शनिवार, 13 नवंबर को पीएम नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता में क्रिप्टोकरेंसी (CryptoCurrency) से संबंधित एक बैठक हुई, जिसमें इसके गलत इस्तेमाल को लेकर चिंता जाहिर की गयी.
मीटिंग में क्रिप्टोकरेंसी के मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग में इस्तेमाल होने की आशंकाओं पर विचार-विमर्श किया गया.
पीटीआई की रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मीटिंग में अपारदर्शी विज्ञापन के माध्यम से युवाओं को गुमराह करने के प्रयासों को रोकने की आवश्यकता पर भी विचार किया गया.
इस पहले गृह मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के द्वारा भी क्रिप्टोकरेंसी के मुद्दे पर बैठक की जा चुकी है.
RBI ने बार-बार क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ अपने बयान में कहा है कि यह देश की व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा है.
पिछले दिनों आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ अपनी बात को दोहराते हुए कहा कि यह किसी भी वित्तीय प्रणाली के लिए एक गंभीर खतरा हैं, क्योंकि यह केंद्रीय बैंकों द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता है.
बता दें कि मार्च 2020 की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने वाले आरबीआई के सर्कुलर को रद्द कर दिया था. इसके बाद 5 फरवरी, 2021 में केंद्रीय बैंक ने डिजिटल करेंसी के मॉडल का सुझाव देने के लिए एक आंतरिक पैनल का गठन किया था.
बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी के प्रसार के सामने आरबीआई ने एक ऑफिसियल डिजिटल करेंसी को लाने की अपनी मंशा की घोषणा की थी, जिसको लेकर केंद्रीय बैंक को कई चिंताएं थीं.
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