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76% कोविड मरीज 6 माह बाद भी किसी न किसी समस्या से परेशान-स्टडी

कोरोना मरीजों में लंबे समय के बाद क्या प्रभाव देखने को मिलते हैं?

Published
भारत
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कोविड-19(COVID-19) से उबर चुके मरीजों में थकान, अनिद्रा, अवसाद, चिंता या लंग्स से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षण देखने को मिल रहे हैं. हाल ही में लैंसेट जर्नल (Lancet journal) में छपी एक स्टडी में ये बात सामने आई है. स्टडी के मुताबिक कोविड-19 (COVID-19) संक्रमित मरीजों में हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के लंबे समय के बाद भी थकान, अनिद्रा और कमजोरी जैसी समस्याएं दिख रही हैं.

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स्टडी से निकलीं मुख्य बातें

इस स्टडी में जो परिणाम सामने आए उसमें बताया गया कि करीब 63% कोविड मरीजों ने थकावट और मांसपेशियों की कमजोरी जैसी सामान्य स्वास्थ्य समस्या महसूस की. वहीं एक चौथाई लोगों में नींद की कमी जैसी समस्या देखने को मिली, जबकि 23% लोगों ने कहा कि वे चिंता या अवसाद जैसी समस्या से जूझ रहे हैं.

• 76% मरीजों में कम से कम एक स्वास्थ्य समस्या का लक्षण दिखा.

• 63% लोगों में थकान और मांसपेशियों की कमजोरी दिखी.

• 26% मरीजों में नींद से जुड़ी समस्या देखने को मिली.

• 22% लोगों में बाल झड़ने की समस्या महसूस की गई.

• 11% मरीजों में स्मेल डिसऑर्डर यानी सूंघने की क्षमता में कमी देखी गई.

• 9% लोगों में जोड़ों में दर्द की समस्या दिखी.

लैंसेट में छपी इस स्टडी में बताया गया है कि रिसर्च में शामिल करीब 76% मरीजों में स्वास्थ्य समस्याओं के कम कम से एक लक्षण देखने को मिले हैं. पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षण का अनुपात ज्यादा दिखा है.

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कहां और कितने लोगों पर हुई स्टडी

लैंसेट में छपी स्टडी कोरोना वायरस के एपिसेंटर- चीन में वुहान के एक हॉस्पिटल में की गई है. स्टडी जिन यिन-तान (Jin Yin-tan) हॉस्पिटल के उन कोविड मरीजों पर की गई थी जो जनवरी 2020 से मई 2020 के बीच यहां से डिस्चार्ज किए गए थे. कुल 2469 डिस्चार्ज किए गए मरीजों में से 1733 मरीजों पर स्टडी की गई, 736 मरीज बाहर कर दिए गए थे. मरीजों की औसत आयु 57 साल थी.

स्वास्थ्य परीक्षण में ब्लड टेस्ट, 6 मिनट का वॉक टेस्ट, पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट, चेस्ट का सीटी स्कैन और अल्ट्रासोनोग्राफी टेस्ट किया गया. इसके साथ ही मरीजों के लिए प्रश्नावली भी तैयार की गई थी. पूरी स्टडी में ये पता लगाया गया कि आखिर कोविड से ठीक होने के बाद मरीजों में लंबे समय तक क्या प्रभाव देखने को मिलता है.

1733 मरीजों की 7 कैटेगरी में अलग-अलग तरीकों से ये स्टडी की गई है.

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