26 नवंबर को किसान आंदोलन (Farmers Protest) के एक साल पूरा हो गया. आंदोलन की सफलता और इसका 1 साल पूरा होने पर कई राज्यों से आए किसान दिल्ली की सीमाओं पर जश्न मना रहे हैं. पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बाद भी प्रदर्शनकारी किसान अपनी जगह छोड़ने को तैयार नहीं है. अब किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए सरकार कानून लेकर आए. आइए जानते हैं कि किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली और आसपास के इलाकों में आज क्या-क्या हो रहा है.
दिल्ली की सीमाओं पर फिर जमा हजारों किसान
किसान संगठनों ने एक साल पूरा होने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी थी. कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बाद माना जा रहा था कि आंदोलन कर रहे किसान अब घर लौट जाएंगे, हालांकि ऐसा नहीं हुआ और अब पहले से ज्यादा संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर जमा हैं.
टिकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर पंजाब, हरियाणा, यूपी, उत्तराखंड से हजारों की संख्या में किसान पहुंचे हैं. आज जमा हुए किसानों की मांग है कि सरकार हमें लिखित रूप में आश्वासन दे कि वो कृषि कानूनों वापस लेगी. साथ ही किसानों की मांग है कि एमएसपी पर सरकार कानून लेकर आए.
इसके अलावा आंदोलन के दौरान जान गंवाने किसानों को मुआवजा देने की मांग सरकार किसान सरकार से कर रहे हैं. साथ ही प्रदर्शन के दौरान दर्ज मुकदमों को भी वापस लेने की मांग प्रदर्शनस्थलों से की जा रही है.
बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, हर कोई पहुंचा
दिल्ली का सीमाओं पर प्रदर्शन करने कोई ट्रैक्टर ट्रोली से पहुंचा है, कोई कार से तो कोई जीप से. अलग-अलग राज्यों से बच्चे, जवान,बुजुर्ग और महिलाएं भारी संख्या में दिल्ली की सीमाओं पर हो रहे प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे हैं.
यहां लोगों को खाने-पीने का पर्याप्त प्रंबंध किया गया है. चाय-पानी से लंगर तक की व्यवस्था प्रदर्शन में पहुंचे लोगों के लिए की गई है. जगह-जगह पर किसान कृषि कानून वापस होने की खुशी मनाते देखे जा सकते हैं.
क्या कह रहे किसान नेता
किसा नेता गुरणाम सिंह चडूनी ने द क्विंट से बातचीत में कहा, ''हमारी मांग है कि लखीमपुर खीरी मामले में केंद्रीय मंत्री समेत सभी आरोपी गिरफ्तार किए जाएं. एमएसपी समेत अन्य मुद्दों पर लिखित भरोसा दिया जाए, लेकिन इससे पहले सरकार किसान संगठनों से बात करे. आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को पर्याप्त मुआवजा मिले.''
(इनपुट्सः ईश्वर और आश्ना भूटानी)
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)