कमेटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ जर्नलिस्ट (सीपीजे) ने पत्रकार आवेश तिवारी पर भारत में फेसबुक की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर अंखी दास के जरिए की गई शिकायत पर सवाल उठाया है. सीपीजे ने कहा है कि फेसबुक की अंखी दास को पत्रकार अवेश तिवारी के खिलाफ अपनी आपराधिक शिकायत वापस लेनी चाहिए. पत्रकारों की सुरक्षा के लिए काम कर रही सीपीजे ने कहा है कि अंखी दास को नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए.
बता दें कि सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक की दक्षिण एशिया पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर अंखी दास ने अपने खिलाफ हुई एक स्टोरी के बाद पुलिस में शिकायत की थी कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है. शिकायत में उन्होंने न्यूज चैनल स्वराज्य एक्सप्रेस के छत्तीसगढ़ राज्य ब्यूरो चीफ आवेश तिवारी का भी नाम दिया है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, अमेरिकी अखबार ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें ये दावा किया गया है कि भारत में फेसबुक की टॉप पब्लिक पॉलिसी एग्जीक्यूटिव दास ने "लोकसभा चुनाव से पहले अपने कर्मचारियों पर कई हेट स्पीच पोस्ट न हटाने का दबाव डाला था." रिपोर्ट के मुताबिक, यह "भारतीय बाजार में राजनीतिक फायदा उठाने के लिए" किया गया था.
रिपोर्ट में लिखा था कि फेसबुक भारत में बीजेपी नेताओं द्वारा किए गए कथित हेट स्पीच वाली पोस्ट पर रोक लगाने को लेकर कोताही बरतता है.
‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की इस रिपोर्ट को पत्रकार आवेश तिवारी ने भी अपनी फेसबुक पर शेयर किया था. जिसपर आंखी दास ने पुलिस में शिकायत कर दी.
हालांकि आवेश तिवारी ने भी अब अंखी दास के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद रायपुर पुलिस ने 17 अगस्त को अंखी दास के खिलाफ एक FIR दर्ज की है.
सीपीजे ने कहा- अभिव्यक्ति की आजादी पर शिकायत, सही नहीं
इसी मामले पर अब सीपीजे ने अंखी दास पर अपना बयान दिया है. सीपीजे की सीनियर एशिया रिसर्चर आलिया इफ्तेखार ने कहा है,
“यह बेतुका है कि फेसबुक का एक कार्यकारी, जो प्रेस और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए प्रतिबद्धता का दावा करता है, एक पत्रकार के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज करेगा. अवेश तिवारी को डराने की कोशिश में, अंखी दास ये बता रही हैं कि द वॉल स्ट्रीट जर्नल की स्टोरी जो आवेश ने शेयर की है उसने एक संवेदनशील मामले को सामने रख दिया है. अंखी दास को तुरंत अपनी शिकायत वापस लेनी चाहिए.”
आवेश तिवारी का क्या कहना है?
क्विंट से बातचीत में अवेश तिवारी ने बताया कि उन्होंने कभी भी फेसबुक पर कोई ऐसी पोस्ट नहीं की है और न ही वो अंखी दास को जानते हैं. उन्होंने बताया,
“मुझे खुद से ही पता चला. ये जिस तरह का बड़ा खुलासा था, और देश के तमाम अखबारों ने इस बात को लिखा. फेसबुक जैसी बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट अगर ऐसा काम करता है तो ये काफी चिंताजनक है. मैंने कई बार जब पुलवामा, आदिवासी आंदोलन और एनसआरसी-सीएए को लेकर सरकार से सवाल पूछे तो मेरी पोस्ट ब्लॉक कर दी गई. दलितों के मुद्दे उठाए तो उसे भी फेसबुक ने ब्लॉक कर दिया. इसका फेसबुक ने कभी भी कोई कारण नहीं बताया.”
तिवारी ने बताया कि "मैं अंखी दास को किसी भी तरह से नहीं जानता हूं. न ही मैंने कभी उनका फेसबुक प्रोफाइल देखा है और न ही कभी उनसे बात हुई है. मैं बतौर महिला उनका सम्मान करता हूं. लेकिन उन्होंने बेवजह मेरे खिलाफ एफआईआर करवा दी है. मुझे मेरे किसी मित्र ने बताया कि आपके खिलाफ एफआईआर हुई है. मेरे पास अब तक एफआईआर की कॉपी नहीं आई है."
बता दें कि द वॉल स्ट्रीट जर्नल रिपोर्ट के सामने आने के बाद कांग्रेस पार्टी बीजेपी और फेसबुक के सांठगांठ का आरोप लगा रही है.
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