मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने बॉलीवुड अभिनेत्री एवं अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम की महिला मित्र मोनिका बेदी के फर्जी पासपोर्ट मामले में प्रदेश सरकार की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी और निचली अदालतों द्वारा मोनिका के पक्ष में दिये गये फैसले को बरकरार रखा है. सरकारी वकील शशांक उपाध्याय ने मंगलवार को बताया कि न्यायमूर्ति विष्णु प्रताप सिंह चौहान की एकल पीठ ने सोमवार को अपने फैसले में मोनिका बेदी को फर्जी पासपोर्ट मामले में निचली अदालतों से दोषमुक्त करने के फैसले को सही ठहराया है.
उन्होंने कहा कि एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि विवेचना में पुलिस विभाग से त्रुटियां हुई हैं. वर्तमान स्थिति में जांच में की गयी त्रुटियों को सुधार कर पुन: जांच के आदेश न्यायालय नहीं दे सकता है.
बता दें कि भोपाल के कोहे फिजा थाने में पुलिस ने अंडरवर्ल्ड सरगना अबू सलेम, फिल्म स्टार मोनिका बेदी सहित अन्य के खिलाफ फर्जी पासपोर्ट मामलें में विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया था.
प्रकरण की सुनवाई करते हुए भोपाल जिला न्यायालय के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) ने साल 2006 में फिल्म स्टार मोनिका बेदी को सबूतों के अभाव में दोष मुक्त करार दिया था, जिसके खिलाफ एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज (एडीजे) के समक्ष अपील दायर की गई थी.
एडीजे ने सुनवाई के बाद साल 2007 में अपील को खारिज कर दिया था. इसे संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने मामले से संबंधित रिकॉर्ड तलब करते हुए प्रकरण की सुनवाई के निर्देश दिये थे. राज्य शासन ने भी उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर की थी. सरकार और याचिकाकर्ता की तरफ से अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किए गये. दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद एकलपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रखने के आदेश जारी किये थे.
इनपुट: IANS
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