दिल्ली डिपेलवमेंट अथॉरिटी (DDA) ने धोबी घाट क्षेत्र स्थित यमुना फ्लडप्लेन में अतिक्रमण हटाने के लिए एक अभियान चलाया है, जिसमें बड़ी संख्या में झुग्गियों को गिरा दिया गया है. ऐसे में सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं.
अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, एक डोमेस्टिक वर्कर अख्तारी ने बताया, ''ढांचे को खड़ा करने में 25000 रुपये खर्च हुए थे...लेकिन अब, सब कुछ चला गया.'' अख्तारी के पति जो एक पेंटर हैं, उनके पास कोरोना वायरस महामारी के चलते जीविका का साधन नहीं है.
अख्तारी ने कहा, ‘’सरकार लंबे वक्त से कहती रही है कि अगर हम सुरक्षित रहना चाहते हैं तो घरों के अंदर ही रहें. अब हम कहां जाएंगे?’’
बिहार के मुन्ना को भी अपने परिवार के लिए नई जगह ढूंढना असंभव दिख रहा है. दिल्ली में उनका कोई रिश्तेदार भी नहीं है और वह किराए का मकान लेने की हालत में नहीं हैं. उन्होंने कहा, ''हमने कॉलोनी में कमरों का पता किया था. कम से कम किराया 5000 रुपये था. हम दिहाड़ी पर काम करने वाले हैं. हमारे पास बचत नहीं है और हम इतना किराया नहीं चुका सकते.''
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झुग्गी वासियों का दावा- ‘नहीं मिला नोटिस’, DDA ने किया खारिज
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, झुग्गी वासियों का दावा है कि उन्हें अतिक्रमण हटाने के अभियान के बारे में कोई नोटिस नहीं दिया गया था. हालांकि DDA ने इस दावे को खारिज किया है.
एक अधिकारी ने कहा, ‘’हमने पिछले 5 महीनों में झुग्गी वासियों को बार-बार नोटिस दिए. (फिर) हमने ज्वाइंट कमिश्नर देवेश श्रीवास्तव की अगुवाई वाली दिल्ली पुलिस की टीम की मदद से अतिक्रमण को हटा दिया.’’
DDA के मुताबिक, यह कदम नेशनल ग्रीन टाइब्यूनल (NGT) के दिशा निर्देशों और DDA की उस प्रतिबद्धता के तहत है कि यमुना फ्लडप्लेन्स को अतिक्रमण से मुक्त किया जाना चाहिए.
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