इसी साल जून में दिल्ली पुलिस ने दावा किया था कि 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में एक बैठक हुई थी, जिसमें डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान ‘बड़ा विस्फोट’ करने की साजिश की प्लानिंग की गई थी, लेकिन अब तीन महीने बाद शायद दिल्ली पुलिस की बातें बदल गई हैं.
अब दिल्ली पुलिस का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान कुछ बड़ी योजना को लेकर हुई बैठक 8 को नहीं बल्कि 16 और 17 फरवरी की रात हुई थी.
क्रोनोलोजी में ये बदलाव क्यों?
दिलचस्प बात यह है कि द क्विंट ने इस स्टोरी को ब्रेक किया था कि पुलिस साजिश की जो थ्योरी बता रही है वह ट्रंप के भारत दौरे के साथ फिट नहीं बैठती है. अब पुलिस ने तारीख क्यों बदली? आइए देखते हैं कि पुलिस ने क्या कहा था.
चार्जशीट में 8 जनवरी के बारे में क्या कहा गया है?
क्विंट ने दिल्ली पुलिस की ओर से दायर किए गये दोनों चार्जशीट को परखा, है जिसमें ये दावा किया गया है कि फरवरी 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान ‘बड़े विस्फोट’ को अंजाम देने की साजिश 8 जनवरी को एक बैठक में रची गई थी.
इन चार्जशीटों में पुलिस ने दावा किया है कि आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन, पूर्व जेएनयू छात्र उमर खालिद और युनाइटेड अगेंस्ट हेट के संस्थापक खालिद सैफी इस बैठक में थे और तीनों को दंगों का मास्टरमाइंड भी बताया गया है.
इस मामले में दो एफआईआर हैं - ये दोनों चार्जशीट चांद बाग इलाके में हुई घटनाओं की जांच से जुड़े हैं. दयालपुर थाना में दर्ज एफआईआर 65/2020 इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) अफसर अंकित शर्मा की हत्या की जांच से जुड़ी हैं जबकि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच में दर्ज एफआईआर 101/2020 चांद बाग में हुई हिंसा से संबंधित है. ताहिर हुसैन दोनों मामलों में अभियुक्त है.
एफआईआर 65 के तहत आरोप पत्र में क्या लिखा है:
“जांच के दौरान, ये भी पचा चला है कि आरोपी ताहिर हुसैन, खालिद सैफी के संपर्क में था, जो युनाइड अगेंस्ट हेट ग्रुप से जुड़ा हुआ है. खालिद सैफी के माध्यम से ताहिर हुसैन उमर खालिद से भी जुड़ा हुआ था. खालिद सैफी ने 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में ताहिर की उमर खालिद से मीटिंग करायी.’’
उस बैठक में बड़ा विस्फोट करने का फैसला हुआ ताकि केंद्र सरकार सीएए/एनआरसी के मुद्दे पर हिल जाए और दुनिया में देश की बदनामी हो. इस बैठक में उमर खालिद ने यह कहते हुए फंड की चिंता नहीं करने का भरोसा दिलाया कि पीएफआई संगठन भी इन दंगों के लिए फंड और सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए तैयार है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान या उससे पहले फरवरी 2020 में इन दंगों की योजना बनायी गयी.
इसके लिए इन दंगों से पूर्व सारे संसाधन जुटाए गये और मैनपावर की व्यवस्था की गयी. दिल्ली में बड़े पैमाने पर दंगे कराने के मकसद से बड़ी तादाद में इन दंगों के लिए लोगों को बुलाया गया. बहरहाल, स्पेशल सेल की ओर से इन दंगों में साजिश के लिए अलग से एक केस 6 मार्च 2020 को एफआईआर नंबर 59/2020 दर्ज किया गया है और इसकी जांच की जा रही है.”
