भारत में ड्रोन्स के जरिए दवाइयों और खाने की डिलीवरी जल्द ही हकीकत बन सकती है. भारत सरकार ने इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी हैं, और टेंडर भी निकाला है. पीएसयू HLL लाइफकेयर लिमिटेड की सहायक कंपनी HLL इंफ्रा टेक सर्विसेज लिमिटेड ने देश में दूरदराज स्थानों पर मेडिकल सप्लाई की डिलीवरी के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की ओर से EoI (एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट) आमंत्रित किया है.
इस परियोजना का उद्देश्य UAV (अनमैन्ड एरियरल व्हीकल) के जरिये दुर्गम क्षेत्रों के लिए एक मेडिकल सप्लाई डिलीवरी मॉडल विकसित करना है. इसके लिए आवेदन की आखिरी तारीख 22 जून है.
टेंडर के मुताबिक, UAV न्यूनतम 35 किमी की हवाई दूरी को न्यूनतम 100 मीटर के वर्टिकल एल्टीट्यूड के साथ कवर करने में सक्षम होना चाहिए और कम से कम 4 किलो का भार उठाना चाहिए.
HLL की तरफ से जारी टेंडर में कहा गया है कि वैक्सीन की डिलीवरी में तेजी के लिए, ICMR ने IIT कानपुर के साथ मिलकर UAV से वैक्सीन डिलीवर करने पर स्टडी की है. स्टडी के शुरुआती परिणाम के आधार पर, ICMR ने इसके लिए एक स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल तैयार किया है. स्टडी में प्राप्त अनुभव के आधार पर, ICMR अलग-अलग इलाकों को कवर करने के लिए UAV से वैक्सीन डिलीवरी के लिए एक मॉडल विकसित करने के लिए उत्सुक है.
वहीं, द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका, यूके और भारत में ऑपरेट करने वाली कंपनी ANRA टेक्नोलॉजी 16 जून से भारत में दो लोकेशन पर दवाइयों और पैकेज्ड फूड की ड्रोन से डिलीवरी के लिए ट्रायल शुरू करेगी. इसमें से ट्रायल की एक लोकेशन आईआईटी रोपड़ कैंपस है, जहां इस महीने के आखिर में ट्रायल्स हो सकते हैं.
ANRA के कंसोर्शियम में IIT रोपड़, स्विगी और ग्रेटर नोएडा की कंपनी बेटर ड्रोन्स शामिल हैं. एक एक्सपर्ट कमेटी इन ट्रायल्स को मॉनिटर करेगी. ANRA इंडिया के ऑपरेशन्स डायरेक्टर ब्रिज मोहन ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इंजीनियरों के एनालिसिस के बाद ट्राल्स की रिपोर्ट DGCA को सौंपी जाएगी. उन्होंने कहा कि इस साल के आखिर तक सभी ट्रायल्स पूरे हो सकते हैं. रिपोर्ट्स को जांचने के बाद, सरकार पब्लिक से फीडबैक लेकर दिशानिर्देश तय करेगी.
इससे पहले, अप्रैल में केंद्र सरकार ने तेलंगाना सरकार को ड्रोन्स के जरिये कोविड वैक्सीन की डिलीवरी के एक्सपेरिमेंट के लिए अनुमति दी थी. तेलंगाना के ‘मेडिसिन फ्रॉम द स्काई’ प्रोजेक्ट के ट्रायल्स मई में शुरू हुए थे.
ड्रोन डिलीवरी के लिए अनुमति जरूरी
किसी भी उड़ान के लिए भारत में DGCA की अनुमति लेनी होती है. ड्रोन डिलीवरी के लिए भी कंपनियों को ऐसा ही करना होगा. ड्रोन डिलीवरी कंपनियों और ड्रोन को डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) की अनुमति लेनी होगी. ड्रोन के संचालन के लिए ड्रोन ऑपरेटर्स को DGCA से अनमैन्ड एयरक्राफ्ट ऑपरेटर पर्मिट (UAOP) लेना होगा.
DGCA की वेबसाइट के मुताबिक, भारत में ड्रोन उड़ाने के लिए रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया, भारतीय एयरफोर्स और स्थानीय पुलिस ऑफिस की अनुमति की भी जरूरत पड़ती है.
आयरलैंड में ड्रोन के जरिए दवाई और ग्रॉसरी
आयरलैंड में ड्रोन डिलीवरी पहले ही हकीकत बन चुका है. आयरलैंड की कंपनी मन्ना एरो पिछले साल से ही ड्रोन के जरिये दवाई और ग्रॉसरी लोगों तक पहुंचा रही है. इसके पीछे प्रमुख कारण लोगों के संपर्क को कम करना और संक्रमण को फैलने से रोकना था.
भारत के लिए गेम चेंजिंग होगा?
भारत में सुरक्षा से लेकर निगरानी और वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए ड्रोन का इस्तेमाल होता है, लेकिन अभी तक इसके जरिये डिलीवरी को अनुमति नहीं दी गई थी. हिमालय की पहाड़ियों से घिरे उत्तर भारत में कई ऐसे गांव हैं, जो शहरों से कटे हुए हैं और यहां अस्पताल तो दूर, अच्छे प्राथमिक उपचार केंद्र तक नहीं हैं. अगर ट्रायल्स में ड्रोन के जरिये डिलीवरी सफल रहती है, तो ये कोविड वैक्सीन और मेडिकल सप्लाई को दूरदराज इलाकों में पहुंचाने की जद्दोजहद को काफी कम कर सकता है. वहीं, प्राकृतिक आपदाओं में भी ड्रोन डिलीवरी मददगार साबित हो सकती है.
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