कोरोना वायरस की वजह से जारी लॉकडाउन के बीच फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को लेकर राजनीति शुरू हो गई है. शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में यूपी सरकार पर निशाना साधा है कि, महाराष्ट्र सरकार प्रवासी मजदूरों का ध्यान रख रही है. लेकिन जब उनकी घर वापसी का समय आया तो यूपी सरकार अनुमति नहीं दे रही है. इससे पहले नवाब मलिक ने भी यूपी सरकार पर मजदूरों को वापस न लेने का आरोप लगाया था.
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का कहना है कि, मजदूरों की पहले कोरोना जांच की जाए उसके बाद ही उन्हें घर वापस भेजा जाए. वहीं, सामना में कहा गया है कि,
यूपी सरकार ने राजस्थान के कोटा से फंसे हुए छात्रों के लिए सैंकड़ों बस भेंजी, उन्हें बिना जांच के ही वापस ले आए क्योंकि वे अमिर घरों के बच्चे थे. लेकिन मजदूरों की कोई मदद नहीं की जा रही. अब उनके लिए नियम और शर्त बतायी जा रही है.
सीएम नीतीश कुमार पर भी निशाना
सामना में यूपी सरकार के साथ-साथ बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा गया है. सामना में कहा गया है कि, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और योगी दोनों अमीर और गरीब के बीच भेदभाव कर रही है. मजदूरों के घर वापसी पर बिहार सरकार ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं. मजदूरों के राजनीतिक मालिक मास्क लगाकर घरों में बैठ गए हैं.
कांग्रेस ने भी लगाए आरोप
इससे पहले कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने भी योगी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. उनका कहना है कि योगी सरकार यूपी के प्रवासी मजदूरों की घर वापसी में अड़चन पैदा कर रही है.
’उत्तर प्रदेश के लोगों की संख्या महाराष्ट्र में 25-30 लाख है. उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें लेने के लिए कहीं न कहीं आनाकानी कर रही है. वो शर्त रख रही है कि उन्हें COVID का टेस्ट कराकर भेजें. अगर 30 लाख लोगों का टेस्ट कराना है तो हमें लगता है कि एक साल से ज्यादा लगेगा. हमें लगता है कि योगी जी उत्तर प्रदेश के लोगों को लेना नहीं चाहते, इसलिए वो अड़चन पैदा कर रहे हैं’’नवाब मलिक, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री
मलिक ने कहा, ''जिस तरह से बाकी राज्य अपने लोगों को लेने की अनुमति दे रहे हैं, उत्तर प्रदेश सरकार भी जल्द से जल्द उसी तरह की अनुमति दे.''
वहीं, यूपी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि, यूपी सरकार केंद्र सरकार की शर्तों के हिसाब से प्रवासियों को घर वापस लाने के लिए तैयार है. इसके अनुसार प्रवासियों को केवल स्क्रिनिंग करानी होगी और कोरोना के लक्षण नहीं मिलने पर ही उन्हें घर वापसी की अनुमति दी जाएगी.
हालांकि, इस मामले में यूपी के किसी राजनीतिक दल की ओर से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
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