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2021 तक टल सकता है जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव

जम्मू-कश्मीर में डिलिमिटेशन की प्रक्रिया इस साल नवंबर से शुरू हो सकती है. इस प्रक्रिया में 14 महीने लग सकते हैं.

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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव 2021 तक टल सकते हैं. चुनाव आयोग के आला सूत्रों ने न्‍यूज एजेंसी IANS को इसकी जानकारी दी है. सूत्रों के मुताबिक, डिलिमिटेशन की प्रक्रिया इस साल नवंबर से शुरू हो सकती है और इस प्रक्रिया को पूरे होने में 14 महीने लग सकते हैं.

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गृह मंत्रालय जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित क्षेत्र में डिलिमिटेशन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए 31 अक्टूबर के बाद चिट्ठी लिख सकता है. सूत्रों का कहना है कि गृह मंत्रालय 31 अक्टूबर से पहले डिलिमिटेशन के लिए चुनाव आयोग को चिट्ठी नहीं लिख सकता क्योंकि संवैधानिक कानूनों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में विभाजन उसी दिन से प्रभावी होगा.  

सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय से जरूरी सूचना मिलते ही डिलिमिटेशन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. प्रक्रिया के सब-कमेटी बनाने और कार्यक्रम तय करने में एक महीना लग जाएगा.

डिलिमिटेशन प्रक्रिया में लग जाएंगे 14 महीने

चुनाव आयोग डिलिमिटेशन प्रक्रिया को 9-10 चरणों में 14 महीनों में पूरा करेगा क्योंकि इसके लिए सभी जरूरी प्रक्रियाओं और नियमों को पूरा करना होगा. इसका मतलब यह है कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए 2021 तक इंतजार करना होगा. जब तक चुनाव आयोग डिलिमिटेशन प्रक्रिया को औपचारिक तौर पर पूरा करने का ऐलान नहीं कर देता तब तक चुनाव नहीं कराए जा सकेंगे.

जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 87 से 83 रह गई हैं. लेह, कारगिल, जांसकर और नुब्रा की सीटें अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा की नहीं रह गई हैं.   
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डिलिमिटेशन के बाद बढ़ सकती हैं जम्मू डिविजन की सीटें

इस वक्त घाटी में विधानसभा की 46 सीटें हैं. जबकि जम्मू-डिविजन में 37. डिलिमिटेशन प्रक्रिया में जम्मू और घाटी दोनों के भौगोलिक क्षेत्र पर को ध्यान में रख कर प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इस प्रक्रिया के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सीटें 90 तक जा सकती हैं. घाटी की सीटें 46 रह सकती हैं जबकि जम्मू क्षेत्र की सीटें बढ़ कर 44 हो सकती हैं. आर्टिकल 35 ए और 370 खत्म होने के बाद पश्चिमी पाकिस्तान से आए तीन लाख लोग भी वोट दे सकेंगे.

इनपुट : IANS

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