8 जनवरी की कथित मीटिंग पर फंसा पेंच
यहां उत्सुकता की बात यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फरवरी में भारत दौरे की संभावना की पहली खबर 13 जनवरी को आयी. द हिन्दू में एक रिपोर्ट छपी जिसका शीर्षक था, “फरवरी के अंत तक ट्रंप भारत आ सकते हैं- सूत्र”. इस रिपोर्ट के कुछ प्रासंगिक हिस्से हैं :
“वाशिंगटन से सिक्योरिटी और लॉजिस्टिक टीमों के इस हफ्ते दिल्ली आने की उम्मीद है ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संभावित दौरे की तैयारी हो. कई सूत्रों ने द हिन्दू से इसकी पुष्टि की है. गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रण ठुकरा देने के एक साल बाद अमेरिकी राष्ट्रपति का यह भारत दौरा होगा, जो अब तक घोषित नहीं हुआ है. अमेरिकी सीनेट में महाभियोग की प्रक्रिया के कारण की तारीख में बदलाव न हो, तो फरवरी के अंत में यह दौरा संभव है.”
अब जब पहली मीडिया रिपोर्ट भी सूत्रों के हवाले से थी और उसमें तारीख निश्चित नहीं थी, तो ऐसे में ऐसा कैसे हो सकता है कि उमर खालिद, ताहिर हुसैन और खालिद सैफी 8 जनवरी को मिलें और कथित रूप से ट्रंप की यात्रा के दौरान कुछ योजना बनाएं?
द क्विंट ने पूरे दिसंबर से लेकर 8 जनवरी 2020 तक, जिस तारीख को साजिश वाली महत्वपूर्ण बैठक हुई- के दौरान विदेश मंत्रालय और (वेबसाइट पर मौजूद) प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो के दूसरे बयानों की भी पड़ताल की. जहां ट्रंप के भारत दौरे का कोई जिक्र नहीं मिला.
इस 8 जनवरी की बैठक के बारे में एफआईआर 59 चार्जशीट क्या कहती है?
कुछ भी नहीं.
ऊपर जिस चार्जशीट की बात हमने की उसमें न केवल इस 8 जनवरी की बैठक का जिक्र किया गया है, बल्कि यह भी कहा गया है कि दिल्ली पुलिस की विशेष सेल इस मामले की जांच करने जा रही है. एफआईआर 65 के जांच अधिकारी से जब तारीख को फिर से कंफर्म करने के लिए हमने बात की तो उन्होंने कहा, “संभव है कि 8 जनवरी या उससे पहले ही इस बारे में फैसला ले लिया गया हो. मगर, स्पेशल सेल ही इस बारे में आपको बेहतर बता सकता है.”
इसलिए स्वाभाविक रूप से एक उम्मीद की जा सकती थी कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल चार्जशीट की इस विसंगति को दूर करेगी और उन सवालों के पर्याप्त जवाब देगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके बजाय जो हुआ है, वह पिछली चार्जशीट की विसंगतियों के कवर-अप जैसा लगता है.
एफआईआर 59 के तहत चार्जशीट का हिस्सा कहता है:
“अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा, जो पहली बार 14 जनवरी 2020 टेलीविजन मीडिया पर बताया गया था, तबसे षड्यंत्रकारियों को पता चल या था कि औपचारिक कार्यक्रम 11.02.2020 को घोषित हुआ है.”
दिलचस्प बात यह है कि द क्विंट ने अपनी एक स्टोरी में बताया था कि कैसे ट्रंप की यात्रा की पहली खबर, सूत्रों और अस्थायी तारीखों के आधार पर, 13 जनवरी की रात और 14 जनवरी की सुबह अखबारों में प्रकाशित हुई थी.
एफआईआर 59 के चार्जशीट में लिखा है, '' आम साजिशों को आगे बढ़ाने के लिए 16/17 फरवरी की रात 2:00 बजे चांद बाग, मुस्तफाबाद, कर्दमपुरी और जाफराबाद के विरोध स्थल के नेताओं की एक बैठक हुई. इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान उत्तर पूर्वी दिल्ली में सड़कों का एक नाकाबंदी होगी."
इसलिए, एफआईआर 59 के तहत चार्जशीट एफआईआर 65 और 101 के तहत चार्जशीट के उलट है.
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