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सरकार का दावा- कोरोना बढ़ने का रेट घटा, क्या वाकई राहत की खबर है?

भारत में 437 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि कोरोना संक्रमितों की संख्या 13,387 पहुंच गई है.

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कोरोना वायरस की वजह से अब तक भारत में 437 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि कोरोना संक्रमितों की संख्या 13,387 पहुंच गई है. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि देश में कोरोना केस बढ़ने में 40 फीसदी की कमी आई है और देश में 80 फीसदी मरीज ठीक हो रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या ये राहत की बात है? क्योंकि पिछले 6 दिनों के आंकड़ों के मुताबिक औसतन रोज 30 लोगों की मौत हो रही है.

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स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा है कि देश में एक भी कोरोना का मरीज चिंता का विषय है. लव अग्रवाल ने कहा कि लॉकडाउन से पहले कोरोना वायरस मामलों में डबलिंग रेट 3 दिन था, लेकिन पिछले 7 दिनों के आंकड़ों के मुताबिक मामलों की डबलिंग रेट अब 6.2 दिन है. उन्होंने कहा, "19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में तो डबलिंग रेट देश की डबलिंग रेट से भी कम है."

इन 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में केरल, उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, लद्दाख, पुड्डुचेरी, दिल्ली, बिहार, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, यूपी, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, असम और त्रिपुरा शामिल हैं.

मामलों की वृद्धि दर में 40 फीसदी की गिरावट

संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि देश में कोरोना वायरस के मामलों की वृद्धि दर में औसतन 40 फीसदी गिरावट देखी गई है. उन्होंने कहा, "1 अप्रैल से 1.2 औसत वृद्धि दर देखी जा रही है, जो 15 मार्च से 31 मार्च तक 2.1 औसत वृद्धि दर पर था." लव अग्रवाल ने कहा,

भारत में कोरोना वायरस से मौत का अनुपात 80:20 है. यानी 100 में से 80 लोग ठीक हो रहे हैं, जो दूसरे देशों की तुलना में काफी अच्छा है.

6 दिनों में रोज नए मामले और मौत के आंकड़े

  • 17 अप्रैल- 1007 नए मामले, 23 लोगों की मौत
  • 16 अप्रैल- 941 नए मामले, 37 लोगों की मौत
  • 15 अप्रैल- 1,076 नए मामले, 38 लोगों की मौत
  • 14 अप्रैल- 1,211 नए मामले, 31 लोगों की मौत
  • 13 अप्रैल- 796 ने मामले, 35 लोगों की मौत
  • 12 अप्रैल- 909 नए मामले, 34 लोगों की मौत

12 से 17 अप्रैल के बीच कोरोना के नए मरीजों के बारे में बात करें तो रोज औसतन 1000 मामले हैं जबकि औसतन मरने वालों की संख्या 30 है. ये आंकड़े पिछले कई हफ्तों से काफी अधिक है. ये हालत तब है जब देश में कम टेस्टिंग पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं. हमें जितने टेस्टिंग किट चाहिए उतने हमें मिल नहीं रहे हैं.

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