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UPA सरकार ने अगस्ता-वेस्टलैंड पर की थी ‘मेहरबानी’: पर्रिकर

रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा- इस घोटाले में त्यागी और खेतान छोटे नाम, बड़े नाम सामने आना बाकी.

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केंद्रीय रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने लोकसभा में कहा कि हेलिकॉप्टर डील में यूपीए सरकार ने कई नियम-कानूनों को दरकिनार करके इटली की कंपनी अगस्टा-वेस्टलैंड को रियायत दी थी.

विवादास्पद अगस्ता-वेस्टलैंड सौदे को लेकर तत्कालीन यूपीए सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने लोकसभा में कहा कि अगस्ता-वेस्टलैंड को हेलि‍कॉप्टर डील के लिए हर तरह की रियायत दी गई.

उन्होंने कहा कि इस सौदे में हुए घोटाले में अभी तक सिर्फ पूर्व एयरफोर्स चीफ एसपी त्यागी और गौतम खेतान का ही नाम सामने आया है. लेकिन यह वो लोग हैं, जिन्होंने ‘बहती गंगा’ में हाथ धोए हैं. उन्होंने कहा कि इस घोटाले में शामिल बड़े नामों का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है.

हमने पहले ही कदम उठाया है. अभी जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, वे छोटे लोग हैं. त्यागी, खेतान ने तो बहती गंगा में हाथ धोए हैं. हम यह पता लगा रहे हैं कि गंगा कहां जाती है. मैंने किसी के ऊपर कोई आरोप नहीं लगाए. किसी का नाम नहीं लिया. लेकिन जो अरबी खाते हैं, उनके गले में ही खुजली होती है. इन्हें (कांग्रेस) पता है कि गंगा बहकर कहां जाती है.
मनोहर पर्रिकर, रक्षामंत्री

लोकसभा में रक्षामंत्री ने अपने बयान में कहा कि मौजूदा जांच उन पर केन्द्रित होगी, जिनका नाम इटली की अदालत के फैसले में आया है.

मानदंड पूरे न करने पर अगस्ता-वेस्टलैंड को दी गई छूट

पर्रिकर ने कहा कि शर्तों में हेलि‍काॅप्टर के केबिन की ऊंचाई 1.8 मीटर करने की शर्त अनिवार्य रूप से डाली गई. यह जान-बूझकर किसी कंपनी को बाहर करने के उद्देश्य से किया गया. इस शर्त के कारण वेंडर का बेस सिकुड़ गया और कई कंपनियां इस टेंडर से बाहर हो गईं. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही अगस्ता-वेस्टलैंड के हेलि‍कॉप्टर ने दो मानदंडों को पूरा नहीं किया, फिर भी विशेष तौर पर उसे छूट दी गई.

टेंडर के दस्तावेज एक कंपनी को दिए गए, जबकि इसके दस्तावेज दूसरी कंपनी ने भरे. तब की सरकार ने भ्रष्टाचार का मामला आने के बाद कंपनी को लिखने की बजाए उच्चायोग से संपर्क किया. उन्होंने कहा कि इस सौदे में 50.7 मिलियन यूरो की बैंक गारंटी की राशि अभी भी अटकी पड़ी हुई है.

रक्षामंत्री ने कहा कि अगर फिनमैकेनिका के सीईओ को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तो तत्कालीन यूपीए सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती. इस बारे में तत्कालीन सरकार ने जो कार्रवाई की, वह परिस्थिति के कारण मजबूरी में की गई थी.

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