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सुशांत के पिता के वकील का दावा- रिया चक्रवर्ती के खिलाफ हैं सबूत

सुशांत के पिता के वकील विकास सिंह ने रिया चक्रवर्ती को खुदकुशी के पीछे मुख्य कारण बताया

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सुशांत सिंह राजपूत की मौत के करीब डेढ़ महीने के बाद उनके पिता कृष्णा किशोर सिंह ने 28 जुलाई को रिया चक्रवर्ती के खिलाफ पटना में एफआईआर दर्ज कराई. सिंह ने रिया पर सुशांत को खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप लगाया है. क्विंट ने सुशांत के पिता के वकील, विकास सिंह से बात की, जिन्होंने बताया कि एफआईआर फाइल करने में 40 दिनों से ज्यादा का समय क्यों लगा और मुंबई पुलिस मामले की सही जांच नहीं कर रही थी.

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सुशांत के पिता इस केस को लेकर आपके पास कब आए?

विकास सिंह: वो (सुशांत के पिता) करीब 7-8 दिन पहले मेरे पास आए थे. वो 40 दिनों तक शोक मना रहे थे. बिहार में हम 40 दिनों तक शोक मनाते हैं. इतने दिनों तक, वो देख रहे थे कि मुंबई में क्या हो रहा है. और वो (मुंबई पुलिस) असली दोषी के पीछे जाने की बजाय, कुछ असंभव की खोज में लगे हुए थे.

हमारे हिसाब से, उन्हें शुरुआत से ही मालूम था कि असली दोषी कौन है. हमने उन्हें कहा था कि जो लोग उसके (सुशांत के) साथ थे, जो उसकी मेडिकल कंडीशन का ध्यान रख रहे थे, उनसे पूछताछ होनी चाहिए थे. और दूसरी तरफ, रिया भी कह रही थी कि सीबीआई इंक्वॉयरी होनी चाहिए

. तो ऐसा लग रहा था कि मुंबई पुलिस और रिया एक जैसे ही चल रही है. वो उनपर आरोप नहीं लगा रहे हैं, और रिया सीबीआई इंक्वॉयरी की मांग कर रही हैं, तो इसका मतलब पूरा आइडिया ये था कि किसी तरह उन्हें क्लीन चिट दे दी जाए और मामले को पूरी तरह से मॉरली गलत बना दिया जाए. उस समय जब वो मेरे पास आए थे, और क्योंकि मुंबई में कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी, मैंने कहा कि हमें इसे पटना में दर्ज करवाना चाहिए, क्योंकि आपराधिक न्याय की समझ में एफआईआर कहीं भी दर्ज की जा सकती है.

केवल पिता ही बात कर रहे हैं और इसका परिणाम भुगत रहे हैं. और दूसरी बात, खुदकुशी के लिए उकसाना कोई ऐसा अपराध नहीं है, जो एक या दो दिन में किया जाए. ये किसी के दिमाग को कंट्रोल करने से शुरू होता है, जो बाद में चलकर ये कदम उठाता है. तो इसमें उन्होंने (रिया ने) ये किया कि सुशांत को परिवार से दूर कर दिया, खासकर पिता से. उन्होंने पिता से बात करने की अनुमति नहीं दी. उन्हें पिता के कॉल नहीं लेने दिए.

अगर वो बॉडीगार्ड के जरिए बात करने की कोशिश भी करते थे, तो भी फोन सुशांत को देने की अनुमति नहीं थी. तो इस साजिश में पहला कदम उन्हें (सुशांत को) परिवार से दूर करना था, वो परिवार जो उन्हें इन मुश्किल हालातों में समझा सकता था. उन्होंने धीरे-धीरे सुशांत को मानसिक बीमारी से ग्रस्त बता दिया और उन्हें अलग-अलग डॉक्टर्स के पास ले जाने लगीं, दवाइयों का ओवरडोज दिया. फिर उनके लिए काम करने वाले लोग हटा दिए, बॉडीगार्ड हटा दिया. तो ये धीरे-धीरे हुआ सब और मेरे हिसाब से, कॉज ऑफ एक्शन का पार्ट पटना में है, इसलिए पटना पुलिस के पास एफआईआर दर्ज करने का अधिकार था.

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जब आपको पता चला कि मुंबई पुलिस ठीक से कार्रवाई नहीं कर रही है, तो आपने उनसे संपर्क क्यों नहीं किया?

