अगर आप शहरों में रहते हैं, तो यह बात आपकी नजरों से छिप नहीं सकती. पिछले साल बड़ी संख्या में लड़कियों ने एक फैशन स्टेटमेंट पहना. इसे कट शोल्डर ड्रेस या कोल्ड शोल्डर ड्रेस कहा जाता है. इस ड्रेस में बांह और गला तो ढका रह सकता है, लेकिन कंधे और बांह का एक हिस्सा झांकता रहता है. इस ड्रेस के कई वेरिएंट हैं.
ऑनलाइन शॉपिंग साइट अमेजन डॉट इन पर इस ड्रेस की चार हजार से ज्यादा वेरिएंट बिक रही है. जबांग और स्नैपडील पर भी ये ड्रेस बिक रही है. कुल मिलाकर माना जा सकता है कि भारत में इस साल की सर्दियों में कट शोल्डर या कोल्ड शोल्डर ड्रेस पहनी जा रही है. हालांकि यह जानने के लिए आसपास देखना भी कई बार काफी होता है.
इस ड्रेस का भारत के मास मार्केट तक पहुंचना काफी देर से हुआ है. अमेरिकी फैशन डिजाइनर डोना कैरन ने 90 के दशक की शुरुआत में फैशन शो में ऐसी ड्रेस लॉन्च की थी. लेकिन इसे रैंप की ड्रेस के तौर पर ही देखा गया और बाजार में इसकी कोई खास धमक नजर नहीं आई.
बोल्ड फैशन स्टेटमेंट
1993 में हिलेरी क्लिंटन ने बिल क्लिंटन के राष्ट्रपति रहने के दौरान डोना कैरन की ये ड्रेस ह्वाइट हाउस में पहनी. ह्वाइट हाउस की लाइब्रेरी में उनका ये फोटो शूट कई जगह छपा और इसकी मिली-जुली प्रतिक्रिया हुई. एक छोर पर वे लोग थे, जिनके हिसाब से हिलेरी क्लिंटन ने एक बोल्ड फैशन स्टेटमेंट दिया था. ऐसे लोगों के हिसाब से इस ड्रेस को पहनकर हिलेरी क्लिंटन ने अपने व्यक्तित्व की मजबूती का परिचय दिया.
परंपरा और प्रोटोकॉल
वहीं, एक बड़े तबके ने इसे ह्वाइट हाउस की परंपरा और प्रोटोकॉल के खिलाफ माना. ऐसे लोगों का तर्क था कि राष्ट्रपति की पत्नी होने के नाते हिलेरी क्लिंटन से एक सौम्य बर्ताव की उम्मीद थी, जिसे उन्होंने तोड़ा. बरसों बाद, 2015 में जब हिलेरी क्लिंटन अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी का दावा कर रही थीं, तब इस ड्रेस का मामला फिर उठा. एक पत्रकार ने उनसे उस ड्रेस के बारे में पूछा और हिलेरी का जवाब था, मैं जो भी करती हूं उसे लेकर विवाद छिड़ने के मौके होते हैं.
1993 से लेकर 2015 के 22 साल में दुनिया काफी बदल चुकी थी. अमेरिकी और यूरोपीय फैशन की दुनिया में कोल्ड शोल्डर ड्रेस के कई रूप बेहद लोकप्रिय हो चुके हैं. अब कोई इन ड्रेस पर इस नाते सवाल नहीं उठाता कि इससे किसी तरह की सभ्यता या शिष्टाचार का उल्लंघन होता है. पश्चिमी दुनिया ने इस ड्रेस पर चौंकना बंद कर दिया है.
भारत में इस ट्रेंड को आने में कुछ अतिरिक्त समय लगा. इस ड्रेस के ग्लोबल सीन में आने के ढाई दशक बाद, 2017-18 में यह कहा जा सकता है कि लड़कियां के कंधे दिखने से किसी की नैतिकता और मान्यताएं अगर खंडित हो भी रही हैं, तो भारत की लाखों लड़कियां इसकी परवाह नहीं कर रही हैं.
