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फारूक अब्दुल्ला की रिहाई पर थरूर-चिदंबरम का ट्वीट, किसने क्या कहा

सात महीने बाद फारूक की रिहाई पर तमाम विपक्षी नेताओं ने खुशी जाहिर की

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श्रीनगर में नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला को नजरबंदी से रिहा कर दिया गया है. प्रशासन ने शुक्रवार को कहा कि पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत की गई उनकी नजरबंदी खत्म कर दी गई है. सात महीने बाद फारूक की रिहाई पर कांग्रेस समेत तमाम नेताओं ने खुशी जाहिर की है और दूसरे नेताओं की रिहाई की भी मांग की है.

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राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने ट्वीट कर कहा, फारूक अब्दुल्ला की रिहाई की खबर सुनकर खुशी हो रही है. उम्मीद करता हूं कि राज्य के दूसरे पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा.

“7 महीने तक हिरासत में रखने का क्या औचित्य था”

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट कर पूछा है कि फारूक अब्दुल्ला को बिना किसी आरोप के सात महीने तक हिरासत में रखने का क्या औचित्य था. उन्होंने कहा, "फारूक अब्दुल्ला, आजादी के लिए आपका स्वागत है. 7 महीने तक बिना किसी आरोप के उन्हें हिरासत में रखने का क्या औचित्य था? अगर औचित्य था, तो आज रिहा करने का क्या कारण है?"

वहीं कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि फारूक अब्दुल्ला अब अपने राज्य के मुद्दे को लोकसभा में जोरदार तरीके से उठा सकते हैं. थरूर ने कहा, "फारूक अब्दुल्ला का स्वागत है. मैं आशा करता हूं कि वह जल्द ही लोकसभा में अपनी जगह पर बैठे दिखेंगे, जहां वह जोरदार तरीके से अपने राज्य के मुद्दों को उठा सकते हैं. उनकी हिरासत अपमानजनक थी."

“बीजेपी ने कश्मीरियों को अलग-थलग कर दिया”

कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने कहा, "आखिरकार, 7 महीने के बाद फारूक अब्दुल्ला को रिहा कर दिया गया है. इतने लंबे समय तक प्रो-इंडिया मास लीडर को असंवैधानिक रूप से बंद करके बीजेपी ने कश्मीरियों को अलग-थलग कर दिया और मुख्यधारा की राजनीति में अपना विश्वास खो दिया. अब उनका भरोसा जीतना मुश्किल होगा."

जम्मू में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता दविंदर राणा ने कहा, फारूक अब्दुल्ला पर PSA लागू करना गलत फैसला था. मैं इसे रद्द करने के फैसले का स्वागत करता हूं. हिरासत में लिए गए दूसरे राजनेताओं को भी रिहा किया जाना चाहिए ताकि जम्मू और कश्मीर की आवाज हर जगह पहुंच सके.

वहीं फारूक अब्दुल्ला की बेटी साफिया अब्दुल्ला खान ने कहा, "मेरे पिता फिर से एक आजाद व्यक्ति हैं."

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बता दें, आर्टिकल 370 को रद्द किए जाने के बाद से अब्दुल्ला को श्रीनगर शहर स्थित उनके अपने घर में कड़ी सुरक्षा के बीच नजरबंद रखा गया था. शुक्रवार को राज्य प्रशासन ने पीएसए के तहत की गई उनकी नजरबंदी खत्म कर दी.

आदेश में कहा, "जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट 1978 की धारा 19 (1) के तहत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए श्रीनगर के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किए गए नजरबंदी के आदेश, जिसे तीन-तीन महीनों की अतरिक्त अवधि के लिए बढ़ा दिया गया था, को सरकार ने तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है."

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