गाजियाबाद के लोनी गांव में रहने वाले अब्दुल समद सैफी के साथ हुई पिटाई वाले मामले में पुलिस ने वहां के स्थानीय राजनेता उम्मेद पहलवान इदरिसी को 19 जून को गिरफ्तार कर लिया. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक ये गिरफ्तारी घटना को सांप्रदायिक रूख देने की वजह से की गई है. उम्मेद पहलवान ने ही पीड़ित अब्दुल समद के साथ इस मामले को लेकर फेसबुक लाइव किया था.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक एसएसपी गाजियाबाद अमित पाठक ने बताया है कि
गाजियबाद पुलिस ने उम्मेद पहलवान को दिल्ली के लोक नारायण जयप्रकाश हॉस्पिटल से गिरफ्तार किया था. उनको आगे की जांच के लिए यहां वापस लाया गया.अमित पाठक, एसएसपी गाजियाबाद
उम्मेद ने सभी आरोप स्वीकार किए: पुलिस
इसके अलावा न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए गाजियबाद के DIG ने कहा-
उम्मेद पहलवान ने उन पर लगे सभी आरोपों को स्वीकार किया है. शुरूआत में उन्होंने कहा कि पीड़ित व्यक्ति जिनके साथ मारपीट हुई, उनके द्वारा उम्मेद पहलवान को झूठ बोला गया. धीरे-धीरे पूछताछ में इन्होंने कबूल किया कि इस सारी योजना में मैं और मेरे साथ एक और व्यक्ति था. ये लोग जानते थे कि घटना किसके द्वारा की गई, परन्तु घटना को सनसनीखेज बनाने के लिए बातें छुपाई गई. इस व्यक्ति की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं.DIG गाजियबाद
इन धाराओं में दर्ज हुआ था केस
पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है उसके मुताबिक पहलवान पर आरोप है कि उन्होंने इस मारपीट की घटना का वीडियो बनाया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. पहलवान पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153A (धर्म के आधार पर वैमनस्थता फैलाना), 295A (धार्मिक भावनाएं भड़काने की कोशिश), 504 (शांति भंग करने की सोची समझी कोशिश), 505 (भड़काने के लिए अफवाहें, बयान फैलाना.) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
ट्विटर, द वायर के अलावा कई लोगों पर एफआईआर
गाजियाबाद पुलिस ने इसके अलावा 9 दूसरे लोगों पर भी एफआईआर की है, इसमें ट्विटर भी शामिल है. इसके अलावा कई सारे पत्रकार और मीडिया संस्थान जैसे द वायर, राना अयूब, मोहम्मद जुबैर, डॉ शमा मोहम्मद, सबा नकवी, मसकूर उस्मानी और सलमान निजामी शामिल हैं.
घटना को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप
इन लोगों पर भी आरोप है कि इन्होंने बिना तथ्य देखे हुए पूरी घटना को सांप्रदायिक रंग दिया. वहीं ट्विटर पर एफआईआर करने के पीछे पुलिस ने कहा कि- 'ट्विटर ने वीडियो को वायरल होने से रोकने के लिए कुछ नहीं किया'.
हाल ही में सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो क्लिप में बुजुर्ग व्यक्ति अब्दुल समद सैफी ने आरोप लगाया था कि कुछ लोगों ने उनकी पिटाई की और उनसे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए कहा, लेकिन गाजियाबाद पुलिस ने घटना के पीछे कोई साम्प्रदायिक कारण होने से इनकार किया और कहा कि आरोपी उस ताबीज से नाखुश थे जो सैफी ने उन्हें बेचा था.
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