महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के नाणार में बड़ा रिफाइनरी प्रोजेक्ट शुरू हो सकता है. इस बात की खबर मिलती है कि यहां जमीन खरीदने वालों की बाढ़ आ गई है. केंद्र सरकार के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए भले की हफ़्ते भर पहले ही सऊदी अरब की कंपनी अरामको से करार हुआ हो लेकिन किसानों से सस्ते दाम पर जमीन खरीद कर ऊंची कीमत में बेचने वालों की भीड़ लगनी शुरू हो गई है.
जमीन खरीदने के लिए बाहरी लोगों की लाइन लगी
क्विंट के हाथ लगे दस्तावेजों के मुताबिक 2 मई 2017 से लेकर 11 जनवरी 2018 के बीच यानी 8 महीने में ही लगभग 559 एकड़ जमीन नाणार और उसके आसपास के के इलाकों में खरीद ली गई है. खरीदारों के नाम से साफ है कि इन लोगों का कोंकण से कोई संबंध नहीं है. ख़रीदारो के सरनेम, मोदी, शाह, झुनझुनवाला, वाधवा,जैन, नीलावार, जोशी, कटारिया, केडिया,त्रिपाठी हैं. जाहिर है यहां बाहर से आकर जमीन खरीदने वालों का हूजूम उमड़ पड़ा है.
एमआईडीसी ने रिफ़ाइनरी प्रोजेक्ट के लिए ज़मीन अधिग्रहण का नोटिफ़िकेशन 18 मई 2017 को जारी किया था, जिसके बाद बड़ी संख्या में खरीद हुई थी.
200 फीसदी मुनाफे पर बिक रही है जमीन
नाणार इलाके में तेज़ी से हुई ज़मीन ख़रीदी पर स्थानीय नेता सवाल खड़े कर रहे हैं. नाणार कृति समिति के अध्यक्ष अशोक वालम का कहना है कि जमीन खरीदने में मची होड़ के पीछे नेता और व्यापारियों की साजिश हो सकती है. सीधे-सीधे 200 फीसदी मुनाफा हो रहा और पैसे भी व्हाइट में मिल रहे हैं.
स्थानीय नेता सवाल उठा रहे हैं जमीन अधिग्रहण का नोटिस आने के बाद खरीदारों ने जमीन देने के लिए NOC कैसे दे दी. जबकि जमीन के मूल मालिकाना हक के कागज पर खरीदार का नाम अब तक नहीं चढ़ा है. ऐसे में इन्हें नोटिस का पता कैसे चला?
रत्नागिरी जिले में लगने वाले इस प्रोजेक्ट के विरोध में स्थानीय लोगों के साथ सभी राजनीतिक पार्टियों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सरकार में शामिल शिवसेना ने तो दो टूक कह दिया है कि कोंकण में इस प्रोजेक्ट को किसी भी कीमत पर आने नहीं दिया जाएगा. राज ठाकरे और शरद पवार भी प्रोजेक्ट के कोंकरण में आने को लेकर विरोध कर चुके हैं. इन लोगों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के आने से कोंकण का सौंदर्य बर्बाद हो जाएगा.
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