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जम्मू कश्मीर: 2 साल में 363 आतंकवादियों समेत 721 लोग मारे गए

मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पेश किए आंकड़े

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जम्मू कश्मीर सरकार ने मंगलवार को बताया कि बीते दो साल में कानून एवं व्यवस्था, आतंक संबंधी घटनाओं, सीमा पार से गोलाबारी की घटनाओं में 363 आतंकवादियों समेत 721 लोगों की मौत हुई है.

नेशनल कांफ्रेंस के विधायक अली मोहम्मद सागर के सवाल के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने विधानसभा को सूचित किया कि ऐसी घटनाओं में 162 पुलिस, सुरक्षा कर्मी और 196 असैन्य लोगों की मौत हुई.

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महबूबा की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक

  • कानून एवं व्यवस्था और आतंकवाद संबंधी घटनाओं में 172 असैन्य लोग मारे गए हैं जबकि सीमा पर गोलाबारी में 24 असैन्य लोगों की जान गई है.
  • पिछले साल 213 और 2016 में 150 आतंकवादियों को मार गिराया गया.
  • इस दौरान 176 संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया.
  • 2016 में 79 संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया था.
  • साल 2016 में कानून एवं व्यवस्था और आतंकवाद संबंधी घटनाओं में 104 असैन्य लोग मारे गए थे जबकि 2017 में ऐसी घटनाओं में 68 असैन्य लोगों की जान गई थी.
  • 2016 में सीमापार से होने वाली गोलाबारी में 13 लोगों की मौत हुई थी जबकि 2017 में इसमें 11 लोग मारे गए.
  • 23 मृतकों के परिजन को 23 लाख रुपये की राशि दी गई, 110 घायलों को 6.20 लाख रुपये दिए गए और इस दौरान सीमापार से होने वाली गोलाबारी में क्षतिग्रस्त हुए 165 ढांचों के लिए 43.66 लाख रुपये दिए गए.

इससे पहले दिसंबर 2017 में जम्मू-कश्मीर स्टेट पुलिस चीफ (डीजीपी) की ओर से भी जानकारी दी गई थी. उन्होंने बताया था कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने 2017 में कुल 206 आतंकियों को मार गिराया है. इसके साथ ही 75 दूसरे लोगों को हिंसा की विचारधारा छुड़वा कर सामान्य जिंदगी जीने के लिए तैयार किया.

एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए डीजीपी ने बताया था कि 2017 के दौरान जम्मू-कश्मीर में शुरू किए गए 'ऑपरेशन ऑल आउट' को लेकर लोगों में कई गलतफहमियां थीं.

इस साल, हमने 206 आतंकियों को मार गिराया और साथ ही हम 75 युवाओं को मुख्यधारा में वापस लाने में कामयाब रहे, जो या तो आतंक के साथ जुड़ चुके थे या फिर जुड़ने वाले थे. इनके अलावा, 7 युवा ऐसे थे जो अपने परिवार की गुहार देखकर हथियार छोड़ वापस आ गए.

उन्होंने कहा था, "मैं ये साफ कर देना चाहता हूं कि ये अभियान सिर्फ आतंकियों को मार गिराने के लिए ही नहीं बल्कि उन्हें हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल करने के लिए भी शुरू किया गया था."

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