केंद्र के 3 नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रस्तावित दिल्ली में 'किसान गणतंत्र परेड' की रूपरेखा सामने रखी. इस दौरान बताया गया कि 50 किलोमीटर की यह परेड आउटर रिंग रोड पर होगी.
सिंघु बॉर्डर पर हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने 'किसान गणतंत्र परेड' को लेकर बताया,
- यह परेड पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहेगी.
- गणतंत्र दिवस परेड में किसी तरह की बाधा नहीं डाली जाएगी.
- किसी राष्ट्रीय स्मारक पर हमले की कोई कोशिश नहीं होगी.
- हर वाहन पर राष्ट्रीय ध्वज और किसान संगठन का झंडा होगा. किसी भी राजनीतिक पार्टी का झंडा नहीं होगा.
- देश के जिन इलाकों से लोग दिल्ली नहीं पहुंच सकते, वहां राज्य की राजधानी में ऐसी ही किसान गणतंत्र परेड आयोजित होगी.
इसके साथ ही यादव ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट भी किसान परेड के मामले से अपनी गरिमा के हिसाब से डील करेगा.
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक अन्य किसान नेता ने कहा कि किसान परेड का मकसद यह है कि हम पूरे देश को बताएंगे कि हम देश के अन्नदाता हैं, आप हमारा दुख-दर्द देखिए. उन्होंने कहा कि हम जनता को यह संदेश देंगे कि आपके अन्नदाता का अस्तित्व खतरे में है, हमारी कोई सुनवाई भी नहीं हो रही है.
बता दें कि किसान संगठन केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं.
सरकार और किसान नेताओं के बीच इस मसले को लेकर 9 दौर की बातचीत में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने नए कृषि कानूनों और किसानों के आंदोलन को लेकर दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान इन कानूनों के अमल पर रोक लगा दी थी.
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