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भारत-EU के बीच अहम व्यापार समझौते पर बातचीत होगी शुरू, बड़ी बातें

भारत-EU समिट को लेकर संयुक्त बयान में क्या कहा गया है?

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भारत और यूरोपीय संघ ने 'संतुलित, महत्वाकांक्षी और व्यापाक' व्यापार समझौते और 'स्टैंड-अलोन' निवेश संरक्षण समझौते पर बातचीत शुरू करने को लेकर सहमति जताई है. विदेश मंत्रालय ने शनिवार को यह जानकारी दी.

इस संबंध में फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ समूह के शासनाध्यक्षों/राष्ट्राध्यक्षों के बीच डिजिटल माध्यम से हुई शिखर बैठक में लिया गया. इस बैठक में व्यापार, संपर्क और निवेश के क्षेत्र सहित सम्पूर्ण सहयोग बढ़ाने को लेकर विस्तृत चर्चा हुई.

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‘बैठक ने संबंधों को नई गति दी’

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, दोनों पक्षों ने टिकाऊ और व्यापक संपर्क साझेदारी की शुरुआत की और इसे संबंधों का अहम पल बताया. भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन पर विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप ने कहा, ‘‘यह एक अहम क्षण है, बैठक ने संबंधों को नई गति दी है.’’

बैठक में प्रधानमंत्री मोदी और यूरोपीय संघ के नेताओं ने COVID-19 महामारी और स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग को लेकर भी बातचीत की.

विदेश मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरोपीय संघ को COVID-19 वैक्सीन पर पेटेंट छोड़ने के लिए भारत और दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए आमंत्रित किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरोपीय संघ +27 के प्रारूप में यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के नेताओं के साथ संवाद किया. बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल के निमंत्रण पर विशेष आमंत्रित के रूप में यूरोपीय परिषद की बैठक में हिस्सा लिया.

मंत्रालय के मुताबिक,

  • शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शुरुआती संबोधन में भारत और यूरोपीय संघ के सभी सदस्य देशों के साथ मजबूत संबंधों के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने भारत और यूरोपीय संघ के सामरिक संबंधों को 21वीं सदी में वैश्चिक भलाई के लिए अहम ताकत बताया.
  • बैठक में यूरोपीय संघ परिषद और यूरोपीय संघ आयोग के अध्यक्षों के अलावा समूह के 19 सदस्य देशों के नेताओं ने संबोधित किया.
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यूरोपीय संघ परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने ट्वीट कर बताया, ‘‘हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ईयू नेताओं की शिखर बैठक में यूरोपीय संघ-भारत की सामरिक साझेदारी के नए अध्याय की शुरुआत कर रहे हैं.’’

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने ट्वीट में कहा है कि शिखर बैठक में यूरोपीय संघ के सदस्यों ने वास्तविक अर्थों में एकजुटता प्रदर्शित की.

संयुक्त बयान में क्या कहा गया है?

विदेश मंत्रालय की ओर से भारत-यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक के संबंध में जारी संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘‘आज की बैठक में साझे हितों, लोकतंत्र, स्वतंत्रता, कानून के शासन और मानवाधिकारों का सम्मान जैसे मूल्यों और सिद्धांतों को रेखांकित किया गया जो हमारी सामरिक साझेदारी का मूल है.’’

दोनों पक्षों ने जुलाई 2020 में पिछली शिखर बैठक के बाद और हाल के समय में उनके बीच साझेदारी में आई गति की सराहना की.

संयुक्त बयान में कहा गया है कि इस संदर्भ में दोनों पक्षों ने भारत-यूरोपीय संघ ढांचा 2025 को लेकर तय कार्य बिन्दुओं को लागू करने और आज लिए गए नए फैसलों को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की.

इसमें कहा गया है, ‘‘हमने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि दुनिया के बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत और यूरोपीय संघ का बहु ध्रुवीय विश्व में सुरक्षा, समृद्धि और टिकाऊ विकास सुनिश्चित करने में साझा हित है.’’

बयान के मुताबिक, दोनों पक्षों ने इस दिशा में हुई प्रगति को और आगे बढ़ाने और टिकाऊ विकास और पेरिस समझौता 2030 के एजेंडे पर सुरक्षित, हरित, ज्यादा डिजिटल और स्थिर दुनिया की दिशा में संयुक्त रूप से योगदान देने पर सहमति व्यक्त की.

मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्षों के बीच भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी और पुणे मेट्रो रेल परियोजना के संबंध में दस्तावेजों पर भी हस्ताक्षर किए गए.

यूरोपीय संघ, भारत के लिये सामरिक रूप से अहम ग्रुप है और यह 2018 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारी सहयोगी रहा है. यूरोपीय संघ के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 2018-19 में 115.6 अरब डॉलर का था, जिसमें निर्यात 57.17 अरब डॉलर और आयात 58.42 अरब डॉलर का रहा.

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