इस ड्रेस की जो आलोचना अब होती है, उसमें नैतिकता से ज्यादा सुविधा के सवाल हैं. साथ ही कि क्या यह सचमुच सेक्सी ड्रेस है. इस ड्रेस के लोकप्रिय वेरियंट में कंधे तो झांकते हैं, लेकिन बांह ढकी रहती है. इसलिए इसे सर्दियों की पार्टी ड्रेस के तौर पर भी पहना जाता है.
इस ड्रेस की ताकत यह नहीं है कि यह शरीर का बहुत ज्यादा हिस्सा दिखाती है. बल्कि अन्य कई तरह की ड्रेस के मुकाबले इसमें रिवीलिंग कम ही है. इस ड्रेस में गर्दन और कंधे का एक छोटा सा हिस्से अक्सर बेहद ग्रेसफुल तरीके से नजर आता है और बाकी देह ढकी रहती है.
अगर फैब्रिक उपयुक्त हो तो यह सर्दियों की ड्रेस है. इस ड्रेस की ताकत इसे लेकर हुए विवाद हैं. खासकर हिलेरी क्लिंटन के इसे पहनने को लेकर हुआ विवाद इस ड्रेस का हाइ पॉइंट है.
कपड़ों पर टोका-टोकी!
इस ड्रेस के आलोचकों का कहना है कि कंधे में छेद का क्या मतलब है, खासकर तब जबकि आप फुल स्लीव पहन रही हों. इस तरह न तो ठंड से पूरी तरह बचना हुआ और न ही कोई फैशन स्टेटमेंट हुआ. लेकिन इन आलोचनाओं से परे दुनिया भर में यह ड्रेस लोकप्रिय हुई और अब भारत भी इस ट्रेंड को पकड़ रहा है.
सवाल इतना है कि-
- हम दुनिया से ढाई दशक पीछे क्यों चलते हैं?
- ढाई दशक पहले जो ड्रेस एकदम ना-ना थी, वह 2017 आते आते भारत में फैशन ट्रेंड कैसे बन जाती है?
- क्या हम इस बात का इंतजार करते हैं कि जब कोई चीज अमेरिका और यूरोप के मास मार्केट में आ जाए, फिर हम उसकी ओर देखेंगे?
- और फिर भारत का अपना फैशन ट्रेंड क्या है?
- भारत के फैशन डिजाइनर भी अपनी प्रेरणा के लिए कब तक मिलान, पेरिस, न्यूयॉर्क और लंडन के फैशन वीक की तरफ देखते रहेंगे?
हो सकता है. अगर ऐसा है, तो यह मॉडर्न भारतीय महिलाओं के लिए कोई अच्छी बात नहीं है. खासकर तब जब शहरी स्पेस में महिलाओं का एक बड़ा वर्ग ऐसा आ चुका है, जिनके कपड़ों पर टोका टोकी करने वाला कोई समाज आसपास नहीं है. पसंद के कपड़े पहनने की आजादी आज किसी भी समय से ज्यादा है.
ऐसे समय में जबकि ड्रेसेस की खरीदारी में ऑनलाइन मार्केट का हिस्सा लगातार बढ़ रहा है, तब यह माना जा सकता है कि पश्चिम के फैशन ट्रेंड अब किसी बाधा के बगैर भारतीय घरों तक पहुंच पाएंगे. इसलिए आने वाले दिनों में एक ड्रेस को मिलान फैशन वीक से मुंबई के स्टोर्स तक पहुचने में पहले से कम समय लगेगा.
कोल्ड शोल्डर ड्रेस का 2016 में यूरोप और अमेरिका में फैशन ट्रेंड में आना और भारत में इस ड्रेस का लोकप्रिय होना लगभग साथ साथ हुआ है. शहरी मध्यमवर्ग की लड़कियों के कपड़ो के प्रति समाज की सोच बदल रही है, इसलिए आगे भी हम ऐसा बहुत कुछ होता देखेंगे.
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