एक रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में करीब 5 बच्चे हर दिन लापता हो रहे हैं. 2 सालों से लगातार चाइल्ड प्रोटेक्शन के लिए काम कर रहे समाजसेवी और आरटीआई (RTI) एक्टिविस्ट द्वारा प्रदेश में लापता हुए बच्चों की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई. अभी तक मिली सूचना के मुताबिक यूपी के 75 जिलों में से 50 जिलों में एक साल में 1 से 18 वर्ष तक के 1763 बच्चे लापता हैं. इनमें से 1166 लड़कियां और 597 लड़के हैं. अभी करीब 25 जिलों का डाटा आना बाकी है, जिनमें से लखनऊ , गोरखपुर,नोएडा, मथुरा जैसे शहर शामिल हैं. यह आंकड़े और अधिक हो सकते हैं, क्योंकि अमेठी सहित कुछ जिलों की पुलिस ने आरटीआई का जबाव देने से सीधे इंकार कर दिया है.
सूचना के अधिकार के तहत मिले इस डाटा के मुताबिक प्रदेश में 5 बच्चे ( 3 लड़कियां और 2 लड़के) औसतन रोज गायब हो रहे हैं, पूरे प्रदेश में ऑपरेशन मुस्कान के तहत लापता बच्चों को ढूंढने की कोशिश कई बार हुई पर जिले में अधिकारी बदलते ही फिर वही हाल हो जाता है. जहां एक और पिछले डेढ़ साल से पूरे प्रदेश में मिशन शक्ति अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत बच्चों की सुरक्षा की बात कही जाती है.
आगरा के आरटीआई एक्टिविस्ट को आरटीआई से मिली जानकारी से आंकड़े सामने आए हैं. यूपी पुलिस के राज्य क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के सूचना अधिकारी के द्वारा दिये गए जवाब के मुताबिक यूपी के 50 जिलों से 2020 में कुल 1763 बच्चे लापता हुए, जिनमें से 1166 लड़कियां हैं. जिनमें से 1080 लड़कियां 12-18 साल की हैं.
आरटीआई एवं चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट नरेश पारस ने 2020 में लापता बच्चों की जानकारी यूपी पुलिस के सभी मंडलों के एडीजी और लखनऊ पुलिस हेडक्वाटर से मांगी थी. जिसमें से उन्हें 50 जिलों से जबाव मिला है. इन लापता बच्चों में से 1461 बच्चों को बरामद किया गया. 302 बच्चे अभी लापता हैं, जिनमें से 102 लड़के और दो सौ लड़कियां हैं.
आरटीआई के जवाब में 50 जिलों के मिले आंकड़ों के मुताबिक पांच जिले सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं, इनमें मेरठ में 113, गाजियाबाद में 92, सीतापुर में 90, मैनपुरी में 86 और कानपुर नगर में 80 बच्चे लापता हैं.
नरेश पारस ने लापता बच्चों पर चिंता जताते हुए कहा कि आखिर बच्चे कहां जा रहे हैं? हर रोज पांच बच्चों का लापता होना चिंता का विषय है. लापता बच्चा चार माह तक बरामद न होने पर विवेचना मानव तस्करी निरोधक शाखा में स्थानांतरित करने का प्रावधान है. उसके बावजूद भी लापता बच्चों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है, लड़कियों की संख्या और अधिक चितिंत करती है. 12-18 साल की लड़कियां ज्यादा गायब हो रहीं हैं, इनमें या तो लड़कियां प्रेमजाल में फंस रही हैं या फिर उनको मानव तस्करी के जरिये देह व्यापार में धकेला जा रहा है.
आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस ने बताया कि हर जिले में पुलिस मुख्यालय पर लापता बच्चों की जन सुनवाई कराई जाए. जिसमें थाने के विवेचक और परिजनों को बुलाकर केस की समीक्षा की जाए. चार महीने तक बच्चा न मिलने पर मानव तस्करी निरोधक थाने से विवेचना कराई जाए. यह थाने हर जनपद में खोले गए हैं.
50 जिलों से मिली सूचना के अधिकार के तहत लापता बच्चों का आंकड़े
1- सोनभद्र - 28
2 - प्रयागराज - 80
3- बागपत- 16
4- हाथरस - 5
5 - श्रावस्ती - 18
6 - रायबरेली - 17
7 - सुल्तानपुर - 47
8 - हापुड़ - 23
9 -कासगंज - 4
10 - सहारनपुर - 22
11 - मुजफ्फरनगर -49
12 - पीलीभीत - 14
13 -जौनपुर-68
14 -बलरामपुर -17
15 -मोरादाबाद - 53
16 - झांसी - 22
17 -गाजियाबाद - 92
18 फिरोजाबाद - 27
19 -महोबा - 9
20 - बिजनौर -13
21 -कौशाम्बी - 57
२२ - बलिया -18
23 - चंदौली -8
24 - आजमगढ़ - 61
25 - मिर्जापुर - 18
26 -सिद्धार्थनगर - 18
27 -बाराबंकी -29
28 - गोंडा - 32
29 -ललितपुर - 9
30 - अमरोहा - 9
31 -सम्भल - 16
32 - अलीगढ - 22
33 - अंम्बेडकर नगर -56
34 - संतकबीर नगर - 27
35 - चित्रकूट - 44
36 - बस्ती - 17
37 -खीरी - 17
38 आगरा - 23
39 - कानपुर नगर -80
4०-कानपूर देहात - 54
41 - मेरठ - 113
42 - हमीरपुर - 26
43 - मैनपुरी - 96
44 - कन्नौज - 25
45 - महराजगंज - 35
46 -शामली - 31
47 - आंबेडकर नगर - 53
48 - संतकबीर नगर - 34
49 - सीतापुर - 90
50 - एटा - 19
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