भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ आई जस्टर सहित 16 देशों के राजनयिक 9 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर जाएंगे. जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा पिछले साल खत्म किए जाने के बाद राजनयिकों का यह पहला दौरा होगा.
दिल्ली से ये राजनयिक हवाई मार्ग से श्रीनगर जाएंगे और वहां से जम्मू जाएंगे. इनमें बांग्लादेश, वियतनाम, नॉर्वे, मालदीव, दक्षिण कोरिया, मोरोक्को, नाइजीरिया आदि देशों के भी राजनयिक शामिल होंगे.
संबंधित अधिकारियों ने 8 जनवरी को बताया कि ब्राजील के राजनयिक आंद्रे ए कोरिये डो लागो के भी जम्मू-कश्मीर का दौरा करने का कार्यक्रम था, हालांकि उन्होंने पहले से निर्धारित कार्यक्रम के चलते दौरे पर नहीं जाने का फैसला किया.
माना जा रहा है कि यूरोपीय संघ के देशों के प्रतिनिधियों ने किसी बाकी तारीख पर केंद्र शासित प्रदेश का दौरा करने की बात कही है. बताया यह भी जा रहा है कि इन्होंने पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से मुलाकात करने की इच्छा जताई है.
अधिकारियों ने बताया कि 9 जनवरी को दौरा करने वाले राजनयिक नागरिक समाज के सदस्यों से मुलाकात करेंगे और उन्हें कई एजेंसियों द्वारा सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी दी जाएगी. उसी दिन राजनयिकों को जम्मू ले जाया जाएगा जहां वे उपराज्यपाल जीसी मुर्मू और बाकी अधिकारियों से मुलाकात करेंगे.
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि कई देशों के राजनयिकों ने भारत सरकार से अनुरोध किया था कि आर्टिकल 370 के प्रावधान हटने के बाद की स्थिति का जायजा लेने के लिए कश्मीर का दौरा करने की अनुमति दी जाए. इस कदम से भारत को कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के दुष्प्रचार को ध्वस्त करने में मदद मिलेगी.
भारत ने पी-पांच देशों और दुनिया के सभी देशों की राजधानियों से संपर्क कर आर्टिकल 370 के प्रावधान निरस्त करने के फैसले पर अपना मत रखा था. इससे पहले दिल्ली के एक थिंक टैंक द्वारा यूरोपीय संघ के 23 सांसदों के शिष्टमंडल को जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर ले जाया गया था. हालांकि सरकार ने उसे निजी दौरा बताया था.
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