अंतरराष्ट्रीय पत्रकार संगठनों ने पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) को एक संयुक्त पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने पीएम मोदी से ऐसे कदम उठाने के लिए निवेदन किया है कि जिससे ऐसा माहौल बने कि पत्रकार बिना किसी डर और प्रताड़ना के काम कर सकें.
20 अक्टूबर को लिखे पत्र में ऑस्ट्रिया स्थित इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट (IPI) और बेल्जियम स्तिथ इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट (IFJ) संगठनों ने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी से कहा है कि वो राज्य सरकारों को निर्देश दें कि पत्रकारों के खिलाफ सभी केस बंद किए जाएं. साथ ही वो केस भी बंद किए जाएं जिनमें पत्रकारों को काम करने की वजह से सेडिशन के चार्ज लगा दिए गए.
लेटर में लिखा है-
कोरोना वायरस सकंट के बाद से पत्रकारों के खिलाफ दायर किए गए केसों में तेजी देखने को मिली है. सरकार की कमियों को उजागर करने वालों की आवाज स्वास्थ्य संकट का बहाना बनाकर शांत की जा रही है. एक अच्छे और सफल पब्लिक हेल्थ सिस्टम के लिए स्वतंत्र मीडिया का होना जरूरी है.
स्वतंत्र और आलोचक पत्रकारों के खिलाफ सेडिशन कानूनों को लगाना न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय समझौतों का उल्लंघन है बल्कि ये सरकार की आलोचना को दबाने की कोशिश भी है. पत्रकारिता से जुड़ा काम कभी भी सेडिशन नहीं हो सकता है और इससे सुरक्षा को खतरा नहीं होता है.
पत्रकारिता संगठनों ने अपने पत्र में जिक्र किया कि राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप (RRAG) की रिपोर्ट में बताया गया है कि 25 मार्च से 31 मई के बीच करीब 55 पत्रकारों को महामारी कवर करने के दौरान टारगेट किया गया.
पत्रकार का आरोप-दिल्ली पुलिस के अफसर ने की पिटाई
5 दिन पहले ही खबर आई थी कि दिल्ली पुलिस के एक अफसर पर पत्रकार की पिटाई का आरोप लगा. 16 अक्टूबर को, एक लीडिंग मैगजीन के पत्रकार और दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों की कथित पिटाई की. द कारवां मैगजीन के पत्रकार, अहान पेनकर को चार घंटों तक मॉडल टाउन पुलिस स्टेशन में रखा गया. उन्होंने कई जगह चोटें आई हैं.
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