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स्टेशनों पर भटक रहा बच्चा,परिवार तक नहीं पहुंचा पा रहा रेलवे

ऑटिज्म का शिकार 16 साल का तरुण मुंबई के कोलाबा से गायब हो गया था, उसके बाद से वह लगातार स्टेशनों पर भटक रहा है

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ऑटिज्म का शिकार 16 साल का तरुण 1 अक्टूबर (2019) से मुंबई के कोलाबा में अपने घर के बाहर से गायब हो गया था. इसके बाद से वह एक ट्रेन से दूसरे ट्रेन पर सवार होकर स्टेशन-स्टेशन भटक रहा है. तरुण के माता-पिता उसे ढूंढने में रात-दिन लगे हुए हैं. लेकिन उसके जल्दी-जल्दी स्टेशन बदल लेने से वे उस तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. तरुण के पिता विनोद गुप्ता सीसीटीवी कैमरे से उसे लगातार ट्रैक कर रहे हैं लेकिन रेलवे की लापरवाही से उनका बेटा उन्हें नहीं मिल पा रहा है.

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आरपीएफ जवान ने जबरदस्ती लगेज कम्पार्टमेंट में ठूंसा

तरुण ऑटिज्म का शिकार है. उसे बोलने में दिक्कत होती है और दिखाई भी कम पड़ता है. उसे महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात के रेलवे स्टेशनों पर देखा गया है. आखिरी बार वह गुजरात के जामनगर स्टेशन पर देखा गया था. उसकी नाक और होठ से खून बह रहा था. इसने उसके मां-बाप को बेहद परेशान कर दिया है.

सीसीटीवी फुटेज और यात्रियों से पूछताछ से पता चला कि तरुण मुंबई में सीएसटी स्टेशन से ट्रेन पर चढ़ा था, जो उसे पनवेल ले गया. वह पनवेल स्टेशन पर दो रहा. लेकिन 2 अक्टूबर को उसने ट्रेन चढ़ने के दौरान किसी आरपीएफ कर्मी से मदद मांगी तो उसने उसे ' तुतारी एक्सप्रेस' के लगेज कम्पार्टमेंट में जबरदस्ती ठूंस दिया.

तरुण के पिता विनोद गुप्ता रेलवे के सीसीटीवी फुटेज से उसे ट्रैक कर रहे हैं. वह रेलवे स्टाफ से बात कर रहे हैं, ऑटो ड्राइवरों से मिल रहे हैं, लेकिन सीसीटीवी फुटेज से उन्हें ज्यादा मदद नहीं मिल रही क्योंकि यह 15 दिन में डिलीट हो जाती है.
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तरुण के पिता विनोद गुप्ता बेहद परेशान हैं. उन्होंने पिछले सप्ताह रेल मंत्री पीयूष गोयल को आरपीएफ के डीजीपी अरुण कुमार को ट्वीट कर तरुण की सुरक्षित घर पहुंचाने में मदद मांगी है.

आरपीएफ की लापरवाही की वजह से घर नहीं पहुंच सका है तरुण

तरुण एक इलेक्शन रैली में नाचते-नाचते सीएसटी पहुंच गया था. उसके बाद घर नहीं लौटा. आरपीएफ के सीनियर डिवीजनल सिक्योरिटी कमिश्नर अशरफ के के ने पहले क्विंट से कहा था कि जिस आरपीएफ जवान ने तरुण को लगेज कम्पार्टमेंट में डाला था उसके खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं.

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उन्होंने कहा कि इस बारे में साफ नियम हैं कि अगर कोई नाबालिग स्टेशन पर लावारिस मिलता है तो उसे सुरक्षित आरपीएफ ऑफिस ले जाया जाना चाहिए. इसके बाद सीडब्ल्यूसी अधिकारियों से संपर्क कर किया जाता है. ये अधिकारी ही ऐसे बच्चों को उनके मां-बाप को सौंपते हैं.

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