस

विशेषज्ञों ने पहले ही कहा था कि मई के मध्य के बाद मामले घटेंगे. IIT कानपुर के वैज्ञानिक मणींद्र अग्रवाल ने अपनी नई रिसर्च के मुताबिक बताया था कि एक्टिव केसों के लिए पीक की टाइमिंग 14-18 मई और नए केसों के लिए 4-8 मई है. पीक के दौरान एक्टिव केस 38-48 लाख और नए केस 3.4-4.4 लाख होंगे.

लोगों के आंसू अभी सूखे भी नहीं और कोरोना कंट्रोल में कमाल करने के दावे शुरू!

पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ मैथ्यू वर्गीज ने अप्रैल में क्विंट हिंदी से कहा था कि दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों का पीक अगले चार से छह हफ्तों में खत्म होने की संभावना है.

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अभी तो आंसू भी नहीं सूखे, थोड़ा तो शर्म कीजिए

कोरोना फैलने की रफ्तार हर जगह कम पड़ी है. लेकिन यूपी सरकार दावा कर रहीहै कि ‘ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट’ के रणनीति से ऐसा हुआ. और ये दावा तब किया जा रहा है जब मौतें अब भी जारी हैं, ये दावा तब किया जा रहा है जब लोगों के आंसू अभी सूखे भी नहीं है, गंगा अभी सदमे से उबरी भी नहीं है. पिछले दो तीन महीने में केंद्र से लेकर राज्य सरकारों की बदइंतजामी और जानलेवा लापरवाहियां हमने देखी हैं. लोगों ने बिन ऑक्सीजन दम तोड़ा है. इलाज नहीं मिला. मर गए तो सम्मान से अंतिम संस्कार न हो सका. गंगा में लाशें उफनने लगीं. मौत की वजह क्या थी, पता नहीं. यही वजह है कि कोरोना के सरकारी आंकड़ों और जमीनी हकीकत में काफी अंतर है. मौत की अंडररिपोर्टिंग पर क्विंट की रिपोर्ट यहां पढ़ सकते हैं.

पिछली गलती से कुछ नहीं सीखे?

कोरोना पर काबू पा लिया. ऐसा कहने की गलती हम एक बार कर चुके. नतीजे सामने हैं. 28 जनवरी 2021 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनियाभर में ऐलान कर दिया था कि भारत ने कोरोना वायरस को हरा दिया है.

“भारत की सफलता को किसी एक देश की सफलता से आंकना उचित नहीं होगा. जिस देश में, विश्व की 18% आबादी रहती हो, उस देश ने कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण कर के, पूरी दुनिया को, मानवता को, बड़ी त्रासदी से भी बचाया है.”
वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के दावोस डायलॉग में पीएम मोदी ने कहा
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भारत में 30 मई तक, 21 लाख एक्टिव केस हैं. अब तक सवा 3 लाख से ज्यादा लोग कोविड के हाथों जंग हार चुके हैं. मौत के आंकड़ों में अमेरिका और ब्राजील के बाद हम दुनिया के तीसरे देश हैं, जहां 3 लाख से ज्यादा लोगों ने जान गंवाई हो.

कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में अभी भी कोरोना वायरस के केस 1 लाख से ज्यादा हैं. कुछ राज्यों में एक्टिव केस भी बढ़ रहे हैं. ऐसे में फिर कोरोना को हराने का जश्न मनाने से पहले सरकारों को थोड़ा रुक जाना चाहिए. और भगवान न करे अगर एक्सपर्ट्स की आशंका सही साबित हुई तो हमारे सिर पर कोरोना की तीसरी लहर खड़ी है.

जश्न नहीं जतन का वक्त है. ये देश आपकी लापरवाहियों की कीमत चुकाने की हालत में नहीं है अब.

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