राज्यसभा सांसद रहे और एक समय उत्तर प्रदेश के सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार अमर सिंह का 1 अगस्त को निधन हो गया. सिंह 64 साल के थे और उनका पिछले सात महीनों से सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में इलाज चल रहा था. अमर सिंह को किडनी की दिक्कत थी और उनके दो ट्रांसप्लांट हुए थे, पहला 2009 और दूसरा 2018 में. सिंह समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता रहे थे. हालांकि, अखिलेश यादव के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था.
कोलकाता के बड़ाबाजार से लेकर दिल्ली के सियासी गलियारों तक अमर सिंह ने जो रास्ता तय किया था, वो किसी फिल्म की स्क्रिप्ट हो सकता है.
शुरूआती जीवन
अमर सिंह का जन्म 27 जनवरी 1956 को हुआ था. सिंह एक मध्यमवर्गीय परिवार से थे. उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी. सिंह को जानने वाले उन्हें ऐसे शख्स के तौर पर याद करते हैं, जो हमेशा लाइमलाइट में रहना पसंद करता था. सिंह मामूली परिवार से ताल्लुक जरूर रखते थे, लेकिन वो महत्वाकांक्षी थे.
राजनीति में एंट्री
अमर सिंह का राजनीति में आना मुलायम सिंह यादव से फ्लाइट में हुई एक मुलाकात का नतीजा था. 1996 में सिंह और यादव एक ही फ्लाइट में थे और ऐसा कहा जाता है कि तभी मुलायम सिंह ने अमर सिंह को समाजवादी पार्टी का महासचिव बनाने का फैसला किया था. सिंह ने उसी साल आधिकारिक रूप से पार्टी जॉइन की थी.
अमर सिंह दिल्ली के सियासी गलियारों में समाजवादी पार्टी का चेहरा बन कर उभरे थे. सिंह के बिजनेसमैन से लेकर सिनेमा की हस्तियों तक से कनेक्शन थे.
लेकिन अमर सिंह ने सियासत का पहला ‘पाठ’ मुलायम सिंह यादव से नहीं, बल्कि 1985 में तत्कालीन यूपी के सीएम वीर बहादुर सिंह से सीखा था. वीर बहादुर कोलकाता एक कार्यक्रम में आए थे और वहां उनकी मुलाकात अमर सिंह से हुई थी. वीर बहादुर ने अमर सिंह को लखनऊ बुलाया था और तब सीएम के आवास पर ही अमर और मुलायम की पहली मुलाकात हुई थी.
अमर सिंह के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा से भी अच्छे संबंध थे. बताया जाता है कि दोनों के रिश्ते इतने दोस्ताना थे कि देवगौड़ा के पीएम बनने के एक दिन बाद ही अमर सिंह उन्हें किसी दोस्त से मिलाने ले गए थे.
देवगौड़ा और वीर बहादुर सिंह की मदद से अमर सिंह ने अपना बिजनेस सेटअप किया था. मुलायम सिंह यादव ने सिंह के कॉर्पोरेट कनेक्शन देखकर उन्हें पार्टी में अहम जगह दी थी.
दोस्तों के दोस्त थे अमर सिंह
अमर सिंह के लिए कहा जाता है कि वो दोस्तों के दोस्त हैं. मतलब कि अगर जरूरत पड़ती थी तो वो किसी न किसी तरह दोस्त की मदद कर ही देते थे. अमर सिंह और अमिताभ बच्चन के परिवार के संबंधों के बारे में शायद ही कोई न जानता हो. कहा जाता है कि जब अमिताभ का प्रोडक्शन हाउस ABCL डूब रहा था, तब अमर सिंह ने ही पैसे का जुगाड़ किया था.
हालांकि, बाद में अमर सिंह और अमिताभ बच्चन के बीच दूरियां हो गईं थीं. सिंह ने बच्चन परिवार पर कई तीखे हमले भी किए थे. लेकिन फिर इस साल फरवरी में जब अमर सिंह की तबीयत काफी खराब थी तो उन्होंने एक ट्वीट कर बच्चन परिवार के खिलाफ अपने बर्ताव पर खेद जताया था.
2008 में UPA की सरकार बचाई
2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील की थी. इसके विरोध में लेफ्ट पार्टियों ने UPA से समर्थन वापस ले लिया था. कहा जाता है कि सोनिया गांधी ने मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह से समर्थन के लिए संपर्क किया था और उन्होंने UPA सरकार को बचाया.
सिंह के समाजवादी पार्टी से खराब हुए रिश्ते
2010 में मुलायम सिंह यादव से रिश्ते खराब होने के बाद अमर सिंह को समाजवादी पार्टी से निकाल दिया गया था. हालांकि, सिंह ने 2016 में पार्टी फिर से जॉइन की लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव के कमान संभालने के बाद उन्हें फिर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था.
अमर सिंह ने 2011 में अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक मंच भी बनाई थी. 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी.
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले अमर सिंह और जया प्रदा राष्ट्रीय लोक दल में शामिल हुए थे. सिंह इस बार फतेहपुर सीकरी सीट से चुनाव हारे थे.
बीजेपी से ‘सुधारे’ रिश्ते
पिछले कुछ समय से माना जा रहा था कि अमर सिंह और बीजेपी के बीच ‘नजदीकी’ बढ़ रही है. सिंह ने मोदी सरकार की कई नीतियों का समर्थन भी किया था. इसे उनका बीजेपी के साथ रिश्ते सुधारने के तौर पर देखा गया.
साल 2017 में गृह मंत्रालय ने अमर सिंह को Z केटेगरी की सुरक्षा दी थी. समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इस कदम पर सिंह की काफी आलोचना भी की थी और SP नेता नरेश अग्रवाल ने उन्हें ‘बीजेपी एजेंट’ बताया था.
अमर सिंह के परिवार में उनकी पत्नी पंकजा कुमारी सिंह और दो बेटियां दृष्टिऔर दिशा हैं. उनके निधन पर प्रधानमंत्री मोदी से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर शोक व्यक्त किया है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)