साउथ दिल्ली के संगम विहार में मौजूद मोहल्ला क्लीनिक में चिकुनगुनिया के इलाज के लिए चक्कर लगा रहीं ‘फ्लोरा’ कहती हैं - इतनी बुरी हालत है कि पूरी गली बीमार है, जिस घर में देख लो तीन मरीज मिल जाएंगे. ऐसे में कैंप लगने चाहिए, एक डॉक्टर रखकर बस खानापूर्ति हो रही है.
दिल्ली में डेंगू और चिकुनगुनिया के मामले क्रमश: 771 और 560 का आंकड़ा पार कर गए हैं. बीते एक हफ्ते में डेंगू के 284 नए मामले और चिकुनगुनिया के मामलों में 20 गुना बढ़त दर्ज की गई है.
25 साल की लड़की ‘आइरम’ की मौत के साथ अब तक डेंगू से 9 लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर दिल्ली में डेंगू और चिकुनगुनिया के इतनी तेजी से फैलने के लिए कौन जिम्मेदार है.
क्विंट हिंदी ने डेंगू से जूझ रहे मरीजों, डॉक्टरों और नीति विशेषज्ञों से इस समस्या पर खास बात की.
क्या कर रही है दिल्ली सरकार?
दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम ने डेंगू-चिकुनगुनिया को रोकने के लिए जागरुकता कैंपेन, फीवर क्लीनिक, मोबाइल क्लीनिक और मोहल्ला क्लीनिक्स शुरू किए हैं.
- फीवर क्लीनिक ऐम्स, सफदरजंग, लोकनायक जैसे बड़े अस्पतालों में खोले गए हैं.
- मोबाइल क्लीनिक घर-घर जाकर लोगों को फ्री इलाज और दवाएं देने के लिए हैं
- ‘आप’ सरकार के मोहल्ला क्लीनिक इलाज-दवा के साथ-साथ फ्री टेस्ट की सुविधा के लिए हैं
इन इंतजामों के बावजूद दिल्ली में हर हफ्ते मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में ये जरूरी है कि उन कारणों तक पहुंचा जाए जिनकी वजह से ये बीमारियां फैल रही हैं.
क्या संकट के दौर में सहायक हैं मोहल्ला क्लीनिक?
जाकिर नगर के मोहल्ला क्लीनिक में इलाज कराने पहुंचे ‘इफ्तिखार अहमद’ ने क्विंट हिंदी को अपनी आपबीती बताई.
मर्ज कोई और होता है, दवा कोई और दे देते हैं. कभी-कभी इनकी दवा से चेहरे पर दाने होने लगते हैं. कुछ बोलो तो कहते हैं कि बाहर से दवा लो, हमारे पास नहीं है. टेस्ट के नाम पर कोई टेस्ट नहीं होता.इफ्तिखार अहमद, जाकिर नगर निवासी
क्विंट हिंदी ने अपनी जांच में भी मोहल्ला क्लीनिक में स्थिति को बेहद गंभीर पाया है.
क्या डॉक्टर हैं जिम्मेदार?
मोहल्ला क्लीनिक्स में दिल्ली सरकार ने डॉक्टर समेत 3 लोगों का स्टाफ दिया है. इसे हर रोज कम से कम 300 मरीज चैक करने होते हैं.
डॉक्टरों की नजर में दिल्ली सरकार बेपरवाह
लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल की सीसीएमओ डॉक्टर रितु सरीन कहती हैं कि लोग डरे हुए हैं उन तक जरूरी जानकारी पहुंचाई जानी चाहिए.
लोगों के डरे होने की वजह से हर रोज 800 से 900 मरीज आ रहे हैं. कई मरीजों में डेंगू और चिकुनगुनिया के लक्षण भी नहीं हैं, लेकिन वे भी भर्ती हो जाना चाहते हैं. बीते साल एक हेल्पलाइन शुरू की गई थी, जिससे तबीयत खराब होने की वजह से लोग हेल्पलाइन पर बात कर लेते थे. लेकिन इस साल वो हेल्पलाइन नहीं है.डॉ. रितु सरीन, सीसीएमओ, लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल
मोहल्ला क्लीनिक संभाल रहे एक डॉक्टर कहते हैं कि दिल्ली सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए कहा जा चुका है लेकिन कोई सुनवाई नहीं है.
साल 1996 में दिल्ली में डेंगू से 423 मौतों के साथ 10,522 मामले सामने आए थे. क्या दिल्ली सरकार डेंगू और चिकुनगुनिया के हाथ से निकलने से पहले प्रभावी कदम उठाएगी?
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