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CPM में कांग्रेस से गठबंधन को लेकर जारी माथापच्ची, केरल और बंगाल धड़ों में मतभेद

सूत्रों के अनुसार पोलित ब्यूरो में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने को लेकर मतभेद है.

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भारत
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CPM में कांग्रेस के साथ गठबंधन पर विचार-विमर्श जारी है. इस मुद्दे पर केरल और बंगाल गुट की राय अलग-अलग है. केरल गुट स्थानीय पार्टियों और बंगाल गुट, कांग्रेस के साथ गठबंधन के पक्ष में है.

पार्टी की केंद्रीय समिति की बैठक शुक्रवार को शुरू हुई है, जो तीन दिन तक चलने वाली है. इसमें पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी के कार्यकाल को बढ़ाने पर भी विचार किया जाएगा.

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पश्चिम बंगाल के नेताओं का कहना है कि देश के सबसे बड़े विपक्षी दल (कांग्रेस) से गठबंधन के बिना कोई भी गठबंधन करना पार्टी के लिए अव्यावहारिक ही साबित होगा. ऐसे में राष्ट्रीय स्तर और क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग नीति बनाने की जरूरत है. फिलहाल इस बैठक में आगे की रणनीति तय की जायेगी.

पिछले हफ्ते ही माकपा पत्रिका चिन्था के एक लेख में, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने लिखा था कि कांग्रेस विपक्ष की धुरी नहीं हो सकती. सभी राज्यों में, केरल को छोड़कर, कांग्रेस के नेता भाजपा में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ रहे हैं और इसलिए, दोनों के बीच बहुत कम विशिष्ट अंतर हैं.

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बीजेपी और कांग्रेस दोनों घातक -पिनराई विजयन

इससे पहले अप्रैल 2018 में हैदराबाद में आयोजित पार्टी की 22वीं केंद्रीय समिति की बैठक में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को समान तौर पर देश के लिये घातक बताया गया था. सभी लोकतांत्रिक पार्टियों का साथ देने के बावजूद सहमति बनी थी कि कांग्रेस से गठबंधन नहीं किया जाएगा.

सूत्रों के अनुसार शुक्रवार की बैठक में माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने तर्क भी दिया है कि जिस स्थिति के तहत 2018 में निर्णय लिया गया था, वह नहीं बदली है और बहस को फिर से खोलने का कोई कारण नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि 2019 के आम चुनावों में भाजपा की लगातार दूसरी जीत के बाद दक्षिणपंथ से खतरा और बढ़ गया है और इसलिए 2018 की लाइन पर चलने आवश्यकता है. पहले दिन की बैठक में लगभग 20 प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी.

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