विकास सिंह: अगर हम मुंबई पुलिस से ये कहते हैं कि वो मुख्य आरोपी हैं और ये अच्छी तरह से जानती हैं कि उनसे पूछताछ करने की जरूरत है, अगर हमने मुंबई पुलिस को ये शिकायत की होती, तो वो कहते कि उन्होंने रिया से पूछताछ की और इसमें कुछ नहीं मिला और वो सुशांत के साथ प्यार में थीं, और फिर क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर देते, तो फिर हम कहां होते? जांच हमारे द्वारा नहीं की जा सकती है, इसलिए किसी संस्थान के पास जाने का कोई मतलब नहीं था. मैं पूरी मुंबई पुलिस की बात नहीं कर रहा हूं, लेकिन कम से कम वो लोग, जो सुशांत सिंह राजपूत का केस संभाल रहे हैं. जहां तक इस मामले को संभालने वाले लोगों का सवाल है, निष्पक्ष जांच करने के लिए हमारा उनमें कोई विश्वास नहीं था और इसलिए हम पटना पुलिस के पास गए.

सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, इस बात के पक्के सबूत होने चाहिए कि खुदकुशी के लिए उकसाया गया है. सिर्फ क्रूरता और बंधक बना लेना, आदि खुदकुशी के लिए उकसाने को साबित नहीं करते. तो आपके पास सबूत क्या है?

विकास सिंह: मैं इन चीजों पर अभी कमेंट नहीं करना चाहूंगा, क्योंकि ये वो चीजें हैं जो ट्रायल में सामने आएंगी. पहले सभी सबूत सामने आने दीजिए. लेकिन कुछ प्वाइंट में वो बता दूं, उन्होंने जो इतने लंबे समय तक किया. केवल वही (रिया) सुशांत की मेडिकल कंडीशन को देख रही थीं. उन्हें डॉक्टर के पास ले जा रही थीं. उन्होंने परिवार से संपर्क एकदम खत्म कर दिया था और 8 जून को, ये जानते हुए कि केवल वही सुशांत की देखभाल करना जानती हैं, उन्होंने सुशांत को छोड़ दिया. उन्होंने परिवार में किसी से मेडिकल डीटेल शेयर नहीं की, किसी को कॉल कर ये नहीं कहा कि “ये शख्स सही नहीं है, मैं इसके साथ नहीं रह पाऊंगी लेकिन प्लीज इनका ध्यान रखिए. ये इनकी दवाई है और ये डॉक्टर.”

उन्होंने परिवार में किसी को भी फोन नहीं किया. जब उन्होंने सुशांत को छोड़ा, तो सुशांत ने अपनी बहन को फोन किया जो मुंबई में रहती हैं. उसी दिन, वो सुशांत के घर आईं और चार दिनों तक उनके साथ रहीं और उन्हें संभालने की कोशिश की, लेकिन उन्हें दवाई वगैराह की कोई जानकारी नहीं थी. तो वो रिया को फोन करते रहे, लेकिन उन्होंने कभी फोन पिक नहीं किया. उन्होंने सुशांत को ब्लॉक कर दिया था, इसलिए कॉल कभी गई ही नहीं. सुशांत की बहन की एक बेटी है, जो स्कूल जाती है, तो उन्हें घर जाना पड़ा. वो 12 को वहां से गईं और 14 को ये घटना हो गई. तो इसलिए खुदकुशी के लिए उकसाने को लेकर सीधे सबूत है. मैं सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले में बहुत परेशानी नहीं देख रहा हूं, जिसका आप जिक्र कर रही हैं.

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मौत के बाद जो भी हो रहा है, उसे लेकर आपका क्या कहना है? बॉलीवुड माफिया, आरोप-प्रत्यारोप को लेकर?

विकास सिंह: इसलिए ही केस पटना में दर्ज किया गया है. वो सही दिशा में नहीं जा रहा था. हम ये नहीं कह रहे हैं को वो मुंबई में ‘परिवारवाद’ का शिकार नहीं हुए होंगे. ये चीजें हुई होंगी, लेकिन ये उनकी मौत का मुख्य कारण नहीं है. ये भी कारण रहा होगा, लेकिन मुख्य नहीं. ये पूरी जांच का हिस्सा हो सकता है, इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है, और अब क्योंकि ये केस पटना पुलिस के पास है, तो वो इस मामले में भी जांच करे. लेकिन ये मुख्य कारण नहीं है. मुख्य कारण वही हैं.

FIR में रिया पर आरोप

एफआईआर में रिया पर प्यार में फंसाकर खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है. सुशांत सिंह राजपूत के पिता ने ये भी आरोप लगाया है कि सुशांत के अकाउंट से करीब 15 करोड़ रुपये निकाले गए हैं. ये ऐसे खाते में ट्रांसफर हुए हैं, जिनका सुशांत से कोई लेना-देना नहीं था. अपनी 7 मांगों में केके सिंह की ये भी ये एक मांग है कि जांच हो किन खातों में ये पैसे गए, इन बैंक खातों/क्रेडिट कार्ड से कितना पैसा रिया ने अपने परिवारवालों और सहयोगियों के हैं.

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