मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर पीएम मोदी को खत लिखने पर निलंबित किए गए वर्धा यूनिवर्सिटी के 6 छात्रों का निलंबन रद्द कर दिया गया है. वर्धा यूनिवर्सिटी (MGAHV) ने 9 अक्टूबर को 6 छात्रों को निलंबित करने का आदेश जारी किया था.
बता दें, छात्रों ने यूनिवर्सिटी से प्रधानमंत्री के नाम खत लिखने को लेकर 9 अक्टूबर को एक कार्यक्रम आयोजित किए जाने की इजाजत मांगी थी. लेकिन प्रशासन ने इजाजत देने से इनकार कर दिया था. इसके बावजूद छात्रों ने बड़े पैमाने पर प्रधानमंत्री को खत लिखने का कार्यक्रम आयोजित किया था. इसी मामले को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों को निलंबित कर दिया था.
क्विंट ने सस्पेंड किए गए एक छात्र से बात की. उसने कॉलेज प्रशासन का निलंबन का फैसला वापस लिए जाने की खबर की पुष्टि की है.
प्रशासन के 9 अक्टूबर को लिखे खत के मुताबिक, छात्रों को 'आचार संहिता’ और ‘प्रशासनिक काम में दखलंदाजी’ के चलते निलंबित किया गया था.
छात्र संगठन ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ इंडिया की एक प्रेस रिलीज के मुताबिक, छात्र प्रधानमंत्री को जो खत लिखना चाहते थे, उसमें मॉब लिंचिंग, सरकारी संस्थानों की बिक्री, कश्मीर मुद्दे और रेप के आरोपी नेताओं के बचाव से संबंधित बातें थीं.
क्या है पूरा मामला?
9 अक्टूबर को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय (MGAHV) के छात्रों ने पीएम मोदी को खत लिखने के लिए एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया. प्रशासन ने भारी मात्रा में सुरक्षा बढ़ा दी और छात्रों को 'गांधी हिल' में जाने से रोक दिया. इसके बाद छात्रों ने 'गांधी हिल' के गेट पर बैठकर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया और नारे लगाए.
छात्र नेता चंदन सरोज के मुताबिक, यह कार्यक्रम 49 जाने-माने लोगों के खिलाफ देशद्रोह के मामले पर प्रदर्शन करने के लिए किया गया था. इन 49 व्यक्तियों ने प्रधानमंत्री को खुला खत लिखा था, जिसमें मॉब लिंचिंग पर चिंता जताई गई थी. हालांकि, फिर बिहार पुलिस ने राजद्रोह का मामला वापस ले लिया था.
विरोध प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने चंदन सरोज समेत 6 छात्रों को सस्पेंड कर दिया था. जिन छात्रों को सस्पेंड किया गया, उनके नाम थे नीरज कुमार, राजेश सारथी, रजनीश अंबेडकर, पंकज वेला और वैभव पिंपलकर.
लेकिन निष्कासन वाले लेटर में यूनिवर्सिटी की तरफ से कार्यक्रम के बारे में कोई बात नहीं कही गई है. इसमें ‘आचार संहिता’ और ‘प्रशासनिक कार्य में बाधा’ पैदा करने की बात कही गई थी.
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