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LAC पर भारत-चीन बातचीत में काफी समय लग सकता है: एस जयशंकर

द हिंदू के साथ इंटरव्यू में नेपाल, US और चीन पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिए बयान

Published
भारत
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भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में कई महीनों से सीमा विवाद चल रहा है. जून के महीने में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प भी हुई थी. तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के सैन्य कमांडर कई दौर की बातचीत कर चुके हैं. हालांकि, विदेश मंत्री एस जयशंकर का कहना है कि LAC पर चीन से बातचीत काफी लंबी चल सकती है.

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द हिंदू को दिए एक इंटरव्यू में जयशंकर ने लद्दाख की स्थिति की तुलना 1986 में अरुणाचल प्रदेश के सुमदोरोंग चू में हुए मिलिट्री स्टैंडऑफ से की. ये विवाद नौ सालों में हल हुआ था.

एस जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन को सीमा विवाद को 'बड़े नजरिए' से देखना चाहिए, न कि इस साल LAC पर हुई 'घटनाओं' को ध्यान में रखकर.

'चीन ने पिछले समझौतों का उल्लंघन किया'

इंटरव्यू में विदेश मंत्री ने कहा कि वो चीन के साथ जारी बातचीत की जानकारी साझा नहीं कर सकते हैं. हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि अभी बातचीत और कितनी लंबी चलेगी, तो जयशंकर ने कहा, "सुमदोरोंग संकट को ध्यान में रखना जरूरी है. कई सालों की बाचतीत बेनतीजा रही थी और फिर तवांग इलाके में 1995 में दोनों सेनाएं पीछे हटी थीं."

चीन ने सीमा पर सेना इकट्ठी कर पिछले समझौतों का उल्लंघन किया है और अगर सीमा पर शांति प्रभावित होती है तो भारत-चीन संबंध भी प्रभावित होते हैं. जटिल मुद्दे समय लेते हैं और मैं उसी बात को मंजूर करूंगा जो मेरे हित में है.  
एस जयशंकर, द हिंदू को दिए एक इंटरव्यू में
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नेपाल के साथ तनाव पर क्या बोले विदेश मंत्री?

एस जयशंकर ने कहा कि हर देश की अपनी राजनीति होती है और हमारी अपनी और ऐसे ही विवाद भी होते हैं, लेकिन सवाल है कि आप उसे संभालते कैसे हैं.

नेपाल के साथ एक दौर था जब विवाद थे, लेकिन हम साफ तौर पर देख सकते हैं कि पिछले कुछ महीनों में भारत और नेपाल ने आगे बढ़ने का फैसला किया है.  
एस जयशंकर, द हिंदू को दिए एक इंटरव्यू में
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अमेरिकी-भारत रिश्तों का क्या होगा?

द हिंदू के साथ इंटरव्यू में विदेश मंत्री ने कहा कि 'राष्ट्रपति ट्रंप हों या राष्ट्रपति बाइडेन, एकदम अलग नीतियां देखने को नहीं मिलेंगी.' जयशंकर ने कहा कि प्रशासन अधिकतर पुरानी नीतियां जारी रखते हैं.

हमारे लिए चिंता की बात नहीं है. क्योंकि मैं जब संभावित प्रशासन को देखता हूं तो मुझे जाने-पहचाने चेहरे दिखते हैं जिनके साथ हम काम कर चुके हैं, जब मैं राजदूत और विदेश सचिव था. मुझे लगता है भारत के लिए अमेरिका में आम सहमति है.  
एस जयशंकर, द हिंदू को दिए एक इंटरव्यू में

जयशंकर ने कहा कि वो बाइडेन प्रशासन के लोगों के साथ काम कर चुके हैं और वो सभी उन्हें जानते हैं.

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