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पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत नजरबंद अब्दुल्ला डिफेंस पैनल में शामिल

डिफेंस पैनल में बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर विवाद

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भारत
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रक्षा मंत्रालय की संसदीय समिति में 21 सदस्यों को शामिल किया गया है. इनमें बीजेपी की विवादित सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के साथ इसमें विपक्षी दलों के प्रमुख चेहरों को भी जगह दी गई है.

इसके अलावा विपक्षी सांसदों में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और फिलहाल नजरबंद चल रहे फारूक अब्दुल्ला को भी इस समिति में शामिल किया गया है. इस समिति में कुल 21 सदस्य हैं और इसके प्रमुख रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हैं.

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21 सदस्यों वाली इस समिति में प्रज्ञा ठाकुर के अलावा, फारूक अब्दुल्ला, छेदी पासवान, सुप्रिया सुले, शरद पवार और जेपी नड्डा का नाम भी शामिल है.

नजरबंद हैं फारूक अब्दुल्ला

रक्षा मंत्रालय की संसदीय समिति में फारूक अब्दुल्ला का नाम भी शामिल किया गया है. बता दें, फारूक अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से नजरबंद रखा गया है.

इतना ही नहीं, शीतकालीन सत्र में फारूक अब्दुल्ला की गैरमौजूदगी ने विपक्ष को सदन में विरोध प्रदर्शन करने का मौका दे दिया है.

संसद में उठी फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी खत्म किए जाने की मांग

बीते 18 नवंबर को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला को शीतकालीन सत्र में शामिल होने की इजाजत नहीं दी गई है.

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में विरोध जताते हुए फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी खत्म किए जाने की मांग की थी. चौधरी ने कहा था कि फारूक अब्दुल्ला को शीतकालीन सत्र में शामिल होने दिया जाए, क्योंकि ये उनका संविधानिक अधिकार है.

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नजरबंद हैं जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्री

बता दें, फारूक अब्दुल्ला समेत जम्मू-कश्मीर के कई नेताओं को नजरबंद रखा गया है. इनमें फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला औऱ पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती भी शामिल हैं.

राज्य के तीनों ही पूर्व मुख्यमंत्रियों को आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से नजरबंद रखा गया है.

कमेटी में प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर विवाद

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा मंत्रालय की 21 सदस्यों की संसदीय समिति में भोपाल से बीजेपी की सांसद प्रज्ञा ठाकुर का नाम शामिल किए जाने पर विपक्ष ने सवाल उठाया है.

बता दें, प्रज्ञा ठाकुर मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपी हैं. अप्रैल 2017 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें स्वास्थ्य कारणों को ध्यान में रखते हुए तब जमानत दे दी थी, जब उनके खिलाफ मकोका के तहत लगाए गए आरोपों को एनआईए ने वापस ले लिया था.

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