देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने अब अपनी टेस्टिंग स्ट्रैटेजी को एक बार फिर बदलने का फैसला लिया है. ICMR अब कंफर्म केसों के डायरेक्ट संपर्क में आए और हाई-रिस्क कॉन्टैक्ट्स की भी टेस्टिंग करेगा. जिन डायरेक्ट और हाई-रिस्क कॉन्टैक्ट्स में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं होंगे, उनका भी एक बार टेस्ट किया जाएगा. पॉजिटिव केस के संपर्क में आने के पांचवें से 14वें दिन के बीच के एक बार टेस्ट किया जाएगा.
- 9 अप्रैल को जारी ICMR की इस चौथी स्ट्रैटेजी के मुताबिक, पिछले 14 दिनों में इंटरनेशनल ट्रैवल करने वाले लोग, जिनमें लक्षण हैं, उनका टेस्ट किया जाएगा.
- लैब में कंफर्म हुए सभी केसों के संपर्क में आए लोग, जिनमें लक्षण दिखाई दे रहे हैं, उनका टेस्ट किया जाएगा.
- उन सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों का टेस्ट किया जाएगा, जिनमें लक्षण हैं.
- जिन मरीजों को खांसी, बुखार या सांस लेने में तकलीफ है, उनका टेस्ट किया जाएगा.
- कंफर्म केसों के डायरेक्ट संपर्क में आए और हाई-रिक्स कॉन्टैक्टस का संपर्क में आने के पांचवें से 14वें दिन के बीच टेस्ट किया जाएगा.
- हॉटस्पॉट/क्लस्टर या बड़े कार्यक्रम/इवैक्युएट सेंटरों के उन सभी लोगों की जांच का जाएगी, जिनमें बुखार, खांसी, गला खराब या नाक बहना जैसे लक्षण हैं. बीमारी के 7 दिनों के अंदर rRT-PCR टेस्ट और 7 दिनों के बाद एंटीबॉडी टेस्ट किया जाएगा.
स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकडो़ं के मुताबिक, देश में कुल कंफर्म केस 5865 पहुंच गए हैं. अब तक 169 लोगों की जान इस वायरस के कारण जा चुकी है, जबकि 477 लोग डिस्चार्ज किए गए हैं. इस महामारी से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने 15,000 करोड़ रुपये के 'कोरोना वायरस इमरजेंसी हेल्थ केयर फंड' को मंजूरी दी है.
दुनियाभर में कोरोना वायरस के 15 लाख से ज्यादा कंफर्म केस हैं. वहीं, अब तक 89,000 से ज्यादा लोग इससे जान गंवा चुके हैं.
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